नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को लोकमत के एक कार्यक्रम में हरिद्वार और अन्य स्थानों पर हुई धर्म संसद में हुई बयानबाजी की निंदा की। उन्होंने कहा कि धर्म संसद में जो कहा गया वह हिंदुत्व नहीं है। भागवत रविवार को लोकमत के नागपुर संस्करण के स्वर्ण महोत्सव के निमित्त 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता' विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे।
इस बीच आरएसएस प्रमुख के बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले वे मारते हैं फिर कहते हैं कि कुछ नहीं किया। भागवत के बयान पर जब उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई तो वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, अगर वे पहले लोगों को समझाते तो ऐसी चीजें हर जगह नहीं होती। पहले मारते हैं फिर बाद में कहते हैं कि हमने कुछ नहीं कहा, लोग खुद ऐसा कर रहे हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरएसएस की विचारधारा का जिक्र करते हुए आगे कहा कि जिन लोगों को आप (भागवत) ट्रेनिंग दे रहे हैं पहले उन्हें देश के बारे में समझाएं। मिलकर रहने की सोच को समझाएं। देश का संविधान क्या कहता है उसको देखिए। उसके बाद आप कह सकते हैं कि हमारे कहने के बावज़ूद भी आप लोग कर रहे हैं इसलिए हम आपसे दूर हैं।
मोहन भागवत ने धर्म संसद में दिए बयानों पर बोलते हुए कहा कि धर्म संसद में हिंदुत्व के नाम पर अतिवादी लोग बोल रहे थे, वह हिंदुत्व बिल्कुल नहीं है। ऐसे बयान अनुचित हैं। भागवत ने कहा कि कुछ हिंदुत्ववादी आज जिसे हिंदुत्व मान रहे हैं, हकीकत में वह ऐसा नहीं है। भागवत ने कहा कि हिंदुत्व में जाति, पंथ मतभेद का स्थान नहीं है। अंग्रेजों को मालूम था कि सभी को जोड़ने वाले विचार को अगर भुला दिया गया तो देश टूटेगा। उन्होंने ऐसा ही करने का प्रयास भी किया। आज भी धर्म के नाम पर देश को तोड़ने का षड्यंत्र आरंभ है।