लोकमत विशेषः वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने पर केजरीवाल बोले 'ना—ना—ना'

By संतोष ठाकुर | Updated: April 15, 2019 05:53 IST2019-04-15T05:53:56+5:302019-04-15T05:53:56+5:30

Lokmat Special: Kejriwal says 'no-no-no' when asked about contesting in Varanasi against Modi | लोकमत विशेषः वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने पर केजरीवाल बोले 'ना—ना—ना'

लोकमत विशेषः वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने पर केजरीवाल बोले 'ना—ना—ना'

Highlightsदिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस आम चुनाव में मोदी के खिलाफ उम्मीदवारी पर चुप्पी साधी हुई है।आम चुनाव 2014 में वह नरेंद्र मोदी से करीब 3.7 लाख वोटों से हार गए थे।

संतोष ठाकुर / एसके गुप्ता, नई दिल्ली

आम चुनाव 2014 में वाराणसी से उस समय भाजपा के 'इंतजार में प्रधानमंत्री' पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस आम चुनाव में उनके खिलाफ उम्मीदवारी पर चुप्पी साधी हुई है। वह रविवार को विपक्ष की ओर से  ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर आयोजित एक संयुक्त प्रेस वार्ता में दिल्ली के कांस्टीटयूशन क्लब आए। लेकिन जब उनसे लोकमत ने यह सवाल किया कि क्या वह इस बार भी वाराणसी से चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे तो उन्होंने जवाब में ' ना—ना—ना' कहते हुए कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। 

आम चुनाव 2014 में वह नरेंद्र मोदी से करीब 3.7 लाख वोटों से हार गए थे। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उन्हें 2 लाख से अधिक मत उस चुनाव में हासिल हुए थे। उन्हें हासिल मतों का आंकड़ा कांग्रेस, सपा, बसपा उम्मीदवार को मिले मतो से काफी आगे थे। 

इस चुनाव में यह चर्चा जोरों पर है कि वाराणसी से विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष की ओर से कोई संयुक्त उम्मीदवार उतारा जा सकता है। जिन नामों पर चर्चा हो रही है उनमें सबसे आगे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का नाम है। वह स्वयं भी मजाकिया लहजे में यह कह चुकी हैं कि क्या वह वाराणसी से चुनाव लड़ जाएं। लेकिन जिस तरह से 2014 के आम  चुनाव में वाराणसी में अरविंद केजरीवाल को लगभग दो लाख से अधिक मत मिले और वह कांग्रेस, सपा, बसपा के उम्मीदवार से आगे रहे थे, उसे देखते हुए यह चर्चा भी चल  रही है कि क्या वह विपक्ष की ओर से संयुक्त् उम्मीदवार हो सकते हैं। 

उनके नाम पर इन दिनों चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि वह प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ अलग मंच पर कांग्रेस के साथ भी दिख रहे हैं। यही नहीं, दिल्ली में भाजपा को हराने के लिए उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए भी चर्चा कर रही है। वहीं, कांग्रेस संभवत: नहीं चाहेगी कि उनकी महासचिव प्रियंका गांधी को उनके पहले ही चुनाव में किसी तरह की नकारात्मक स्थिति का सामना करना पड़े। 

कांग्रेस उनके लिए ऐसी चुनौतीपूर्ण सीट शायद ही पसंद करे। यही नहीं, 2014 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय के समर्थन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्वयं रोड शो किया था और यह उम्मीद की गई थी कि मुसलिम मतदाता उनकी ओर आएंगे। लेकिन मुसलिमों ने बड़े स्तर पर अरविंद केजरीवाल के लिए वोट किया था। ऐसे में यह आकलन किया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल के संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार होने से यहां का चुनाव रोचक बन सकता है। लेकिन जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने उम्मीदवारी पर ना—ना—ना की है, उससे लगता है कि वह स्वयं इस बार वाराणसी के चुनावी समर से दूर रहना चाहते हैं। 

Web Title: Lokmat Special: Kejriwal says 'no-no-no' when asked about contesting in Varanasi against Modi