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महाराणा प्रताप जयंतीः महान योद्धा जिसके सामने मुगल-ए-आजम के भी छूट जाते थे पसीने, जानिए रोचक तथ्य,

By रामदीप मिश्रा | Updated: May 9, 2018 07:21 IST

महाराणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट था। उनका वजन 110 किलोग्राम था। उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और भाले का वजन 80 किलो था।

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नई दिल्ली, 9 मईः महाराणा प्रताप का नाम जुबान पर आते ही एक महान योद्धा की तस्वीर उभरकर सामने आ जाती है। उन्होंने मुगल बादशाह अकबर के सामने मरते दम तक शीश नहीं झुकाया और कहा जाता है जब भी प्रताप से अकबर का सामना होता था तो उसके पसीने छूट जाते थे। यही वजह रही है इतिहास के सुनहरे पन्नों में महाराणा प्रताप का नाम दर्ज किया गया, ऐसे महान योद्धा की आज जयंती है। आइए आपको उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं।

1- महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 में मेवाड़ (राजस्थान) में हुआ। वह राजा उदयसिंह के पुत्र थे। वह बचपन से ही वीर और साहसी थे। उन्होंने जीवन भर अपनी मातृभूमि की रक्षा और स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया।

2- कहा जाता है कि महाराणा प्रताप का कद साढ़े सात फुट था। उनका वजन 110 किलोग्राम था। उनके सुरक्षा कवच का वजन 72 किलोग्राम और भाले का वजन 80 किलो था। कवच, भाला, ढाल और तलवार आदि को मिलाये तो वे युद्ध में 200 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन उठाकर लड़ते थे। 

3- महाराणा प्रताप के सामने अकबर ने प्रस्ताव रखा था कि अगर वह उनकी सियासत को स्वीकार करते है, तो आधे हिंदुस्तान की सत्ता उनको दे दी जाएगी, लेकिन उन्होंने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। 

4- 30 वर्षों तक प्रयास करने के बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सका।

5- महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हल्दीघाटी का महायुद्ध 1576 ई. लड़ा गया। 

6- इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना में सिर्फ 20000 सैनिक और अकबर की सेना के 85000 सैनिक थे। अकबर की विशाल सेना और संसाधनों की ताकत के बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और मातृभूमि के सम्मान के लिए संघर्ष करते रहे। 

7- बताया जाता है कि हल्दीघाटी का युद्ध इतना भयंकर था कि युद्ध के 300 वर्षों बाद भी वहां पर तलवारें पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 को हल्दीघाटी में मिला था।

8- महाराणा प्रताप की वीरता के साथ-साथ उनके घोड़े चेतक की वीरता भी विश्व विख्यात है। चेतक बहुत ही समझदार और वीर घोड़ा था।

9- चेतन ने अपनी जान दांव पर लगाकर 26 फीट गहरे दरिया से कूदकर महाराणा प्रताप की रक्षा की थी। हल्दीघाटी में आज भी चेतक का मंदिर बना हुआ है।

10- ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप की म्रत्यु की खबर सुनकर अकबर भी सुन्न हो गया था। अकबार जानता था कि महाराणा प्रताप जैसा वीर पुरुष पूरे विश्व में नहीं है।

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