नयी दिल्ली, छह दिसंबर नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों द्वारा 14 नागरिकों की हत्या पर वामदलों ने सोमवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला और सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम वापस लेने की मांग की।
पुलिस ने रविवार को बताया था कि नगालैंड के मोन जिले में तीन घटनाओं में सुरक्षा बलों ने गोली चलाई जिसमें 14 नागरिकों की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए थे। पुलिस के अनुसार, पहली घटना में अनजाने में नागरिकों पर गोली चलाई गई।
इसके बाद हुए दंगे में एक सैनिक की भी मौत हो गई। पार्टी ने एक बयान में कहा, “मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नगालैंड के मोन जिले में सेना के अभियान की कड़ी निंदा करती है जिसमें कम से कम 17 नागरिकों और एक सैनिक की जान चली गई।”
माकपा ने कहा, “सेना द्वारा कहना कि ‘खुफिया सूचना गलत मिलने से’ यह हत्याएं हुईं, यह स्पष्ट नहीं करता कि इस प्रकार की गलती हुई कैसे। इसकी पूरी जांच तेजी से होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।”
इसके साथ ही पार्टी ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग की। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद विनय विश्वम ने घटना के लिए केंद्रीय गृहमंत्री की आलोचना की। उन्होंने ट्वीट किया, “भाजपा के राज में मानव जीवन का कोई मोल नहीं है। उन्हें सेना और अर्धसैनिक बलों द्वारा जब चाहे तब मारा जा सकता है। नगालैंड इसका ताजा उदाहरण है। भारतीय लोकतंत्र का भाग्य बंदूक तय कर रही है।” भाकपा की ओर से जारी एक बयान में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम वापस लेने की मांग की गई।
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