रांची: देश में एनडीए 400 पार के नारे के साथ फीलगुड कर रही भाजपा के लिए झारखंड में राह आसान नही दिखाई देता है। राज्य के कुछ इलाकों में आदिवासी विरोध के कारण इस बार भाजपा को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है। यही नही पार्टी आंतरिक कलह से भी जूझ रही है तो टिकट वितरण को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। धनबाद में तो विधायक ढुल्लू महतो को टिकट दिए जाने का जबर्दस्त विरोध देखा जा रहा है। इसके चलते पार्टी नेताओं को क्राइसिस मैनेजमेंट के तहत वहां कैंप करना पड़ रहा है।
राज्य में 14 लोकसभा सीटों पर 13 मई से चार चरणों में मतदान होगा। भाजपा अपने सहयोगी दल ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के साथ सीटों के बंटवारे पर हुए समझौते के अनुसार 13 सीटों पर खुद चुनाव लड़ रही है, जबकि आजसू को गिरिडीह लोकसभा सीट दिया गया है। बताया जाता है कि भाजपा ने तीन प्रत्याशियों को छोड़कर उन लोगों को टिकट दिए हैं जो लोकसभा चुनाव के मद्देनजर या पहले पार्टी में शामिल हुए थे। इससे पुराने नेताओं के बीच नाराजगी देखी जा रही है।
शायद यही कारण है कि पिछले दिनों पुराने दिग्गज नेता रामटहल चौधरी ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। कई और ऐसे नेता हैं जो कभी भी भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं। धनबाद में पार्टी ने मौजूदा सांसद पशुपति नाथ सिंह का टिकट काट दिया है। इनके जगह पर निर्वाचन क्षेत्र से बाघमारा के विधायक ढुलू महतो को मैदान में उतारा गया है। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं और ऊपरी जाति के मतदाताओं के एक वर्ग ने बगावत कर दी है।
महतो पर दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। वहीं, भाजपा ने दुमका सीट से अपने प्रत्याशी व मौजूदा सांसद सुनील सोरेन को हटाकर सीता सोरेन को उम्मीदवार बना दिया है जो 20 मार्च को भाजपा में शामिल हुई थीं। सीता तीन बार की विधायक तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं। जबकि सुनील ने 2019 के लोकसभा चुनाव में झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन को 47,590 मतों से हराया था। वहीं, भाजपा ने हजारीबाग में मौजूदा सांसद जयंत सिन्हा के स्थान पर स्थानीय विधायक मनीष जायसवाल को नामित किया है। जयंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे हैं जो नरेंद्र मोदी सरकार के आलोचक रहे हैं।
हजारीबाग में प्रत्याशी बदले जाने से वफादार कार्यकर्ता नाराज हैं। भाजपा नेता ने यह भी बताया कि पार्टी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ‘कोयला और शराब कारोबार को लेकर जायसवाल की छवि ठीक नहीं है।’ जबकि खूंटी लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद अर्जुन मुंडा के लिए मुकाबला आसान नहीं होने जा रहा है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर महज 1,445 वोट था। कांग्रेस ने इस सीट से कालीचरण मुंडा को खड़ा किया है जो पांच साल पहले दूसरे स्थान पर आए थे। इस तरह लगभग अधिकतर सीटों पर उम्मीदवारों को केवल मोदी नाम का ही सहारा है। अगर पीएम मोदी का धुआंधार दौरा नही हुआ तो भाजपा की लूटिया यहां डूबने से बचा पाना आसान नही होगा।