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डॉ. अरुण कुमार खोबरे ने लिखी सबसे बड़ी रामचरितमानस, 170 किलो वजनी और सवा चार फीट है ऊंचाई

By अभिषेक पारीक | Updated: July 11, 2021 20:05 IST

छिंदवाड़ा निवासी डॉ. अरुण कुमार खोबरे का नाम विश्व की सबसे बड़ी श्रीरामचरितमानस लिखने पर विश्व रिकार्ड के लिए में प्रसिद्ध ओएमजी बुक ऑफ रिकार्ड्स ने दर्ज कर लिया है।

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ठळक मुद्देरामचरितमानस लिखने के लिए डॉ. खोबरे का नाम ओएमजी बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हुआ।इस रामचरितमानस का वजन 170 किलो, चौड़ाई 51 इंच और यह लगभग सवा चार फीट की है। डॉ. खोबरे ने बताया कि हनुमानजी की प्रेरणा से उन्होंने इसे 149 दिन में लिख दिया। 

छिंदवाड़ा निवासी डॉ. अरुण कुमार खोबरे का नाम विश्व की सबसे बड़ी श्रीरामचरितमानस लिखने पर विश्व रिकॉर्ड के लिए में प्रसिद्ध ओएमजी बुक ऑफ रिकार्ड्स ने दर्ज कर लिया है। डॉ. अरुण भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। उन्होंने इसका श्रेय रामजी, हनुमान जी और अपने माता-पिता को दिया है। 

डॉ. अरुण द्वारा हस्तलिखित इस श्रीरामचरित मानस की खासियत ये है कि इसका वजन 170 किलो, चौड़ाई 51 इंच और यह लगभग सवा चार फीट की है। इसे उन्होंने 11 मार्च 2008 से 7 अगस्त 2008 के बीच 149 दिनों यानी लगभग पांच माह में लिखा है। उन्होंने बताया कि हनुमान जी के स्वप्न में दिए दर्शन व उनकी प्रेरणा से ही वे इसे पूर्ण कर पाने में सफल हुए हैं। वे आगे कहते हैं कि जिस समय वे लिख रहे थे उस समय उन्होंने रिकॉर्ड बनाने की मंशा से इसे नहीं लिखा था। लेकिन चूंकि आज तक इस तरह की कोई श्रीरामचरितमानस विश्व में नहीं लिखी गई है, इसलिए ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इसे विश्व की सबसे बड़ी श्रीरामचरितमानस के रूप में अपने रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया है। डॉ. अरुण खोबरे ने कहा कि उनकी इच्छा है कि वे श्रीरामचरितमानस को भगवान शिव की नगरी काशी और भगवान श्रीराम जी जन्मभूमि अयोध्या लेकर जाएं। 

डॉ. अरुण कहते हैं कि श्रीरामचरित मानस गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखी है, इसलिए उन्हें उनके जन्मदिन पर सरप्राइज देने के लिए उन्होंने इसे 11 मार्च को लिखना शुरू किया था, जो कि 149 दिन 07-08-08 को पूर्ण हुई, अगले दिन 08-08-08 (08 अगस्त 2008 ) को तुलसीदास जी के जन्मदिन पर अरुण ने इसे उनको श्रद्धाभाव के साथ समर्पित कर दिया। इतनी वजनी, लंबी व चौड़ी श्रीरामचरित मानस को पीले रंग के कागज पर लाल स्याही के परमानेंट मार्कर से लिखा गया है। 

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व डॉ. खोबरे माखनलाल चतुर्वेदी राष्टीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वर्तमान में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष के साथ ही परीक्षा नियंत्रक भी हैं। 

गौरतलब है उन दिनों ड़ेढ सौ से ज्यादा देशों में यह खबर पहुंची थी और श्रीरामचरित मानस चर्चा का विषय बनी थी। ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ. खोबरे ने कहा कि पद, प्रसिद्धि व पैसा तो आता-जाता है, लेकिन किसी भी व्यक्ति के इस नश्वर दुनिया को छोड़कर चले जाने के बाद लोग उसके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों व उपलब्धियों को याद करते हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने उन्हें इस लायक समझा और उनके आशीर्वाद से ही वे इसे कर पाएं हैं, इसलिए इसका संपूर्ण श्रेय उन्हीं को जाता है। डॉ. खोबरे ने कहा कि वे हनुमान जी से यही प्रार्थना करते हैं कि उनमें नाम, पद, प्रसिद्धि, उपलब्धि का घमंड, अहमं न आए। 

छिंदवाड़ा जिले के रहने वाले डॉ. अरुण खोबरे को लोग एक कवि, गीतकार, गजलकार और शायर के रुप में भी जानते हैं और उन्हें उनके उपनाम अरुण अज्ञानी के नाम से भी जाना जाता है। लगभग तीन दर्जन से ज्यादा सम्मान, पुरस्कार प्राप्त कर चुके अरुण अज्ञानी अपनी कविताओं, गीत-गजलों को मधुर आवाज में सुनाने के लिए जाने जाते हैं। हंसमुख स्वभाव के अरुण खोबरे, पत्रकारिता में मास्टर ऑफ जर्नलिज्म, एम.फिल, पीएचडी के साथ ही यूजीसी नेट भी हैं। साथ ही मीडिया जगत के सात न्यूज चैनल्स में उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

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