नई दिल्ली: कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कहा कि वे उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने के टीएमसी के फैसले के पीछे का कारण जानने की कोशिश करेंगे। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि विपक्ष एकजुट होकर काम करे। हम टीएमसी के इस अचानक फैसले के पीछे का कारण जानने की कोशिश करेंगे।"
ममता बनर्जी की पार्टी ने गुरुवार को विपक्षी उम्मीदवार का फैसला करते समय लूप में नहीं रखे जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने की घोषणा की। विपक्षी दलों ने 17 जुलाई को राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को चुनाव के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में नामित करने का फैसला किया था। एनडीए ने छह अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है।
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि विपक्षी उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए उनकी पार्टी को परामर्श और विचार-विमर्श का हिस्सा नहीं बनाया गया। ऐसे में बनर्जी ने कहा था कि हम टीएमसी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा करने की प्रक्रिया से असहमत हैं। हमसे न तो कोई सलाह ली गई और न ही हमसे किसी बात पर चर्चा की गई। इसलिए हम विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकते।
उन्होंने ये भी कहा था कि एनडीए उम्मीदवार, विशेष रूप से धनखड़ का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है, जिनका जुलाई 2019 में राज्य का राज्यपाल बनने के बाद से ममता बनर्जी सरकार के साथ लगातार टकराव रहा है। पीटीआई के अनुसार, बनर्जी ने कहा कि एनडीए उम्मीदवार खासकर जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे ने कहा कि आज की बैठक में टीएमसी सांसदों ने सर्वसम्मति से उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया।
टीएमसी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए कुछ नामों का सुझाव दिया था और चर्चा चल रही थी लेकिन "अचानक एक उम्मीदवार की घोषणा की गई"। बनर्जी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के फैसले से विपक्षी एकता प्रभावित नहीं होगी और इससे एनडीए उम्मीदवार को भी मदद नहीं मिलेगी।