ब्लैक फंगस संक्रमण को महामारी रोग अधिनियम के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाएं : केंद्र का राज्यों से आग्रह

By भाषा | Updated: May 20, 2021 23:53 IST2021-05-20T23:53:43+5:302021-05-20T23:53:43+5:30

Make black fungus infection a notifiable disease under the Epidemic Diseases Act: Center urges states | ब्लैक फंगस संक्रमण को महामारी रोग अधिनियम के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाएं : केंद्र का राज्यों से आग्रह

ब्लैक फंगस संक्रमण को महामारी रोग अधिनियम के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाएं : केंद्र का राज्यों से आग्रह

नयी दिल्ली, 20 मई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने आग्रह किया है। इसने यह भी कहा है कि इस संक्रमण से कोविड-19 रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि हालिया समय में कई राज्यों से कोविड रोगियों में फंगस संक्रमण ‘म्यूकरमाइकोसिस’ के रूप में एक नयी चुनौती सामने आई है।

इसने कहा कि यह बीमारी खासकर ऐसे कोविड रोगियों में देखने को मिल रही है जिन्हें स्टेरॉइड पद्धति उपचार मिला है और जिनका शर्करा स्तर अनियंत्रित है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘फंगस संक्रमण का परिणाम कोविड रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है।’’

उन्होंने कहा कि इस संक्रमण के उपचार के लिए विभिन्न नजरियों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है जिसमें आंखों के सर्जन, कान-नाक-गला विशेषज्ञों, सामान्य सर्जन और अन्य का दृष्टिकोण शामिल हो तथा कवक रोधी दवा के रूप में एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘आपसे आग्रह है कि म्यूकरमाइकोसिस को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाएं, जिसमें सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य प्रतिष्ठान, मेडिकल कॉलेज म्यूकरमाइकोसिस संबंधी निगरानी, निदान, प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे।’’

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्र में यह भी कहा है, ‘‘और, सभी प्रतिष्ठानों के लिए यह आवश्यक बनाया जाए कि वे सभी संदिग्ध तथा पुष्ट मामलों की सूचना जिला स्तर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को और फिर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) निगरानी प्रणाली को दें।’’

इस बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज केंद्र से कहा कि वह उन कदमों की जानकारी दे जो ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा के आयात के लिए उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह, दवा की मौजूदा उत्पादन क्षमता, इसके उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त विनिर्माताओं की विस्तृत जानकारी, इस दवा के उत्पादन की क्षमता में वृद्धि और कब तक बढ़ा हुआ उत्पादन शुरू होगा, यह जानकारी मुहैया कराए।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि केंद्र को अब एम्फोटेरिसिन बी दवा को, दुनिया में जहां भी उपलब्ध है, वहां से लाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

अदालत को केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह और अमित महाजन ने सूचित किया कि 19 मई तक के आंकड़ों के अनुसार इस समय देश में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के 7,251 मामले तथा दिल्ली में करीब 200 मामले सामने आए हैं। कुछ राज्यों में इससे मौतें भी हुई हैं। महाराष्ट्र में इस बीमारी से 90 लोगों की मौत दर्ज की गई है।

इस बीच रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनुसख मांडविया ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) की दवा एम्फोटेरिसिन बी की कमी का जल्द समाधान कर दिया जाएगा। मौजूदा छह दवा कंपनियों के अतिरिक्त, तीन दिन के भीतर, पांच और दवा कंपनियों को भारत में इस दवा के उत्पादन की मंजूरी मिली है।’’

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस को महामारी घोषित किया जाएगा। उन्होंने अस्पतालों से आग्रह किया कि वे कोविड-19 के उपचार में स्टेरॉइड दवाओं का नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करें।

केजरीवाल ने यह भी कहा कि दिल्ली में सरकार संचालित तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए समर्पित केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

इस बीच, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि समर्थ दवा कंपनियों को देश में एम्फोटेरिसिन बी दवा के विनिर्माण की अनुमति दी जाए।

वहीं, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य में इस वक्त चिंता का सबसे बड़ा विषय म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस है जिसके कारण राज्य में 90 लोगों की जान जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इसके उपचार के लिए अधिक मात्रा में दवाओं की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी की महाराष्ट्र के 17 जिलाधिकारियों के साथ हुई बैठक में टोपे ने यह बात कही।

टोपे ने राज्य के लिए मांगें रखते हुए कहा कि कोविड-19 के मामलों में कमी आने के चलते रेमडेसिविर जैसी दवाओं और ऑक्सीजन की आवश्यकता स्थिर हुई है और फिलहाल महाराष्ट्र में म्यूकरमाइकोसिस चिंता का प्रमुख विषय बना हुआ है।

इससे पहले, बुधवार को टोपे ने संवाददाताओं से कहा था कि म्यूकरमाइकोसिस के उपचार में काम आने वाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी की महाराष्ट्र में कमी है और राज्य को इस दवा की केवल 16,000 शीशियां ही केंद्र से मिली हैं जबकि आवश्यकता डेढ़ से दो लाख शीशियों की है।

बैठक के बाद टोपे ने आज कहा, ‘‘मैंने केंद्र को सूचित किया है कि राज्य सरकार के समक्ष म्यूकरमाइकोसिस चिंता का प्राथमिक विषय है। राज्य में इसके अधिक मामले होने के कारण एम्फोटेरिसिन-बी दवा के अधिक आवंटन और आपूर्ति की जरूरत है।’’

दूसरी ओर तेलंगाना सरकार ने बयान जारी कर बताया कि महामारी रोग अधिनियम के तहत ब्लैक फंगस को प्रदेश सरकार ने आज अधिसूच्य बीमारी घोषित कर दिया ।

इधर ओड़िशा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बयान जारी कर कहा कि राज्य सरकार ने महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत ब्लैक फंगस अथवा म्यूकरमाइकोसिस को अधिसूच्य बीमारी घोषित कर दिया है।

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