मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस नागपुर से भाजपा के दिग्गज प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को चुनाव हराने के लिए काम कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार राज्यसभा सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया कि देवेंद्र फड़नवीस ने बेहद अनिच्छा से नागपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे नितिन गडकरी के लिए चुनाव प्रचार किया औऱ वो भी तब जब उन्हें एहसास हुआ कि केंद्रीय मंत्री गड़करी को नहीं हराया जा सकता है।
राउत के आरोपों में एक दिलचस्प पहलू यह है कि देवेंद्र फड़नवीस और नितिन गडकरी दोनों ही भाजपा नेता नागपुर से आते हैं।
राउत ने अपने आरोपों के संबंध में पार्टी के मुखपत्र "सामना" में छपे एक लेख में कहा, "मोदी, शाह और फड़नवीस ने नागपुर में गडकरी की हार के लिए काम किया। जब फड़नवीस को एहसास हुआ कि उन्हें हराया नहीं जा सकता, तो वे अनिच्छा से गडकरी के लिए अभियान में शामिल हो गए। नागपुर में आरएसएस के लोग खुलेआम कह रहे हैं कि फड़नवीस ने गड़करी को हराने में विपक्ष की मदद की।"
शिव सेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हर निर्वाचन क्षेत्र में 25-30 करोड़ रुपये बांटे थे और उनकी मशीनरी ने अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी के उम्मीदवारों को हराने के लिए काम किया है।
योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह की सरकार सत्ता में लौटती है तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदल दिया जाएगा।
मालूम हो कि महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल से 20 मई तक पांच चरणों में चुनाव हुए हैं। राउत के दावों पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि वो "भ्रम" के शिकार हो गए हैं।
उन्होंने कहा, "भाजपा एक पार्टी नहीं बल्कि एक परिवार है। जिन लोगों ने हमेशा गुटबाजी की राजनीति की है, वे पारिवारिक बंधनों को कभी नहीं समझेंगे। मोदी, शाह, योगी आदित्यनाथ, गडकरी और फड़नवीस भाजपा के परिवार का हिस्सा हैं। हम हमेशा राष्ट्र के सिद्धांत पर काम करते हैं। उनके लिए पहले पार्टी और फिर वो खुद आते हैं।''
चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, ''संजय राउत के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार हमेशा पहले आते हैं, उसके बाद आखिर में उद्धव ठाकरे आते हैं।''
उन्होंने कहा, "अगर संजय राउत में साहस है, तो उन्हें एक कॉलम लिखना चाहिए कि उन्होंने 2019 में मुख्यमंत्री बनने की कोशिश कैसे की थी, जब अविभाजित शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाया था।"