लोकसभा चुनाव 2019: गुजरात में GST, नोटबंदी, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भारी है कास्ट फैक्टर

By महेश खरे | Published: March 30, 2019 08:47 AM2019-03-30T08:47:52+5:302019-03-30T08:47:52+5:30

लोकसभा चुनाव: गुजरात की 6 करोड़ आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी लगभग आधी है. पाटीदारों में दो फैक्टर हैं लेउआ और कड़वा. ये लगभग 15% और कोली पटेल समाज कोई 20% है. यानि पटेलों का कुल मिलाकर 35% वोट शेयर है.

Lok Sabha Elections 2019: caste factor ingujarat lok sabha Election issues like GST, Notebank, inflation and unemployment | लोकसभा चुनाव 2019: गुजरात में GST, नोटबंदी, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भारी है कास्ट फैक्टर

गुजरात लोकसभा चुनाव

Highlightsगुजरात में दलित और मुस्लिम वोट 9-9% हैं भाजपा ओबीसी, पाटीदार और कोली समाज के बूते ही चुनाव जीतकर सरकार बनाती रही है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में जीएसटी, नोटबंदी, महंगाई, बेरोजगारी, कर्ज से दबे किसानों की आत्महत्या, दलित अत्याचार और राष्ट्रवाद जैसे चुनावी मुद्दों पर कास्ट फैक्टर हावी है. भाजपा हो या कांग्रेस दोनों प्रमुख दल चुनाव में क्षेत्रवार जातीय समीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी रणनीति बना रहे हैं. गुजरात की सभी 26 सीटों पर जातीय समीकरण के हिसाब से राजनीति की गोटियां फिट करनी पड़ती हैं. यहां ओबीसी और पाटीदारों का वर्चस्व है. 

गुजरात की 6 करोड़ आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी लगभग आधी है. पाटीदारों में दो फैक्टर हैं लेउआ और कड़वा. ये लगभग 15% और कोली पटेल समाज कोई 20% है. यानि पटेलों का कुल मिलाकर 35% वोट शेयर है. पाटीदारों और कोली पटेलों का वर्चस्व सौराष्ट्र, मध्य गुजरात और दक्षिण गुजरात के कुछ हिस्सों में है. याद कीजिए हार्दिक पटेल के नेतृत्व में जब पाटीदारों ने आरक्षण आंदोलन छेड़ा तो सरकार को उससे निपटने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था फिर भी बात नहीं बन पाई थी. उस समय पटेल बहुल क्षेत्रों में नितिन पटेल जैसे नेता सभा तक नहीं कर पाए. पाटीदारों ने तब राजनीतिक नेताओं के क्षेत्र में प्रवेश पर पाबंदी लगा रखी थी.

बीजेपी इन तीन जातियों के बूते बनाती है सरकार

समाज को साधने के लिए सरकार में एक उपमुख्यमंत्री समेत आधा दर्जन से अधिक मंत्री पद से पाटीदार नेताओं को नवाजा गया है. विजय रूपाणी सरकार में कोली समाज का प्रतिनिधित्व 3 राज्यमंत्री और एक मंत्री कर रहे हैं. भाजपा ओबीसी, पाटीदार और कोली समाज के बूते ही चुनाव जीतकर सरकार बनाती रही है. आज पाटीदार समाज का युवा वर्ग सरकार से नाराज बताया जा रहा है. हार्दिक पटेल कांग्रेस के के साथ हैं और जामनगर से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. पटेलों ने जब आरक्षण आंदोलन शुरू किया, तब यह शपथ ली थी कि आंदोलन के नेता राजनीति से दूर रहेंगे. लेकिन आज कई बड़े चेहरे कांग्रेस और भाजपा में हैं. इसलिए समाज के लोग इनका कितना साथ देंगे यह वक्त ही बताएगा.

दलित और मुस्लिम वोटरों पर डोरे

गुजरात में दलित और मुस्लिम वोट 9-9% हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलितों को रिझाने में लगे हैं. लेकिन दलित अत्याचार की कुछ घटनाओं ने राज्य में दलितों और सरकार के बीच दूरी बढ़ाने का काम किया. दलितों के युवा चेहरे जिग्नेश मेवाणी भी कांग्रेस के करीब हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय मेवाणी की सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतार कर दोस्ती का हाथ बढ़ाया इसका असर भी हुआ है. मुस्लिम कांग्रेस का परंपरागत वोट है ही, लेकिन सूरत और दक्षिण गुजरात में मुस्लिमों ने विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ एकजुटता दिखाई. नतीजतन सूरत जिले की सभी 12 सीटों पर भाजपा विजयी रही.

भाजपा नेता कांग्रेस को चिढ़ाते भी हैं कि खाम (के-क्षत्रिय, एच-हरिजन, ए-आदिवासी और एम-मुस्लिम) का साथ उसकी चुनावी नैया पार नहीं करा पाएगा.

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: caste factor ingujarat lok sabha Election issues like GST, Notebank, inflation and unemployment



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