लाइव न्यूज़ :

Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान में पहले चरण 12 सीटों पर पर सिर्फ 57.87 प्रतिशत वोटिंग, पिछले चुनाव की तुलना में 6 फीसदी घटा मतदान

By नईम क़ुरैशी | Updated: April 20, 2024 13:47 IST

Lok Sabha Election 2024-राजसमंद से मेवाड़ राजघराने की महिमा कुमारी और जयपुर ग्रामीण से राव राजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी रही।

Open in App

जयपुर: देश में लोकतंत्र का यज्ञ प्रारंभ हो गया है। केंद्र में सरकार चुनने के लिए पहले चरण में 19 अप्रैल को अन्य राज्यों के साथ राजस्थान के 12 संसदीय क्षेत्रों के मतदाताओं ने वोट की आहुति दी। कयास लगाए जा रहे थे कि पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन ऐसा नही हुआ। चुनाव आयोग के मुताबिक 12 सीटों पर 57.87 प्रतिशत ही मतदान हुआ। जबकि पिछले चुनाव में 63.71 प्रतिशत था। मतलब 2019 के मुकाबले 6 प्रतिशत वोट कम डला। 

राजस्थान में कांग्रेस मतदान प्रतिशत बढ़ाने की इच्छुक नही थी, लेकिन भाजपा नेताओं ने इसके लिए अति उत्साह दिखाया था। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने दावा किया कि इस बार सभी 25 सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर पांच लाख मतों का रहेगा। यानी भाजपा के उम्मीदवार 5 लाख मतों से जीत दर्ज करेंगे। भाजपा ने प्रत्येक बूथ पर 370 वोट बढ़ाने की तैयारी भी की थी। कार्यकर्ताओं को लक्ष भी दिया, लेकिन मतदान के दिन इस पर अमल दिखाई नही दिया, जबकि उल्टा 6 प्रतिशत मतदान कम हो गया। हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का काम भाजपा के कार्यकर्ता करते तो मतदान करीब 75 प्रतिशत होना चाहिए था। जाहिर है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने 2019 के मुकाबले में बहुत कम मेहनत की। जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं के पास बूथ की जिम्मेदारी थी, उन्हें अब यह बताना चाहिए कि आखिर 370 वोट क्यों नहीं बढ़ाए जा सके? अधिकांश नेताओं को यह मुगालता रहा कि मतदाता मोदी के नाम पर अपने आप वोट डालने आ जाएंगे। 

भाजपा के रणनीतिकार माने या नहीं, लेकिन कांग्रेस विचारधारा वाले वोटों का प्रतिशत अच्छा रहा है। जिस मतदाता को कांग्रेस को वोट देना था, उसने अपने साधनों से बूथ पर पहुंच कर वोट किया। जबकि भाजपा की विचारधारा वाले वोट को भाजपा के कार्यकर्ता घरों से निकालने में सफल नहीं हुए। भाजपा स्वयं को कैडर बेस पार्टी का दावा तो करती है, लेकिन चुनाव में संबंधित उम्मीदवार ही अपने तरीके से बूथ पर एजेंटों को बैठाने का काम करता है। अलवर और बीकानेर में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अर्जुनराम मेघवाल भाजपा के उम्मीदवार है, लेकिन अलवर में भी 59.79 प्रतिशत मतदान हुआ जो 2019 के मुकाबले में 7 प्रतिशत कम है। इसी प्रकार बीकानेर में 53.96 प्रतिशत मतदान हुआ जो गत बार के मुकाबले में 5.28 प्रतिशत कम है। जबकि इन दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी।

राजस्थान में भाजपा लगातार तीसरी बार सभी सीटें जीतती है या नहीं यह तो चार जून को नतीजे आने पर ही पता चलेगा, लेकिन कम मतदान भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं है। राजस्थान में शेष 13 संसदीय क्षेत्रों में द्वितीय चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भाजपा के कार्यकर्ता 19 अप्रैल को हुए कम मतदान से सबक लेंगे। यदि भाजपा कम मतदान को अपने पक्ष में मानती है तो फिर हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने और हर सीट पर पांच लाख मतों के अंतर से जीत के दावे क्यों किए जाते हैं?

भाजपा ने 10 उम्मीदवार बदले 

19 अप्रैल को जिन 12 संसदीय क्षेत्रों में मतदान हुआ उनमें से 10 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार बदले हैं। बीकानेर और सीकर को छोड़कर भाजपा ने मौजूदा सांसदों का टिकट काटकर नए चेहरों को उम्मीदवार बनाया है। इसके बावजूद नए चेहरे भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने में सफल नहीं हुए। भाजपा के लिए यह भी चुनौती थी कि 12 में से 7 संसदीय क्षेत्रों में गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले। भाजपा ने हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य विधानसभा चुनाव में पार्टी की कमजोर स्थिति को ध्यान में रखते हुए रखा था। जिन संसदीय क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति कमजोर रही, उनमें श्रीगंगानगर, सीकर, जयपुर ग्रामीण, अलवर, करौली धौलपुर, नागौर और झुंझुनू है। उदासीन कार्यकर्त्ता मतदाताओं में भी उत्साह की कमी 

सवाल उठता है कि हर बूथ पर 370 वोटों को बढ़ाने का जो लक्ष्य रखा गया, उसको लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह क्यों नहीं दिखा। असल में उम्मीदवारों के चयन में भी कई संसदीय क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा गया। राजसमंद से मेवाड़ राजघराने की महिमा कुमारी और जयपुर ग्रामीण से राव राजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी रही। ये दोनों ही उम्मीदवार राज घरानों से संबंधित है। जबकि यहां किसी कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाया जाता तो ज्यादा उत्साह देखने को मिलता। यह सही है कि राजस्थान में भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व नए प्रयोग कर रहा है।

इन प्रयोगों के तहत ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रही हैं। लेकिन भाजपा संसदीय दल के नेता रहे राजेंद्र सिंह राठौड़ और प्रदेश अध्यक्ष रहे सतीश पूनिया का भी अपेक्षित सम्मान नहीं किया जा रहा है। यह सही है कि संगठन में नए लोगों को अवसर मिलना चाहिए, लेकिन पुराने नेताओं की लगातार उपेक्षा कई बार हानिकारक हो सकती है। फिर भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दावा किया है कि प्रदेश की सभी 25 सीटें भाजपा जीतेगी। उन्होंने कहा कि कम मतदान से भाजपा की जीत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सीएम शर्मा का मानना है कि जिन लोगों को भाजपा को वोट देना था, वे अपने घरों से निकले हैं।

टॅग्स :लोकसभा चुनाव 2024राजस्थान लोकसभा चुनाव २०२४राजस्थान
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटटीम इंडिया से बाहर, 10 चौका, 8 छक्का, 50 गेंद और नाबाद 113 रन?, त्रिपुरा बॉलर पर टूटे इशान किशन

भारतमेहमान पंछियों के लिए ­झील बनी कब्रगाह

क्राइम अलर्टराजस्थान में सरकारी परियोजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु EY अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों की जांच की मांग

कारोबारट्रैक्टर छोड़ बैल से करिए खेती?, हर साल 30000 रुपये सहायता, बीजेपी सरकार ने की घोषणा

बॉलीवुड चुस्कीअमेरिका के उद्योगपति राजू रामलिंगा मंटेना की बेटी नेत्रा की शादी, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, ऋतिक रोशन, शाहिद कपूर, रणबीर कपूर शामिल, 600 मेहमान को न्योता

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई