मध्य प्रदेश चुनावः ये है उज्जैन की 7 सीटों का लेखा-जोखा, दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान बजा चुके हैं डंका

By बृजेश परमार | Published: October 31, 2018 07:40 AM2018-10-31T07:40:21+5:302018-10-31T07:40:21+5:30

विधानसभा चुनाव 2018 की रणभेरी बज चुकी है। निर्वाचन आयोग अपने काम में लगा हुआ है और प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा अपने काम में। 

Madhya Pradesh Election: 7 seats of Ujjain, Digvijay Singh and Shivraj Singh Chauhan have great history | मध्य प्रदेश चुनावः ये है उज्जैन की 7 सीटों का लेखा-जोखा, दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान बजा चुके हैं डंका

मध्य प्रदेश चुनावः ये है उज्जैन की 7 सीटों का लेखा-जोखा, दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान बजा चुके हैं डंका

उज्जैन जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 5 पर आगामी समय में बहुत कुछ तब्दील हो जाएगा। दोनों ही दलों में तब्दीली की बयार साफ तौर पर देखी जा रही है। यह तब्दीली की बयार अंतिम दौर तक बनी रहना चर्चा का विषय है। सत्ताधारी भाजपा हो या विपक्षी कांग्रेस। दोनों ही दलों में तब्दीली की हवा बराबर दबाव बनाए हुए हैं। इसी के चलते बहुत कुछ चर्चाओं में सामने आ रहा है। पार्टीगत स्तर पर तो यह चर्चा है, इसके साथ ही आम मतदाताओं में भी इस पर चौपाल पर चर्चा हो रही है। आगामी समय में सब कुछ सामने होगा।

विधानसभा चुनाव 2018 की रणभेरी बज चुकी है। निर्वाचन आयोग अपने काम में लगा हुआ है और प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा अपने काम में। दोनों ही दल अपने प्रत्याशी चयन को लेकर गंभीरता की स्थिति में आ चुके हैं। जिलास्तर से लेकर केन्द्रीय समिति तक संभावित प्रत्याशियों के पैनल पहुंच चुके हैं।

इससे पूर्व दोनों ही दल अपने-अपने स्तर पर गोपनीय रूप से सर्वे करवा चुके हैं और सर्वे में अपने प्रत्याशियों की स्थिति को साफतौर पर आंक चुके हैं। इसी के चलते जिले में सात में से पांच सीटों पर सत्ताधारी दल तब्दीली कर सकता है।

यही स्थिति कांग्रेस की भी हो सकती है। यही स्थिति मतदाता भी मन में बनाए हुए हैं। पूरे 15 साल भाजपा शासन में मतदाता अपने आपको काफी महसूस कर रहा था। परिवर्तन संसार का नियम है और मतदाता भी इसी बात का अनुसरण कर रहा है। आगामी समय में प्रत्याशी चयन से तब्दीली का आधार मुख्य होगा।

पूर्व अनुभव रहे हैं कि कांग्रेस के दूसरे शासनकाल में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सत्ता प्राप्ति के लिए चेहरे तब्दील कर दिए थे और वही जीत का मुख्य आधार बना था। यही स्थिति शिवराज सिंह चौहान ने 2008 में और 2013 में इस्तेमाल की थी। इसी रणनीति के चलते वे पुन: सत्ता में बने रहे।

सीटवार तब्दीली का आधार

उज्जैन जिला सात विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित है। उज्जैन में दोनों ही दलों के लिए चलने वाली हवा मध्यप्रदेश की हवा को तब्दील करने में काफी मायने रखती है। यही कारण है कि दोनों ही दल अपनी विधानसभा चुनाव की तैयारी और श्रीगणेश उज्जैन से ही कर रहे हैं। चाहे जन आशीर्वाद यात्रा हो या फिर कांग्रेस का अपना अभियान। उज्जैन से ही दोनों ने शुरुआत की है।

विधानसभा क्षेत्र उज्जैन-दक्षिण

भाजपा- भाजपा की ओर से वर्तमान विधायक डॉ। मोहन यादव मूलत: दावेदार हैं। लेकिन सपाक्स और करणी सेना के विरुद्ध हाल ही में उनके द्वारा दिए गए विवादित बयान के चलते पार्टी स्तर पर नया विचार हो रहा है। यह बात अलग है कि श्री यादव ने अपने बयान का खंडन कर दिया है और वे मुकर भी गए। भाजपा में जन अभियान परिषद उपाध्यक्ष प्रदीप पांडे और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राजपालसिंह सिसोदिया के नाम भी इस सीट पर जोर शोर से लिए जा रहे हैं।

कांग्रेस- वर्ष 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में उज्जैन दक्षिण में कांग्रेस सिर्फ बगावत और भीतरघात के चलते हार गई। इस सीट पर एक बार फिर से जयसिंह दरबार और राजेन्द्र वशिष्ठ के नाम चर्चाओं में है। जयसिंह दरबार जिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हाल ही में मुक्त हुए। राजेन्द्र वशिष्ठ नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रहे। 2013 के चुनाव जयसिंह दरबार ने जमकर भाजपा को मशक्कत कराई थी। 2008 में भी उन्होंने अपना वजूद दिखाया था।

विधानसभा क्षेत्र महिदपुर

भाजपा- वर्ष 2013 के चुनाव परिणाम के बाद से ही वर्तमान विधायक बहादुरसिंह चौहान विवादों से घिरे रहे। कभी वे अपने बयान से तो कभी अपने पुत्र और अपने नजदीकियों की वजह से विवाद में रहते हैं, तो कभी वे पार्टी के ही नेता को धमकी देते हैं और बाद में पार्टी के ही नेता की मौत हो जाती है। महिदपुर में उनके इन विवादों के चलते आम मतदाता भी अब काफी रुष्ट नजर आ रहा है। महिदपुर में भाजपा की ओर से तब्दीली के बतौर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक उपाध्यक्ष किशोर मेहता और भगवानसिंह पंवार के नामों पर केन्द्र में विचार किया जा रहा है। यह भी सही है कि महिदपुर में ब्राह्मण प्रत्याशी को अच्छी सफलता मिलती रही है। यह बात अलग है कि सोंधिया बाहुल्य क्षेत्र में यह पेठ विचारणीय प्रश्न पैदा करती है, लेकिन इस सीट का इतिहास बताता है कि ६ बार में से ४ बार यहां ब्राह्मण प्रत्याशी ने अपना वजूद साबित किया है।

कांग्रेस- कांग्रेस का यहां इतिहास रहा है कि बगावत और असंतोष के चलते ही उसे हार का मुंह देखना पड़ा।यहां से कांग्रेस विधायक रही कल्पना परूलेकर प्रदेश भर में अपने तेवरों के कारण जानी जाती हैं।कांग्रेस की और से वर्ष 2013 के चुनाव में दिनेश जैन बोस ने बगावत कर उन्हे खासा नुकसान पहुंचाया था।दिनेश जैन उच्च शिक्षित होने के साथ ही व्यवसायी हैं और महिदपुर में जैन समाज का अपना वर्चस्व है।2018 के लिए कांग्रेस की और से सरदारसिंह चौहान और दिनेश जैन बोस के नामों की चर्चा है पार्टी स्तर पर भी यही नाम सामने आ रहे हैं।

विधानसभा क्षेत्र बडनगर

भाजपा- वर्तमान में विधायक मुकेश पंड्या यहां से हैं। पेशेवर वकील श्री पंड्या का अपना वजूद है।शांत और लोकप्रिय श्री पंड्या ने वर्ष 2013 के चुनाव में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष महेश पटेल को पराजित किया था। श्री पंड्या इससे पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रहे । इस बार यहां से उनके नाम के साथ ही पूर्व विधायक शांतिलाल धबाई और जितेन्द्र पंड्या के नाम सामने आ रहे हैं।

कांग्रेस – कांग्रेस से यहां बगावत और भीतरघात के चलते ही अपनी पकड़ कमजोर की है।यहां परंपरागत रूप से आपसी प्रतिद्वंदिता के चलते कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है। एक बार फिर से कांग्रेस में पूर्व विधायक सुरेन्द्रसिंह सिसौदिया और मुरली मोरवाल के नाम के साथ ही होशियारसिंह राजावत का नाम सामने आ रहा है।2013 के प्रत्याशी रहे महेश पटेल को भी समझौते के रास्ते के तहत कांग्रेस मौका दे सकती है।

विधानसभा क्षेत्र तराना

भाजपा- तराना में भाजपा वर्ष 2003 से ही तब्दीली की राह पर है ।भाजपा विधायक अनिल फिरोजिया ने 2013 में कांग्रेस के राजेन्द्र मालवीय को यहां हराया था।क्षेत्र में बलाई समाज के काफी वोट होने के बाद भी भाजपा के फिरोजिया को बड़ी जीत मिली थी।इसके पीछे कारण कांग्रेस का चयन ही बताया जाता रहा।विधायक फिरोजिया पूर्व विधायक भूरेलाल फिरोजिया के पुत्र हैं।तराना में भी फिरोजिया के साथ ही पूर्व विधायक ताराचंद गोयल और लक्ष्मीनारायण मालवीय के नाम पार्टी स्तर पर पेनल में सामने आ रहे हैं।

कांग्रेस –कांग्रेस को यहां पूर्व में हुई बगावत के कारण नुकसान उठाना पड़ा,साथ ही भीतरघात भी सहना पड़ा। इस बार कांग्रेस की और से जिला पंचायत अध्यक्ष महेश परमार , पूर्व विधायक एवं मंत्री बाबूलाल मालवीय और 2013 में प्रत्याशी रहे राजेन्द्र मालवीय के नाम पेनल में बताए जा रहे हैं।

विधानसभा क्षेत्र नागदा-खाचरौद

भाजपा- इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पास एक से बढकर एक नेता हैं ।तब्दीली के स्तर पर भाजपा को यहां अच्छे और जमीन पर पकड़ रखने वाले नेताओं की फौज है।इनमें से कुछ तो प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान रखते हैं।वर्तमान विधायक दिलीपसिंह शेखावत के साथ ही सुल्तानसिंह शेखावत, डा। तेजबहादुरसिंह चौहान , हिन्दुवादी भेरूलाल टांक के नाम भाजपा खेमें में चर्चाओं में हैं।

कांग्रेस –इस विधानसभा क्षेत्र में बतौर प्रत्याशी कांग्रेस पूर्व विधायक दिलीप गुर्जर सशक्त बताए जा रहे हैं। उनके स्तर पर यहां कांग्रेस की और से एक भी नेता नहीं है। संगठन स्तर पर मोहनलाल ठन्ना और सुर्यप्रकाश शर्मा के नाम सामने आना बताया जा रहा है।

विधानसभा क्षेत्र घट्टिया

भाजपा- वर्तमान विधायक अपने कार्यों से काफी चर्चाओं में रहे हैं हाल ही में वे एक आपराधिक प्रकरण से वे हाई कोर्ट के आदेश पर निवृत्त हुए हैं।पूर्व विधायक स्व।नागूलाल मालवीय के पुत्र सतीश मालवीय ने 2013 में कांग्रेस के रामलाल मालवीय को पराजित किया

था।युवा विधायक सतीश मालवीय के साथ ही भाजपा की और से कैलाश बागौरा और कैलाश मालवीय के नाम सामने आए हैं ।पार्टी यहां तब्दीली के हालात को लेकर विचार कर रही है।

कांग्रेस – इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पास सशक्त दावेदार के बतौर पूर्व विधायक रामलाल मालवीय का नाम सबसे उपर लिया जा रहा है। सौम्य और शांत स्वभाव के मालवीय को बगावत और भीतरघात का दंश पिछली बार निगल गया था।यहां से कांग्रेस की और से सशक्त रूप से एक यही नाम सामने आ रहा है।

विधानसभा क्षेत्र उज्जैन उत्तर

 भाजपा- भाजपा की और से यहां से पारसचंद्र जैन विधायक रहते हुए प्रदेश सरकार में मंत्री के दायित्व का निर्वहन कर रहे थे।शिवराज सरकार में श्री जैन ने कई अहम मंत्रालयों को देखा।लंबे समय से वे इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।इस बार उनके साथ ही विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल और फार्मेसी कोंसिल के चेयरमेन ओम जैन का नाम काफी मजबूती से लिया जा रहा है। इनके अतिरिक्त नगर निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत का नाम भी बराबर चर्चाओं में है।

कांग्रेस- कांग्रेस से 2013 में विवेक यादव इस विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी थे ।तत्कालीन स्थितियों में उन्हे बगावत और भीतरघात के कारण काफी नुकसान हुआ। इस बार कांग्रेस की और से महिला प्रत्याशी पर दांव खेल सकती है।पार्षद माया राजेश त्रिवेदी को लेकर कांग्रेस में एक तरफा हवा बनी हुई है। इस क्षेत्र में ब्राम्हणों की बड़ी संख्या निवास  करती है।कांग्रेस ब्राम्हणों को लामबद्ध करने के चलते माया राजेश त्रिवेदी पर दाव खेलेगी। यहां से राजेन्द्र भारती का नाम भी चर्चाओं में बना हुआ है।

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