मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट यौन हिंसा में पुलिस की मिलीभगत पर हुआ तल्ख, एसआईटी से कहा- 'आरोपों की सख्त जांच करें'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 11, 2023 09:32 AM2023-08-11T09:32:31+5:302023-08-11T09:37:20+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए गैंगरेप और उत्पीड़न के केस में पुलिस अधिकारियों के मिलीभगत के आरोपों पर बेहद तल्ख होते हुए एसआईटी को आदेश दिया है कि वो इन आरोपों की बेहद सख्ती से जांच करे।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए गैंगरेप और उत्पीड़न के केस में पुलिस अधिकारियों के मिलीभगत के आरोपों पर सख्ती दिखाते हुए स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को आदेश दिया है कि वो इस मामले में गहन जांच करें और आरोपों के तथ्यों की पूरी तस्दीक करें।
समाचार वेबसाइट द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सु्प्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को हिंसाग्रस्त मणिपुर में आरोपों की जांच में हो रही देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जांच प्रक्रिया में उजागर हो रहीं खामियां राज्य के लिए अच्छी नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के विस्तृत आदेश में एसआईटी को निर्देश दिया है कि वो बेहद कड़ाई से मामलों की जांच करें।
कोर्ट ने एसआईटी को हेड कर रहे महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को कहा कि वो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने वाली 11 एफआईआर को बेहद गंभीरता से लें। कोर्ट ने पूर्व डीजी पडसलगीकर सहित तीन सदस्यीय कमेटी को दो महीने में रिपोर्ट देने को कहा है।
इसके साथ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने गृह मंत्रालय को आदेश दिया कि वो इस जांच के लिए डिप्टी एसपी रैंक के पांच महिला अधिकारियों को नियुक्त करे। जिनमें से एक राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली से होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सांप्रदायिक हिसा के दौरान महिलाओं के साथ की गई बर्बरता और यौन हिंसा के गंभीर कृत्यों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अपने आदेश के पेज नंबर 36 पेज में हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल, शालिनी पी जोशी और आशा मेनन की तीन सदस्यीय समिति को महिलाओं के साथ हुई अमानवीय हिंसा की जांच का काम सौंपा है।