मणिपुर हिंसा: कांगपोकपी के कुकी बहुल गांव में हुई फायरिंग, नौ की मौत
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 14, 2023 12:26 IST2023-06-14T12:21:44+5:302023-06-14T12:26:42+5:30
मणिपुर में जारी सामुदायिक हिंसा में बुधवार को उस समय विस्फोटक स्थिति पैदा हो गई, जब हिंसाग्रस्त कांगपोकपी जिले के कुकी बहुल गांव में हुई भीषण गोलाबारी में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई।

फाइल फोटो
इंफाल:मणिपुर में जारी सामुदायिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा जानकारी के अनुसार बुधवार को हिंसाग्रस्त कांगपोकपी जिले के कुकी बहुल गांव में हुई भीषण गोलाबारी में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों घायल बताए जा रहे हैं। खबरों के मुताबिक घायलों में कुछ हालत बेहद गंभीर है। सभी घायलों को प्रशासन की ओर से चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा रही है और साथ ही सुरक्षाबल लगातार शांति बहाली का प्रयास कर रहे हैं।
समाचार वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड के अनुसार अभी तक सरकार या मौके पर मौजूद सुरक्षा बलों द्वारा घटना को सत्यापित नहीं किया गया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कांगपोकली जिले के खमेनलोक गांव में बुधवार के तड़के हुई गोलीबारी हुई। जिसमें कम से कम 9 लोगों के मारे जाने की सूचना है।
मणिपुर हिंसा में 3 मई से शुरू हुई हिंसा के बाद से अब तक गोलाबारी में कम से कम 100 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 50 हजार से ज्यादा नागरिकों को अपना घर छोड़कर राहत कैंपों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है। केंद्र और राज्य सरकार लगातार हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाली का प्रयास कर रहे हैं लेकिन कुकी और मेइतेयी समुदाय के बीच चल रहा टकराव शांत होने का नाम नहीं ले रहा है।
मई महीने के शुरूआती दिनों में शुरू हुए हिंसक संघर्ष में कुकी संगठनों का विरोध बेहद प्रबल है, जो राज्य सरकार को बहुसंख्यक मेइतेयी समुदाय को एसटी का दर्जा देने के कदम का विरोध कर रहे हैं। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा को शांत करने के लिए राज्यपाल अनुसुइया उइके की अगुवाई में एक शांति समिति बनाई है लेकिन हिंसा की जद में आने वाले कुकी और मेइतेयी समुदायों से जुड़े प्रभावशाली संगठनों ने शांति समिति के बहिष्कार का ऐलान किया है।
उसके ठीक एक दिन के बाद यानी बुधवार को हुई इस घटना से केंद्र और राज्य सरकार की परेशानी में इजाफा हो गया है, जो लगातार जनता से शांति की अपील कर रहे हैं। दोनों समूहों ने कहा कि शांति समिति की पहल उस वक्त बेमानी रहेगी, जब तक कि हिंसा के कारण हुई हत्याओं में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई नही की जाती है।
मौजूदा वक्त की बात करें तो मणिपुर में हिंसा को समाप्त करने के लिए राज्य पुलिस, केंद्रीय पुलिस बल और सेना सहित लगभग 40,000 सुरक्षा बल अभी भी हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात हैं और किसी भी तरह के हिंसक अफवाह को रोकने के लिए इस वक्त पूरे मणिपुर में मोबाइल और ब्रॉडबैंड इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है।