कानून मंत्री प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय की आलोचना पर नाराजगी जतायी

By भाषा | Published: November 26, 2020 10:08 PM2020-11-26T22:08:59+5:302020-11-26T22:08:59+5:30

Law Minister Prasad expressed displeasure over the criticism of the Supreme Court | कानून मंत्री प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय की आलोचना पर नाराजगी जतायी

कानून मंत्री प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय की आलोचना पर नाराजगी जतायी

नयी दिल्ली, 26 नवंबर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न्यायिक कार्यशैली के लिए उच्चतम न्यायालय की आलोचना पर बृहस्पतिवार को नाराजगी जतायी और फैसलों की आलोचना करते समय लोगों से निर्मम तरीके से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करने से परहेज करने को कहा।

उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रसाद ने कहा, ‘‘कुछ कमियां हो सकती हैं लेकिन हमें अपनी न्यायपालिका पर गर्व करना चाहिए क्यों इसने गरीबों और वंचितों के हाथ थामे हैं।’’

कानून मंत्री ने कहा, ‘‘परेशान करने वाली एक प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। कुछ लोगों का दृष्टिकोण है कि किसी विशेष मामले में क्या फैसला होना चाहिए। इसके बाद अखबारों में विमर्श शुरू हो जाता है और सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जाता है कि किस तरह का फैसला होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बहुत विनम्रता से मैं कहना चाहूंगा कि निर्मम तरीके से न्यायपालिका की आलोचना करना पूरी तरह अस्वीकार्य है। कद की परवाह नहीं करते हुए हमारी न्यायपालिका के बारे में अनर्गल चीजें कही गयी।’’

प्रसाद ने यह बात उस कार्यक्रम में कही, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुरुआती संबोधन किया ।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने हर किसी को प्रभावित किया है और लोगों से संकल्प लेने को कहा कि सबसे पहले टीका अग्रिम मोर्चा पर लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों को दिया जाए।

उन्होने कहा कि अक्टूबर तक शीर्ष अदालत ने महामारी के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए लगभग 30,000 मामलों पर सुनवाई की, वहीं सभी अदालतों में लगभग 50 लाख मामलों पर सुनवाई हुई ।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि महामारी के समय न्यायपालिका ने कठिन मेहनत की और सभी नागरिकों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दिखायी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने दूसरे देशों की अदालतों की तुलना में बहुत अच्छा काम किया।

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि अदालतों को महामारी के दौरान कुछ अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना करना पड़ा और विकल्प बहुत स्पष्ट था कि या तो डिजिटल तरीके से सुनवाई की जाए या अदालतों को बंद कर दिया जाए।

उन्होंने कहा अदालतों को प्रवासियों, मृत लोगों के शवों की दर्दनाक स्थिति आदि मामलों पर सुनवाई करनी पड़ी ।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुझाव दिया कि सब लोगों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए देश के चार कोनों में 15 न्यायाधीशों के साथ चार मध्यवर्ती अपीलीय अदालतें होनी चाहिए।

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Web Title: Law Minister Prasad expressed displeasure over the criticism of the Supreme Court

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