बिलकिस बानो मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले महुआ मोइत्रा का भाजपा पर तंज, ट्वीट कर कही ये बात

By मनाली रस्तोगी | Published: August 25, 2022 10:20 AM2022-08-25T10:20:20+5:302022-08-25T10:21:08+5:30

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि उम्रकैद की सजा का मतलब 'बिना किसी ठोस कारण के थोक छूट' नहीं है, न ही माला या लड्डू। चीफ जस्टिस एनवी रमना रिहाई के खिलाफ तीन याचिकाओं पर आज सुनवाई करेंगे।

Mahua Moitra's jibe at calculated tears ahead of Bilkis Bano top court hearing | बिलकिस बानो मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले महुआ मोइत्रा का भाजपा पर तंज, ट्वीट कर कही ये बात

बिलकिस बानो मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले महुआ मोइत्रा का भाजपा पर तंज, ट्वीट कर कही ये बात

Highlightsतृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने बिलकिस बानो को लेकर भाजपा पर तंज कसामोइत्रा ने कहा कि भाजपा की नारी शक्ति ब्रिगेड द्वारा बेतरतीब ढंग से देरी से गणना किए गए आंसू बर्फ नहीं काटते। मोइत्रा याचिकाकर्ताओं में से एक हैं क्योंकि उन्होंने 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।

नई दिल्ली: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। ऐसे में सुनवाई से पहले तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तंज कसते हुए नजर आईं। मोइत्रा ने कहा कि भाजपा की नारी शक्ति ब्रिगेड द्वारा बेतरतीब ढंग से देरी से गणना किए गए आंसू बर्फ नहीं काटते। 

मोइत्रा याचिकाकर्ताओं में से एक हैं क्योंकि उन्होंने 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। मोइत्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, "11 दोषियों को तकनीकी रूप से मौत की सजा के योग्य "दुर्लभ से दुर्लभ" अपराधों का दोषी ठहराया गया। जीवन का अर्थ जीवन होना चाहिए। बिना ठोस कारण के थोक छूट नहीं। माला और लड्डू नहीं। भाजपा की नारी शक्ति ब्रिगेड द्वारा बेतरतीब देरी से गणना किए गए आंसू बर्फ नहीं काटते।"

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना सीपीएम नेता सुभाषिनी अली द्वारा अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महुआ मोइत्रा द्वारा अभिषेक सिंघवी और तीसरी याचिका वकील अपर्णा भट के माध्यम से दायर की गई रिहाई के खिलाफ तीन याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे। गोधरा दंगों के बाद बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए 2008 में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

15 अगस्त को गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति का पालन करते हुए उन्हें रिहा कर दिया। इस फैसले से देश भर में आक्रोश फैल गया जबकि राज्य सरकार ने रिहाई का बचाव किया। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले में 11 आजीवन दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छूट के खिलाफ याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सहमत हो गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनौती उन सिद्धांतों के खिलाफ है जिनके आधार पर छूट दी गई थी। अपनी याचिका में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि छूट "या तो सामाजिक या मानवीय न्याय" को मजबूत करने में पूरी तरह से विफल है और राज्य की निर्देशित विवेकाधीन शक्ति का एक वैध अभ्यास नहीं है।

Web Title: Mahua Moitra's jibe at calculated tears ahead of Bilkis Bano top court hearing

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