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किसान चुनाव से पहले जता रहे थे मोदी सरकार के खिलाफ नाराजगी! फिर बीजेपी ने कैसे पलटा खेल, सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 28, 2019 11:59 IST

यह बात भी हैरान करनी वाली है कि चुनावी साल से ठीक पहले तक किसानों का मुद्दा केंद्र में था और इस पर बात हो रही थी। हालांकि, चुनाव में यह उस तरह से उभर नहीं पाया।

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ठळक मुद्देसर्वे में सामने आई बात- ज्यादातर किसानों ने खुद से सीधे तौर पर जुड़े मुद्दों पर वोट नहीं दिया राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द कैंपेन सहित एयर स्ट्राइक और पीएम-किसान योजना से किसान हुए प्रभावितविपक्ष की ओर से किसानों के मुद्दे को ठीक तरह से नहीं उठाने से भी मिला बीजेपी को फायदा

पिछले साल नवंबर में हजारों किसानों ने खेती से जुड़ी समस्या, फसलों के अधिक दाम की मांग, कर्जमाफी जैसी बातों को लेकर संसद मार्च किया। ऐसे ही किसानों के कुछ विरोध मार्च 2018 में भी देखने को मिले थे। इसे देखते हुए कई जानकार मान कर चल रहे थे कि किसानों की समस्या बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में बड़ी मुश्किल खड़ी करेगी।

वैसे भी, वोट के लिहाज से किसान हर चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते हैं। हालांकि, चुनाव के जो नतीजे आये, उसने सभी को चौंका दिया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पिछली बार से बड़ी और ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

बीजेपी ने 303 सीटों पर दर्ज की और एनडीए का आंकड़ा भी 350 के पार पहुंच गया। इन नतीजों ने साबित किया कि जिस मुद्दे को लेकर जानकार ये मान कर चल रहे थे कि इससे बीजेपी का नुकसान होगा, वैसा कुछ नहीं हुआ। चुनाव के बाद के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि पीएम-किसान योजना और राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द बीजेपी के कैंपेन ने उसे चुनाव में फायदा पहुंचाया।

किन मुद्दों पर लोकसभा चुनाव-2019 में हुए वोट

'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार सीएसडीएस- लोकनीति पोस्ट पोल सर्वे में यह बात सामने आई है कि ज्यादातर किसानों ने उन मुद्दों पर पर वोट नहीं दिया जो सीधे तौर पर उनसे जुड़े हुए थे। सर्वे के मुताबिक 'विकास' के मुद्दे पर 15 प्रतिशत किसान पोलिंग बूथ पर गये और यह उनके लिए सबसे जरूरी मुद्दा रहा। इसके बाद दूसरे नंबर पर बेरोजगारी (10 प्रतिशत) रही। दिलचस्प बात ये रही कि केवल 5 प्रतिशत किसानों ने उन मुद्दों पर वोट दिया जो सीधे तौर पर खेती-किसानी से जुड़े हुए थे।

यह बात भी हैरान करनी वाली है कि चुनावी साल से ठीक पहले तक किसानों का मुद्दा केंद्र में था और इस पर बात हो रही थी। हालांकि, चुनाव में यह उस तरह से उभर नहीं पाया। संभवत: विपक्ष भी कृषि के मुद्दे को राजनीति में लाने में नाकाम रहा और यही वजह रही कि 'किसानों का आंदोलन' फेल होता नजर आया।

किसानों में कैसे तमाम जातियों ने दिये इस बार वोट

जातियांकांग्रेसकांग्रेस सहयोगीबीजेपीबीजेपी सहयोगीअन्य
ऊंची जाति135521020
ओबीसी166441024
एससी18534835
एसटी35741215

सोर्स- लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि 68 प्रतिशत किसान बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से संतुष्ट दिखे। इसमें 27 प्रतिशत किसानों ने कहा कि वे पूरी तरह से संतुष्ट हैं जबकि 41 प्रतिशत ने कहा- 'वे कुछ हद तक संतुष्ट हैं'।  

यही नहीं, ये बात भी सामने आई है कि कृषि को अपना मुख्य पेशा बताने वालों में 39 प्रतिशत लोगों ने बीजेपी (एनडीए- 47 प्रतिशत) और 20 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस (यूपीए-26 प्रकिशत) को वोट दिया। खास बात ये भी है कि अगर जाति की बात की जाए तो ऊंची जाति के 52 फीसदी किसानों ने बीजेपी को जबकि केवल 13 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया।

सीधे खाते में पैसे जमा होने की योजना से पहुंचा बीजेपी को फायदा 

सर्वे बताता है कि चुनाव से ठीक पहले के कुछ कदमों ने बीजेपी को काफी फायदा पहुंचाया। इसमें पीएस-किसान योजना और राष्ट्रवाद की बात जैसे मुद्दे शामिल हैं। पीएम-किसान योजना, जिसके तहत छोटे किसानों को हर चार महीने में 2000 रुपये उनके खाते में जमा कराने की बात कही गई है, इसने बीजेपी के पक्ष में हवा बनाने में बड़ी मदद की। पीएम किसान योजना से फायदा पाने वाले और इसका श्रेय केंद्र को देने वाले किसानों में से करीब 56 प्रतिशत ने बीजेपी को वोट दिया। वहीं, केवल 8 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया। दूसरी ओर, राज्स सरकार को श्रेय देने वाले किसानों में यह आंकड़ा लगभग बराबर है। इसमें यूपीए के पक्ष में 30 प्रतिशत और एनडीए के पक्ष में 29 प्रतिशत किसानों ने वोट डाले।

बालाकोट एयर स्ट्राइक से मिला फायदा!

वे किसान जिन्होंने भारत के बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में सुना, उसमें से 42 प्रतिशत किसानों ने बीजेपी को वोट दिया। वहीं, केवल 17 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया। वहीं, जिन किसानों ने इस एयर स्ट्राइक के बारे में नहीं सुना, उनके वोट देने के पैटर्न में केवल तीन प्रतिशत का अंतर है। एयर स्ट्राइक के बारे में नहीं सुन सके किसानों में 31 प्रतिशत ने बीजेपी के लिए वोट दिया जबकि 28 प्रतिशत ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया।

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