मणिपुर हिंसा: क्या है मैतेई और कूकी के बीच हिंसक संघर्ष का मूल कारण, जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 30, 2023 02:45 PM2023-07-30T14:45:26+5:302023-07-30T14:47:30+5:30

मणिपुर में बीते मई से जारी हिंसा के पीछे लगभग तीन दशकों से अधिक समय से कूकी और मैतेई समुदायों के जारी भूमि विवाद मुख्य वजह है।

Manipur Violence: What is the root cause of violent conflict between Meitei and Kuki, know here | मणिपुर हिंसा: क्या है मैतेई और कूकी के बीच हिंसक संघर्ष का मूल कारण, जानिए यहां

फाइल फोटो

Highlightsमणिपुर हिंसा के पीछे लगभग तीन दशकों का कूकी-मैतेई भूमि विवाद मुख्य वजह है मणिपुर की कुल 30 लाख की आबादी में मैतेई लोगों की हिस्सेदारी 53 फीसदी हैवहीं कूकी समेत अन्य आदिवासी समुदायों की जनसंख्या हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है

इंफाल:मणिपुर में बीते मई से जारी हिंसा के पीछे लगभग तीन दशकों से अधिक समय से कूकी और मैतेई समुदायों के जारी भूमि विवाद मुख्य वजह है। दरअसल मणिपुर की कुल 30 लाख की आबादी में मैतेई लोगों की हिस्सेदारी 53 फीसदी है और ये लोग घाटी क्षेत्र में रहते हैं, जो मणिपुर की कुल भौगोलिक क्षेत्र का 10 फीसदी हिस्सा है।

वहीं कूकी समेत अन्य आदिवासी समुदायों की जनसंख्या हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। इनमें सबसे ज्यादा 24 फीसदी नागा जनजातियां हैं, उसके बाद 16 फीसदी कुकी या ज़ोमी जनजातियां हैं। मणिपुर में ज्यादातर आदिवासी पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं, जो मणपुर की कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 90 फीसदी हिस्सा है।

मैतेई से साथ सीधे टकराव की स्थित में खड़े कुकी आदिवासी और उनकी उप-जनजातियां न केवल मणिपुर बल्कि मिजोरम, नागालैंड, अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के सहित म्यांमार और दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में चटगांव पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। पूर्वोत्तर में अलग-अलग भाषाओं, बोलियों और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले लगभग 200 से अधिक जातीय समूह हैं, जिनमें 34 मणिपुर में निवास करते हैं।

मणिपुर में हिंसा की स्थिति तब पैदा हुई, जब ऑल ट्राइबल ने मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया और फिर उसके प्रतिक्रिया में 3 मई को लगभग पूरे मणिपुर में कूकी और मैतेई समुदाय के बीच हुए हिंसक टकराव मे अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए और 600 से अधिक घायल हुए। वहीं हजारों की संख्या में लोग बेधर हुए और करोड़ों की संपत्तियां भी बर्बाद हुईं। मणिपुर छात्र संघ मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के खिलाफ मई से अब तर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे है।

दरअसल कुकी समुदाय के आदिवासियों को लगता है कि अगर मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा मिल जाता है, तो वह पहाड़ी क्षेत्र में भी उनकी भूमि पर अधिकार कर लेंगे और वो अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। कूकी समुदाय का मानना है कि मैतेई लोग उनकी जमीनों पर कब्जा करके उन्हें बेघर कर देंगे। मणिपुर में मैतेई और कुकी आदिवासियों के बीच चल रहे हिंसक संघर्ष को मोटे तौर पर पहाड़ी बनाम मैदानी संघर्ष भी कहा जाता है।

मालूम हो कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के 21 सांसदों ने रविवार को मणिपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों का सघन दौरा करने के बाद गवर्नर अनुसुइया उइके को ज्ञापन सौंपा और मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। विपक्षी दलों का समूह बीते मई महीने से जारी भीषण सामुदायिक हिंसा का आंकलन करने मणिपुर की दो दिवसीय यात्रा पर है। इस यात्रा के दौरान विपक्षी सांसदों ने कुकी और मैती के इलाकों में जाकर लोगों से मुलाकात की और विभिन्न राहत शिविरों का भी निरीक्षण किया।

विपक्षी सांसदों के इस दौरे पर राज्य में सत्ताधारी दल भाजपा ने विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के दौरे की यह कहते हुए आलोचना कि है विपक्षी सांसद ऐसी गंभीर परिस्थितियों में केवल फोटो सेशन करा रहे हैं और पॉलिटिकल टूरिज्म के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा की आलोचना के इतर विपक्षी सांसदों ने न केवल पीड़ित लोगों से मुलाकात की, उनसे बात की बल्कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा करने की योजना बना रहे हैं।

विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस की ओर से अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, तृणमूल की ओर से सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से महुआ माजी, डीएमके की ओर से कनिमोझी, आरएलडी के सांसद जयंत चौधरी, राजद के मनोज कुमार झा, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, जदयू के ललन सिंह और अनिल प्रसाद हेगड़े, सीपीआई केपी संदोश कुमार और सीपीआई (एम) के एए रहीम सहित अन्य सांसद शामिल हैं।

Web Title: Manipur Violence: What is the root cause of violent conflict between Meitei and Kuki, know here

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