लाइव न्यूज़ :

केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार दोबारा सत्ता में आएगी या नहीं इसका फैसला हिन्दी भाषी राज्य करेंगे

By भाषा | Updated: May 21, 2019 19:03 IST

हिन्दी भाषी राज्यों में उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है जो भाजपा और विपक्ष दोनों की चुनावी संभावनाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। 2014 में हिन्दी पट्टी के 10 राज्यों..उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में 225 सीटों में से भाजपा को 190 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इन राज्यों में भाजपा की जीत का स्ट्राइक रेट 85 प्रतिशत रहा था।

Open in App
ठळक मुद्देउत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और गुजरात में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनाव में 31 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे हालांकि हिन्दी पट्टी के राज्यों में पार्टी का वोट शेयर औसतन 42 प्रतिशत से अधिक था।

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार दोबारा सत्ता में आएगी या नहीं इसका फैसला हिन्दी भाषी राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश में उसके प्रदर्शन से होगा।

2014 के लोकसभा चुनावों में इन राज्यों के नतीजों ने भाजपा के सत्ता में आने में निर्णायक भूमिका निभायी थी। पिछले आम चुनाव में ‘‘हिन्दी पट्टी’’ के 10 राज्यों में भाजपा की जीत का स्ट्राइक रेट 85 प्रतिशत था। हालांकि, उसके बाद कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के वोट शेयर में 5-7 प्रतिशत की औसत गिरावट आने से केंद्र की सत्ता में उसकी वापसी को चुनौतीपूर्ण माना जाने लगा।

हिन्दी भाषी राज्यों में उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है जो भाजपा और विपक्ष दोनों की चुनावी संभावनाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। 2014 में हिन्दी पट्टी के 10 राज्यों..उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में 225 सीटों में से भाजपा को 190 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

इन राज्यों में भाजपा की जीत का स्ट्राइक रेट 85 प्रतिशत रहा था। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और गुजरात में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनाव में 31 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे हालांकि हिन्दी पट्टी के राज्यों में पार्टी का वोट शेयर औसतन 42 प्रतिशत से अधिक था। ऐसे में सत्ता में पहुंचाने में इन राज्यों की भूमिका 2019 में भी अहम मानी जा रही है।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात में लोकसभा की 91 सीटें हैं

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात में लोकसभा की 91 सीटें हैं जहां पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, इन राज्यों में कांग्रेस को इस बार बेहतर परिणाम की उम्मीद है।

अधिकतर एक्जिट पोल में भाजपा को बिहार, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान जैसे राज्यों में विपक्ष से काफी आगे दिखाया जा रहा है जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस उसके काफी करीब है। हालांकि, उत्तर प्रदेश को लेकर एक्जिट पोल में अलग-अलग अनुमान व्यक्त किये गये हैं।

इनमें भगवा दल को राज्य की 80 में से 33 से लेकर 65 सीटें मिलने का अनुनुमान व्यक्त किया गया है। विभिन्न एक्जिट पोल में पांच हिंदी भाषी राज्यों, उप्र, बिहार, मप्र, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में भाजपा को सबसे कम 89 सीटें मिलने और सबसे अधिक 144 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

विभिन्न एक्जिट पोल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दोबारा ताजपोशी को लेकर लेकर लगभग एक स्वर में अनुमान व्यक्त किया गया है। कुछ ने तो भाजपा के अपने बूते बहुमत प्राप्त करने का भी अनुमान व्यक्त किया है। चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि चुनावों में कौन जीतेगा, कौन नहीं, इसकी भविष्यवाणी करना तो मुश्किल है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भाजपा के भाग्य का फैसला हिन्दी पट्टी के इन राज्यों में उसके प्रदर्शन के आधार पर तय होगा, जहां उसे कांग्रेस या क्षेत्रीय दलों से चुनौती मिल रही है।

भाजपा नेतृत्व भी इस चुनौती को समझ रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पार्टी की चुनावी संभावनाओं के बारे पूछे जाने पर दावा कर चुके हैं कि पार्टी को 300 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिलेगा। भाजपा नेतृत्व हिन्दी भाषी राज्यों में होने वाले नुकसान की आशंका से बेखबर नहीं है।

वह इस संभावित नुकसान की भरपाई पूर्वोत्तर (25 सीट), पश्चिम बंगाल (42 सीट) तथा ओडिशा (21 सीट) से करने के लिए अपनी विभिन्न रणनीति के जरिये जोर लगा रही थी। लोकसभा चुनाव जब शुरू हुए थे तो कई विश्लेषकों का मानना था कि भाजपा को राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में अपना 2014 का प्रदर्शन दोहराना कठिन होगा जहां उसने कुल 65 में से 62 सीटें अपनी झोली में डाली थी।

उनके इस आशंका का कारण 2018 में कांग्रेस द्वारा इन तीनों राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता को भाजपा से छीन लेना था। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा अब सिर्फ अपने पारंपरिक दायरों में सिमटी हुई पार्टी नहीं रही।

पार्टी का अब विस्तार नये-नये क्षेत्रों में हुआ है। असम सहित पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी काफी मजबूत स्थिति में है, वहीं केरल में भी पार्टी का प्रदर्शन उत्साहवर्द्धक रहेगा। इन तमाम दावों के बावजूद 23 मई को आने वाले असली नतीजों पर सबकी निगाह रहेगी। 

टॅग्स :लोकसभा चुनावउत्तरा प्रदेश लोकसभा चुनाव 2019बिहार लोकसभा चुनाव 2019दिल्ली लोकसभा चुनाव 2019मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव 2019राजस्थान लोकसभा चुनाव 2019छत्तीसगढ़ चुनाव
Open in App

संबंधित खबरें

भारतChhattisgarh Nikay Chunav Result 2025: भाजपा 10 और कांग्रेस 0?, नगरपालिका में 35 और नगर पंचायत में 81 सीट पर कब्जा, बीजेपी ने छत्तीसगढ़ निकाय चुनाव में किया क्लीन स्वीप!

भारतLok Sabha polls: एनडीए को अगले आम चुनाव में 400 सीट?, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा-विपक्ष की सीट कम होंगी, सामाजिक न्याय देने वाला बजट

भारतModi New Cabinet Nityanand Rai: 1981 से संघ परिवार से जुड़े, एबीवीपी में शामिल, जानें कौन हैं नित्यानंद राय

भारतब्लॉग: जितनी अधिक सहूलियत, उतना कम मतदान

भारतLok Sabha Elections 2024 Model Code of Conduct: 16 मार्च से लागू आदर्श आचार संहिता हटाई गई, निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को विजयी उम्मीदवारों की सूची सौंपी

भारत अधिक खबरें

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतIndiGo Flight Cancel: इंडिगो संकट के बीच DGCA का बड़ा फैसला, पायलटों के लिए उड़ान ड्यूटी मानदंडों में दी ढील