महाराष्ट्र में बहुमत परीक्षण कल, स्पीकर नहीं, प्रोटेम स्पीकर कराएगा फ्लोर टेस्ट, सीधा प्रसारण होगा: सुप्रीम कोर्ट
By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: November 26, 2019 11:24 IST2019-11-26T10:44:12+5:302019-11-26T11:24:57+5:30
महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट नेे बड़ा फैसला किया है। कल (27 नवंबर) को शक्ति परीक्षण होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि शक्ति परीक्षण में कोई गुप्त मतदान नहीं होगा। कोर्ट ने कहा है कि फ्लोर टेस्ट का टीवी पर सीधा प्रसारण किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की इमारत। (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र के सियासी संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि महाराष्ट्र विधानसभा में कल (27 नवंबर) को शक्ति परीक्षण होगा। सुप्रीम कोर्ट आदेश के मुताबिक, शक्ति परीक्षण शाम पांच बजे तक संपन्न कराना होगा। बहुमत परीक्षण के लिए कोई गुप्त मतदान नहीं होगा। कल शाम पांच बजे से पहले विधायकों का शपथ ग्रहण होगा।
शीर्ष अदालत के फैसले बड़ी बात यह है कि फ्लोर टेस्ट के लिए स्पीकर का चुनाव नहीं होगा। कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रोटेम स्पीकर ही शक्ति परीक्षण कराएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विधायकों के शपथ ग्रहण के तुरंत बार बहुमत साबित करने के लिए सदन में शक्ति परीक्षण होगा।
उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निर्देश दिया कि वह यह भी सुनिश्चित करें कि सदन के सभी निर्वाचित सदस्य बुधवार को ही शपथ ग्रहण करें।
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान गुप्त मतदान नहीं हो और विधानसभा की पूरी कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाए। राज्यपाल राज्य विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष को भी नियुक्त करेंगे जो नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलवाएंगे।
Senior Advocate Devadutt Kamat for Congress-NCP-Shiv Sena: SC has directed Floor Test tomorrow at 5pm, to be conducted by Pro-tem Speaker. During Floor Test, there will be no secret ballot and proceedings will be telecast live https://t.co/FApKC7Qu6kpic.twitter.com/7JLQ2HX8eG
— ANI (@ANI) November 26, 2019
बता दें कि महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों को उम्मीद थी कि शीर्ष अदालत का फैसला उनके हक में आएगा। इसके पीछे कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के पांच अहम फैसलों को आधार माना था। कांग्रेस ने दावा किया था कि यह एकदम संभव है कि शीर्ष अदालत 24 घंटे में शक्ति परीक्षण कराए जाने का आदेश सुनाए।
शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंकाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट से जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण कराए जाने को लेकर मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट के पिछले पांच फैसले जिनसे जिंदा थी विपक्ष की उम्मीद
वर्तमान महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट और कर्नाटक के 2018 के मामले में कई तरह की समानता है। कर्नाटक के मामले में कांग्रेस का आरोप था कि गर्वनर ने बीजेपी के पास विधायकों के संख्याबल को सुनिश्चित किए बिना बीएय येदियुरप्पा को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया था। तब अदालत ने 24 घंटे के भीतर शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया था।
तब तीन न्यायमूर्तियों एएस सीकरी, एसए बोबडे और अशोक भूषण की पीठ ने आदेश दिया था कि राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना कानूनी रूप से वैध है या नहीं, यह देखने के लिए विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। चूंकि इसमें पर्याप्त समय का लग सकता है और अंतिम फैसला तुरंत नहीं दिया जा सकता है, हम इसे उचित मानते हैं कि दलों के बहुमत का पता लगाने के लिए तुरंत और बिना किसी देरी के शक्ति परीक्षण आयोजित किया जाए। हालांकि राज्यपाल ने अपने पत्र में तारीख 16.05.2018 को प्रतिवादी नंबर 3 (बीजेपी) को आमंत्रित करते हुए कहा कि उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। मामले की सभी परिस्थितियों को देखते हुए इस तरह का फ्लोर टेस्ट कल यानी 19.05.2018 को आयोजित किया जाएगा।
2017 में इसी तरह का मामला गोवा विधानसभा को लेकर था। कांग्रेस ने गोवा के राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में तीन जजों की पीठ ने 48 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था।
2016 के उत्तराखंड ऐसे की एक मामले में शीर्ष अदालत ने 9 मई 2017 को आदेश पारित कर 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का निर्देश दिया था।
2005 के झारखंड के अनिल कुमार झा बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि झारखंड विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 48 घंटे के भीतर एक फ्लोर टेस्ट आयोजित होना चाहिए।
1998 में भी जगदंबिका पाल से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए 48 घंटे का समय दिया था।