किसानों की तरह, जम्मू कश्मीर के लोगों को भी ‘बलिदान’ करना होगा : फारुक अब्दुल्ला

By भाषा | Updated: December 5, 2021 16:55 IST2021-12-05T16:55:38+5:302021-12-05T16:55:38+5:30

Like farmers, people of J&K will also have to make 'sacrifice': Farooq Abdullah | किसानों की तरह, जम्मू कश्मीर के लोगों को भी ‘बलिदान’ करना होगा : फारुक अब्दुल्ला

किसानों की तरह, जम्मू कश्मीर के लोगों को भी ‘बलिदान’ करना होगा : फारुक अब्दुल्ला

श्रीनगर, पांच दिसंबर नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जैसे नए कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों ने ‘बलिदान’ किया उसी तरह अपने राज्य और विशेष दर्जे को बहाल करने के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी ‘बलिदान’ करना पड़ सकता है।

पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की 116वीं जयंती के अवसर पर यहां नसीमबाग में उनके मकबरे पर नेकां की युवा शाखा के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने हालांकि कहा कि उनकी पार्टी हिंसा का समर्थन नहीं करती है।

किसानों के लगभग एक साल के विरोध के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को फसलों की बिक्री, मूल्य निर्धारण और भंडारण के नियमों को आसान बनाने के लिए पिछले साल पारित कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा की थी।

संसद के चालू शीत सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को पारित किया गया।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “11 महीने (किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया), 700 से अधिक किसान मारे गए। केंद्र को तीन कृषि बिलों को रद्द करना पड़ा जब किसानों ने बलिदान दिया। हमें अपने अधिकार वापस पाने के लिए वैसा बलिदान भी करना पड़ सकता है।”

अब्दुल्ला ने कहा, “यह याद रखें, हमने (अनुच्छेद) 370, 35-ए और राज्य का दर्जा वापस पाने का वादा किया है और हम कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार हैं।”

उन्होंने कहा कि नेकां हालांकि भाईचारे के खिलाफ नहीं है और हिंसा का समर्थन नहीं करती है।

केंद्र ने तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था और पांच अगस्त, 2019 को इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।

हाल ही में हैदरपोरा मुठभेड़ और अभियान में मारे गए दो नागरिकों के परिवारों ने प्रशासन को उनके शव वापस करने के लिए कैसे मजबूर किया, इस पर अब्दुल्ला ने कहा कि यह संभव हुआ क्योंकि लोगों ने एकता दिखाई।

उन्होंने मांग की कि मुठभेड़ में मारे गए एक अन्य व्यक्ति आमिर मागरे का शव भी उसके परिजनों को लौटाया जाए।

नेकां प्रमुख ने कहा, “"तीन निर्दोष लोग मारे गए (हैदरपोरा मुठभेड़ में)। जब लोगों ने आवाज उठाई, तो उन्होंने (प्रशासन ने) शव लौटा दिए ताकि उनके परिजन उन्हें दफना सकें। यह एकता से ही हो सकता है।”

उन्होंने कहा, “लेकिन एक व्यक्ति का शव अब भी उसके परिवार को नहीं लौटाया गया है। उन्होंने इस तरह कितने निर्दोष लोगों को मार डाला होगा? हम उन्हें जवाबदेह ठहराएंगे। वह (ईश्वर) भी उन्हें जवाबदेह ठहराएंगे और कोई भी बच नहीं पाएगा।”

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पर्यटन में वृद्धि होने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि जब केंद्र शासित प्रदेश की बात आती है तो “जैसे पर्यटन ही सब कुछ है”।

उन्होंने कहा, “आपने 50,000 नौकरियों का वादा किया था, वे कहां हैं? बल्कि आप हमारे लोगों की नौकरियां समाप्त कर रहे हैं…।

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