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लोकसभा चुनाव 2019: कठिन है डगर भाजपा की जम्मू और उधमपुर के संसदीय क्षेत्रों में

By सुरेश डुग्गर | Updated: April 2, 2019 06:08 IST

भाजपा को कांग्रेस से अधिक खतरा लाल सिंह से इसलिए है क्योंकि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के दौरान कई मुद्दों पर भाजपा को ही निशाना बनाते हुए सिंह ने भाजपा का त्याग कर जब अलग संगठन बनाया था.

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ठळक मुद्देभाजपा को दोनों ही सीटों पर मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि उसे राज्य की गठबंधन सरकार के वक्त उसके मंत्रियों द्वारा किए गए कार्यों की सजा भुगतनी होगी।महबूबा सरकार में भाजपा के मंत्रियों पर घुटने टेकने के आरोप कई बार लगे थे।

जम्मू-पुंछ तथा उधमपुर-कठुआ के संसदीय क्षेत्रों में भाजपा के लिए अपना गढ़ बचाए रखने की चुनौती पैदा हो गई है। ऐसा तीन विपक्षी दलों द्वारा किए गए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समझौते के कारण है। ऐसे में भाजपा उम्मीदवारों को सिर्फ मोदी के नाम का ही सहारा है।

भाजपा ने दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों से अपने पुराने चेहरों को मैदान में उतारा है। जम्मू से वर्तमान सांसद जुगल किशोर शर्मा तथा उधमपुर से सांसद जितेंद्र सिंह किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में विपक्षी पर्टियों के उम्मीदवार दमखम तो नहीं रखते पर चिंता का विषय यह है कि कांग्रेस के उम्मीदवारों को अगर प्रत्यक्ष तौर पर नेशनल कांफ्रेंस तथा अप्रत्यक्ष तौर पर पीडीपी का समर्थन प्राप्त है।

जम्मू से कांग्रेेस की ओर से पूर्व मंत्री रमण भल्ला को मैदान में उतारा गया है। वे राज्य सरकार में विकास पुरूष के नाम से जाने जाते थे। जबकि उधमपुर से कांग्रेसी उम्मीदवार विक्रमादित्य राजघराने से हैं। उनके पिता डा कर्ण सिंह हैं और डा सिंह चार बार इस लोकसभा क्षेत्र से विजयी हो चुके हैं।

राजनीतिक समीकरण 

माना कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदारों ने क्रमशः जम्मू और उधमपुर के लोकसभा क्षेत्रों में 619995 तथा 487369 मत प्राप्त किए थे। लेकिन कांग्रेस और पीडीपी द्वारा प्राप्त किए गए मतों को भी कम करके नहीं आंका जा सकता जिनका कुल योग जम्मू व उधमपुर लोकसभा क्षेत्रों में क्रमशः 531269 तथा 456854 था।

जानकारी के लिए पिछले चुनावों में भी दोनों संसदीय क्षेत्रों से नेशनल कांफ्रेंस ने बिना समझौते के इन लोकसभा क्षेत्रों से प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारे थे लेकिन इस बार बकायदा दोनों दलों में समझौता हुआ है और पीडीपी ने सांप्रदायिक वोटों को बंटने से रोकने की खातिर दोनों ही संसदीय क्षेत्रों से मैदान में न उतरने का फैसला किया है।

उधमपुर लोकसभा क्षेत्र का हाल 

विपक्ष के सांझे उम्मीदवारों के अतिरिक्त भाजपा को अपने ही असंतुष्ट और दबंग नेता चौधरी लाल सिंह से भी खतरा है। वे भाजपा को छोड़ डोगरा लोगों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए संगठन डोगरा स्वाभिमान के बैनर तले दोनों ही संसदीय क्षेत्रों से किस्मत आजमा रहे हैं। इसे भूला नहीं जा सकता कि लाल सिंह भी उधमपुर लोकसभा क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

भाजपा को कांग्रेस से अधिक खतरा लाल सिंह से इसलिए है क्योंकि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के दौरान कई मुद्दों पर भाजपा को ही निशाना बनाते हुए सिंह ने भाजपा का त्याग कर जब अलग संगठन बनाया था तो भाजपा के नेता मुंह छुपाते इसलिए फिरते रहे थे क्योंकि भाजपा के नेताओं ने जम्मू के मुद्दों पर जम्मू संभाग से वोट तो बटोर लिए थे लेकिन महबूबा सरकार में वे भिग्गी बिल्ली ही साबित हुए थे।

ऐसे में भाजपा को दोनों ही सीटों पर मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि उसे राज्य की गठबंधन सरकार के वक्त उसके मंत्रियों द्वारा किए गए कार्यों की सजा भुगतनी होगी। दरअसल महबूबा सरकार में भाजपा के मंत्रियों पर घुटने टेकने के आरोप कई बार लगे थे।

टॅग्स :लोकसभा चुनावजम्मू कश्मीरभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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