उंब्रा: महाराष्ट्र के ऐतिहासिक शहर औरंगाबाद का नाम बदलने जाने और संभाजीनगर नाम की अधिसूचना जारी होने के बाद भड़के ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद इम्तियाज जलील ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सांसद जलील ने केंद्र सरकार द्वारा 24 फरवरी 2023 को नये नामकरण प्रस्ताव को हरी झंडी दिये जाने पर कहा, "इम्तियाज जलील औरंगाबाद के सांसद थे और औरंगाबाद के सांसद रहेंगे। औरंगाबाद का नाम बदलने पर कोई नाच रहा है, कोई झूम रहा है लेकिन मैं औरंगाबाद में पैदा हुआ और औरंगाबाद में ही मरूंगा।"
सांसद इम्तियाज जलील की इस तीखी प्रतिक्रिया से साबित हो रहा है कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर किए जाने का मामला अधिसूचना जारी होने के बाद भी ठंडा नहीं होने जा रहा है। इससे पूर्व जब तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार की ओर से सत्ता के विदाई के क्रम में 20 अक्टूबर 2022 को जब केंद्र सरकार से औरंगाबाद का नाम बदलने जाने और उसे संभाजीनगर किये जाने का प्रस्ताव भेजा गया था। तब भी सांसद जलील ने उसका विरोध किया था और कहा था कि सवाल किसी शहर के नाम बदलने का नहीं है, अगर नाम बदला जाता है, तो इसके लिए भारी मात्रा में पैसे की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा था कि अगर आप किसी शहर का नाम बदलते हैं तो उसमें लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत आती है और दिल्ली के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि औरंगाबाद जैसे शहर के लिए तो नाम बदलने में कम से कम 1,000 करोड़ रुपये तक खर्च हो सकते हैं। यह सिर्फ सरकारी दस्तावेजों और चिट्ठी-पत्री के लिए बदलने का मामला नहीं है। यह करदाताओं का पैसा है, जो आपका और मेरा है। इसलिए ऐसा करना सही नहीं होगा।
एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील ने उस चिंता के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और महाविकास अघाड़ सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि उद्धव ठाकरे केवल अपनी सरकार को बचाने के लिए औरंगाबाद का नाम बदल रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो हर चीज को सांप्रदायिक रंग में रंगना चाहते हैं। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जो हिंदुओं-मुसलमानों से जुड़ा है।