'...तो भारत की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी', धर्म परिवर्तन आयोजनों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने की सख्त टिप्पणी

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 2, 2024 10:51 IST2024-07-02T10:49:37+5:302024-07-02T10:51:03+5:30

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने कहा कि ऐसी धार्मिक सभाओं को तुरंत रोका जाना चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा हो और भारत के नागरिकों का धर्म बदला जा रहा हो।

majority population of India will become a minority Allahabad High Court on religious conversion events | '...तो भारत की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी', धर्म परिवर्तन आयोजनों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने की सख्त टिप्पणी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)

Highlightsधर्म परिवर्तन आयोजनों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने की सख्त टिप्पणीकहा- भारत की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगीकहा- ऐसी धार्मिक सभाओं को तुरंत रोका जाना चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा हो

नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार, 1 जुलाई एक अहम टिप्पणी में कहा कि यदि धर्म परिवर्तन की मौजूदा प्रवृत्ति जारी रही तो भारत की बहुसंख्यक आबादी एक दिन खुद को अल्पसंख्यक पाएगी। एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने ये टिप्पणी की। 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जिस व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी उस पर  उत्तर प्रदेश के एक गांव से लोगों को उनके कल्याण के लिए  एक धार्मिक मण्डली में ले जाने और उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का आरोप है। अदालत ने कहा कि यदि धार्मिक सभाओं में धर्मांतरण की मौजूदा प्रवृत्ति को नहीं रोका गया तो खुद को अल्पमत में पाओगे।

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने इस टिप्पणी के साथ आगे कहा कि ऐसी धार्मिक सभाओं को तुरंत रोका जाना चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा हो और भारत के नागरिकों का धर्म बदला जा रहा हो। उच्च न्यायालय ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि पूरे उत्तर प्रदेश में एससी/एसटी और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों के लोगों को गैरकानूनी तरीके से ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की व्यापक प्रथा है।

अदालत ने कहा, "कई मामलों में इस न्यायालय के संज्ञान में आया है कि एससी/एसटी जातियों और आर्थिक रूप से गरीब व्यक्तियों सहित अन्य जातियों के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की गैरकानूनी गतिविधि पूरे उत्तर प्रदेश राज्य में बड़े पैमाने पर की जा रही है।"

संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के धर्मांतरण इसके प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। अनुच्छेद 25 धर्म का अभ्यास करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है, जिसमें धर्म को बढ़ावा देने का अधिकार शामिल है लेकिन स्पष्ट रूप से धार्मिक रूपांतरण का समर्थन नहीं करता है। 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि  "प्रचार' शब्द का अर्थ प्रचार करना है, लेकिन इसका मतलब किसी व्यक्ति को उसके धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है।"

Web Title: majority population of India will become a minority Allahabad High Court on religious conversion events

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