नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान उनके भाषण के दौरान उनका माइक बंद कर दिए जाने से उनके आत्मसम्मान को चुनौती मिली है। उन्होंने कहा, "यह मेरे विशेषाधिकार का हनन था। यह मेरा अपमान है। मेरे स्वाभिमान को चुनौती दी गई है। अगर सदन सरकार के इशारे पर चलेगा तो मैं समझ जाऊंगा कि यह लोकतंत्र नहीं है।"
उच्च सदन में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत खड़गे ने भाषण के बीच में रोके जाने के बाद अपना आक्रोश व्यक्त किया, जिससे विपक्षी सदस्यों ने तुरंत हंगामा शुरू कर दिया। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें अपनी सीट पर बैठने को कहा। जब उन्होंने खड़गे को बताया कि उनके पीछे कई सांसद कतार में खड़े हैं तो कांग्रेस नेता ने कहा, "मेरे पीछे अगर खड़े नहीं होंगे तो क्या मोदी के पीछे खड़े होंगे?"
धनखड़ ने खड़गे और सदन के नेता पीयूष गोयल से व्यवस्था बहाल करने में मदद करने की अपील की। इन प्रयासों के बावजूद, विद्वेषपूर्ण आदान-प्रदान जारी रहा। सभापति ने स्पष्ट किया कि माइक बंद नहीं किया गया था। धनखड़ ने कहा, जब सदन एक विधायी मामले पर चर्चा कर रहा था तो खड़गे को मंच दिया गया।
उन्होंने कहा, "कोई भी अपराध होता है...सदन में हर कोई जानता है कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। उस समय उपसभापति ने हस्तक्षेप किया। तो, ऐसा नहीं था कि माइक बंद कर दिए गए थे।"