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विधानसभा चुनाव में 29 सीट लेकर बारगेनर बने चिराग पासवान?, सबसे कम उम्र में NDA नेताओं पर भारी, '6 का फॉर्मूला’ अपनाया?

By एस पी सिन्हा | Updated: October 13, 2025 14:59 IST

वर्ष 2020 की तुलना में जदयू 2025 के विधानसभा चुनाव में 14 कम सीटों पर चुनाव लड़ेगा।

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ठळक मुद्देविधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे में वे बहुत हार्ड बारगेनर साबित हुए। जितनी सीटें वे चाहते थे उतनी मिली।चुनाव में इस बार एनडीए की सीट बंटवारे की सबसे बड़ी कहानी चिराग पासवान के नाम रही।भाजपा के बड़े भाई बने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को भाजपा के बराबर आने को विवश कर दिया।

पटनाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुद को हनुमान बताने वाले लोजपा(रा) प्रमुख चिराग पासवान ने न केवल भाजपा को घुटनों पर ला दिया बल्कि भाजपा के बड़े भाई बने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को भाजपा के बराबर आने को विवश कर दिया। विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए की सीट बंटवारे की सबसे बड़ी कहानी चिराग पासवान के नाम रही। इस तरह चिराग पासवान इस विधानसभा चुनाव में नायक बन कर उभरे हैं। कोई घेराबंदी काम नहीं आई। विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे में वे बहुत हार्ड बारगेनर साबित हुए। जितनी सीटें वे चाहते थे उतनी मिली।

विधानसभा चुनाव सीट बंटवाराः

भाजपाः रामनगर, लौहिया, बगहा, नौतन, बेतिया, रक्सौल, हरसिद्धि, मोतिहारी, परिहार, बेनीपट्टी, राजगनर, नरकटियागंज, ढाका, लौरिया, खजौली, सीतामढ़ी, चिरैया, रीगा, बथानाहा, मधुबनी, पिपरा, मधुबन, भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सारण, हायाघाट, दरभंगा, झंझारपुर, छातापुर, बनमनखी, कटिहार, बिस्फी, गया शहर, वजीरगंज, आरा, मोहनियां, भभुआ, जमुई, बक्सर, चेनारी, पटना साहिब, बिक्रम, बाढ़, दीघा, कुम्हरार और बांकीपुर विधानसभा सीट।

जदयूः बड़हरिया, महनार, अमरपुर, वाल्मीकिनगर, फुलपरास, धमदाहा, कुचायकोट, बरारी, रून्नी सैदपुर, हरलाखी, सुपौल, निर्मली, मोकामा, पिपरा, केशरिया, संदेश, आलमनगर, जहानाबाद, घोसी, बिहारीगंज, हथुआ, भोरे, सरायरंजन, सोनवर्षा, शिवहर, कांटी, वारिस नगर, बरबीघा, सुल्तानगंज, बेलागंज, बहादुरपुर, कल्याणपुर, सकरा, रूपौली, धमदाहा, ठाकुरगंज, जमालपुर, जगदीशपुर, धौरैया, झाझा, राजपुर, अस्थावां, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा, हरनौत, फुलवारी शरीफ और मसौढ़ी विधानसभा सीट।

लोजपा(रा)- बखरी, साहेबपुर कमाल, तारापुर, रोसड़ा, राजापाकर, लालगंज, हायाघाट, गायघाट, एकमा, मढ़ौरा, अगिआंव, ओबरा, अरवल, गया, हिसुआ, फतुहा, दानापुर, ब्रह्रपुर, राजगीर, कदवा, सोनबरसा, बलरामपुर, गोविंदगंज, सिमरी बख्तियारपुर, मखदूमपुर, कसबा, सुगौली और मोरवा विधानसभा सीट।

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम)- टेकारी, कुटुंबा, अतरी, इमामगंज, सिकंदरा और बराचट्टी विधानसभा सीट। 

राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो)- सासाराम, दिनारा, उजियारपुर, महुआ, बाजपट्टी और मधुबनी विधानसभा सीट।

इसतरह एनडीए में शामिल पार्टियां के नेताओं में चिराग सबसे कम उम्र के और सबसे कम अनुभव वाले नेता हैं। लेकिन मोल तोल में  वे सब पर भारी पड़े। वैसे सीट पाने की लड़ाई तो वे जीत गए, लेकिन उनके कितने उम्मीदवार विधानसभा में पहुंचते हैं यह देखना दिलचस्प होगा। वर्ष 2020 की तुलना में जदयू 2025 के विधानसभा चुनाव में 14 कम सीटों पर चुनाव लड़ेगा।

लोजपा (रा) के एनडीए गठबंधन में आने की वजह से इस बार यह स्थिति बनी है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा ने अकेले चुनाव लड़ा था। पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार जदयू को सीट शेयरिंग के तहत 101 सीटें मिली हैं। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू ने 101 सीट पर अपने उम्मीदवार दिए थे।

इस बार सीट शेयरिंग के दौरान जदयू के खाते की चार सीटें बाजपट्टी, दिनारा, सासाराम और महुआ सीट रालोमो को मिल गई है। वैसे इन सीटों पर जदयू ने प्रत्याशी जरूर दिए थे पर उन्हें सफलता नहीं मिली थी। बाजपट्टी से रंजू गीता चुनाव हार गईं थी। वहीं, दिनारा से जदयू प्रत्याशी जयकुमार सिंह को सफलता नहीं मिल सकी थी। जबकि सासाराम से जदयू प्रत्याशी चुनाव हार गए थे।

महुआ से जदयू प्रत्याशी आस्मां परवीन चुनाव हार गईं थीं। यह सीट इस बार रालोमो के खाते में चली गई है। सीट शेयरिंग के अनुसार जदयू 2020 में जिन विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था, उनमें 10 सीटें लोजपा (रा) के पास जा रही। इनमें एकमा, साहेबपुर कमाल, राजापाकर, अगिआंव, मढ़ौरा, बरारी व तारापुर आदि की चर्चा है।

जानकारों के अनुसार चिराग पासवान ने एनडीए की सीट बंटवारे की बैठकों में शुरुआत से ही एक साफ फॉर्मूला रखा-'6 का फॉर्मूला’। यानी हर लोकसभा क्षेत्र में औसतन 6 विधानसभा सीटें होती हैं तो उसी के आधार पर विधानसभा सीटों का बंटवारा होना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि भाजपा और जदयू के पास 12-12 लोकसभा सीटें हैं, ऐसे में दोनों को 72-72 सीटें मिलनी चाहिए न कि 100 से अधिक।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब भाजपा और जदयू एक लोकसभा क्षेत्र से 8 से ज्यादा विधानसभा सीटें ले रहे हैं तो छोटे सहयोगियों को भी उसी आधार पर हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि अगर हमारे 5 सांसद हैं तो हमें भी उसी अनुपात में सीटें दी जानी चाहिए। कहा जा रहा है कि काफी सोची समझी सियासी रणनीति के तहत शुरुआत में ही चिराग पासवान ने 40 सीटों की डिमांड रखी थी।

उन्होंने तर्क दिया कि अगर एक लोकसभा क्षेत्र में 8 सीटें भी मानें तो 5 लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से 40 विधानसभा सीटें बनती हैं। लेकिन बातचीत के क्रम में वे इस संख्या पर 29 पर सहमत हो गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने अपनी पसंद की सीटों की एक सूची भी शीर्ष नेतृत्व को दी थी। इनमें से कई सीटें ऐसी थीं जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

जहां उनकी पार्टी के नेताओं का मजबूत जनाधार माना जाता है। इनमें कई ऐसी सीटें भी हैं, जहां पिछले चुनाव में लोजपा (रामविलास) का प्रदर्शन बेहतर रहा था, यहां फिर एनडीए के लिए आसान जीत की स्थिति बन सकती है.चिराग पासवान ने सिर्फ फॉर्मूला ही नहीं रखा, बल्कि कुछ चुनिंदा सीटों पर अपनी रणनीतिक दावेदारी भी पेश की।

एनडीए के भीतर लोजपा रामविलास को मिली 29 सीटें पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इससे चिराग पासवान को न सिर्फ अधिक सीटों पर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने का मौका मिलेगा, बल्कि चुनावी रणनीति में भी उनका रोल अहम हो जाएगा। इस फॉर्मूले के जरिए चिराग पासवान ने साबित कर दिया कि वह सिर्फ राजनीति के ‘फ्रंट फुट’ पर खेलना जानते हैं।

बल्कि गठबंधन की गोटी भी अपने हिसाब से चलवा सकते हैं। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में अकेले लड़का चिराग पासवान ने एनडीए और खासकर जदयू को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। उनकी वजह से जदयू की कम-से-कम 40 सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली थी, जिसके चलते नीतीश कुमार को तीसरे नंबर की पार्टी से संतोष करना पड़ा।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तत्कालीन लोजपा ने 135 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 134 हार गए। पार्टी को 5.64 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। मटिहानी सीट से लोजपा के टिकट पर जीते राजकुमार सिंह बाद में जदयू में शामिल हो गए थे। लोजपा भी दो धड़ों में टूट गई। लोजपा (रामविलास) का नेतृत्व चिराग और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) की अगुवाई उनके चाचा पशुपति पारस कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 2020 के बिहार चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 74 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं जदयू ने 115 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उन्‍हें 43 सीटों पर जीत मिली थी। बिहार में पहले चरण के नामांकन तो 10 अक्टूबर से ही चालू हैं और 13 अक्टूबर से दूसरे चरण का भी नॉमिनेशन शुरू हो गया।

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