मुंबईः शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने रविवार को कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद भी महायुति द्वारा मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं किया जाना और सरकार न बना पाना महाराष्ट्र का ‘अपमान’ है। ठाकरे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के जरिए सवाल उठाया कि राज्य में अभी तक राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया गया है? महायुति के सबसे बड़े घटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा कि सरकार बनाने का दावा पेश किए बिना ही शपथ ग्रहण की तारीख की एकतरफा घोषणा करना "पूर्ण अराजकता" है।
भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गठबंधन वाले महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भारी जीत के साथ सत्ता बरकरार रखी। भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र में नयी महायुति सरकार का शपथग्रहण पांच दिसंबर की शाम को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा।
अभी तक इस बात की घोषणा नहीं की गई है कि नया मुख्यमंत्री कौन होगा लेकिन भाजपा सूत्रों ने बताया कि देवेंद्र फड़नवीस का नाम सबसे आगे है। फडणवीस दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली निवर्तमान सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। शिंदे शुक्रवार को सातारा जिले में अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हुए थे।
इस बीच अटकलें लगाई जाने लगीं कि वह राज्य की नयी सरकार के गठन के लिए हो रही कवायद के तरीके से खुश नहीं हैं। उनके एक निकट सहयोगी ने कहा कि शिंदे को अपने पैतृक गांव में तेज बुखार हो गया था, उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और वह रविवार शाम को मुंबई लौटेंगे।
महायुति पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद भी मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला न कर पाना और सरकार न बना पाना न केवल महाराष्ट्र का अपमान है, बल्कि उनके प्रिय निर्वाचन आयोग द्वारा की गई मदद का भी अपमान है।’’
शिवसेना (यूबीटी) विधायक दल के नेता ने अपनी ‘पोस्ट’ में कहा कि ऐसा लगता है कि नियम केवल विपक्षी दलों पर लागू होते हैं, कुछ ‘‘विशेष लोगों’’ पर नहीं। उन्होंने दावा किया, ‘‘सरकार बनाने का दावा किए बिना और माननीय राज्यपाल के समक्ष संख्याबल साबित किए बिना, एकतरफा तरीके से शपथ ग्रहण की तारीख घोषित करना पूरी तरह अराजकता है।’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘और इस सब के बीच कार्यवाहक मुख्यमंत्री छुट्टी पर चले गए हैं...।’’ शिवसेना (यूबीटी) नेता ने सवाल उठाया, ‘‘राष्ट्रपति शासन का क्या हुआ? क्या यह अब तक लागू नहीं हो जाना चाहिए था? अगर विपक्ष के पास संख्या बल होता और निर्णय नहीं हो पाता तो क्या तब भी ऐसा नहीं होता?’’