जम्मू: कश्मीर के पल-पल बदलते मौसम का असर कहीं अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं पर न हो इसकी खातिर इस बार सुरक्षा के अतिरिक्त इस मोर्चे पर जो जबरदस्त तैयारी की गई है। इस तैयारी में सेना के साथ ही वायुसेना को भी शामिल कर लिया गया है जबकि कश्मीर में ही तैनात नौसेना कमांडों को भी जरूरत पड़ने पर तैयार रहने को कहा गया है।
कश्मीर वादी में इस बार भी हो सकते है भूस्खलन और हिमस्खलन-मौसम विभाग
दरअसल पिछले साल 8 जुलाई को 14500 फुंट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के बाहर बादल फटने और हिमखंड के गिरने से 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। मौसम विभाग कहता था कि ऐसे हादसों से अमरनाथ यात्रा इस बार भी दोचार इसलिए हो सकती है क्योंकि कश्मीर वादी का मौसम बेईमान होता जा रहा है जो कभी कभी हर पल बदल रहा है।
मौसम को देखते हुए रेस्कयू टीम की हुई है तैनाती
नतीजतन सुरक्षा के मोर्च से अधिक चिंता मौसम के पाला बदल जाने की है। सेना प्रवक्ता के बकौल, दोनों यात्रा मार्गों पर सेना की एवलांच रेस्कयू टीमों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीमों का नियंत्रण भी सेना के हवाले कर दिया गया है जिनकी बड़ी संख्या में तैनाती की गई है।
इसके अतिरक्त वायुसेना के करीब दो दर्जन हेलिकाप्टरों को गुफा के आसपास के इलाकों के साथ-साथ यात्रा मार्ग के ऊंचाई वाले प्वाइंटों पर हिमस्खलन और पहाड़ों पर नजर रखने के लिए चौबिसों घंटों उड़ानें भरने के लिए कहा गया है। यह पहला अवसर है कि वायुसेना के हेलिकाप्टरों को हवाई सुरक्षा के अतिरिक्त यह जिम्मेदारी दी गई है।
आतंकियों से ज्यादा मौसम के खराब होने का है डर-पुलिस
पुलिस के एक अधिकारी का कहना था कि सभी सुरक्षाबल यूनिफाइड कमांड के तहत श्रद्धालुओं की सुरक्षा के कार्य में जुटी हैं और इस बार चाहे आतंकी खतरा कम हो लेकिन मौसम का खतरा ज्यादा महसूस हो रहा है। उन्हें आशंका है कि मौसम इस बार फिर से विलेन बन सकता है। याद रहे अमरनाथ यात्रा और प्रकृति के कहर का जन्म जन्म का साथ माना जाता है और शायद ही कोई साल ऐसा गुजरता होगा जब अमरनाथ यात्रा प्राकृतिक खतरों से नहीं जूझती हो।