अलविदा कुलदीप नैयरः राजनेताओं, फिल्मकारों और पत्रकारों ने ऐसे किया याद, पीएम मोदी बोले- निर्भीक शख्सियत थे
By आदित्य द्विवेदी | Published: August 23, 2018 10:10 AM2018-08-23T10:10:21+5:302018-08-23T10:38:51+5:30
Veteran Journalist Kuldip Nayar Passed Away: वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और लेखक कुलदीप नैयर का गुरुवार को निधन हो गया। वो 95 वर्ष के थे। देशभर से उन्हें श्रृद्धांजलि दी रही है।
नई दिल्ली, 23 अगस्तः वरिष्ठ पत्रकारकुलदीप नैयर नहीं रहे। उन्होंने कई दशकों तक पत्रकारिता और लेखन कार्य किया। उनके निधन पर देशभर से श्रद्धा सुमन अर्पित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए उन्हें महान बुद्धिजीवी और एक निर्भीक शख्सियत बताया। राजनेता, पत्रकार और फिल्मकारों ने कुलदीप नैयर के निधन पर अपने उद्गार व्यक्त किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'कुलदीप नैयर हमारे समय के बड़े बुद्धिजीवी थे। उनके विचारों में निडरता थी और कई दशकों तक लिखते रहे। आपातकाल के खिलाफ उनका सख्त रवैया रहा। उनके निधन से दुख हुआ। मेरी सहानुभूति परिजनों के साथ है।'
Kuldip Nayar was an intellectual giant of our times. Frank and fearless in his views, his work spanned across many decades. His strong stand against the Emergency, public service and commitment to a better India will always be remembered. Saddened by his demise. My condolences.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 23, 2018
शरद यादव ने कुलदीप नैयर को याद करते हुए लिखा कि मैंने आज एक करीबी दोस्त खो दिया।
#KuldeepNayyar I lost a very good & close friend. He was a patriotic,straight forward & great human being. A veteran journalist champion on secularism who used to write without any fear. I am deeply saddened & in his death, we have lost not only a great writer but a true guide.
— SHARAD YADAV (@SharadYadavMP) August 23, 2018
अरविंद केजरीवाल ने लिखा कि कुलदीप नैयर को प्रेस की आजादी के प्रबल पैरोकार के रूप में याद रखा जाएगा।
Sad news coming in about the passing away of noted journalist and human rights crusader Mr Kuldip Nayyar.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 23, 2018
He will be missed for his fight for press freedom and democratic values in these testing times. A huge loss to the nation https://t.co/rYft4uosc8
इसके अलावा कई वरिष्ठ पत्रकारों और फिल्मकारों ने भी श्रद्धांजलि दी।
The senior journalist #KuldeepNayyar is no more his contribution to freedom of speech and preservation of human rights will always be remembered and meeting him will always be a memory I cherish
— Juhie Singh (@juhiesingh) August 23, 2018
One image of #KuldeepNayyar which constantly haunts me is he feeding mosambi juice to a dreaded terrorist Yasin Malik to break his fast. #RIP.
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) August 23, 2018
कुलदीप नैयर जी की मृत्यु की दुःखद ख़बर, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 23, 2018
🙏🙏🙏#KuldeepNayyar
When we launched the @StopMobLynching campaign #KuldeepNayyar ji was there to bless & guide us. Today #KuldipNayar ji leaves a void in our lives & in our country that will be difficult to fill.
— Tehseen Poonawalla (@tehseenp) August 23, 2018
Miss u sir!! pic.twitter.com/2R9XNcVlX2
गणेश शंकर विद्यार्थी वाली पत्रकारिता की परंपरा की लौ अबतक बरकरार रखने वाली एक आवाज़ हमें आज अलविदा कह गयी।सत्ता प्रतिष्ठान के समक्ष सजदे में कभी नहीं खड़े होने वाले कुलदीप नैयर जी को सलाम।RIP...#KuldeepNayyar
— Manoj K Jha (@manojkjhadu) August 23, 2018
जय हिंद
दुखद खबर
— Dibang (@dibang) August 23, 2018
नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर
वो सही समय पर सही जगह मौजूद रहते; आपसी भाईचारा, शांति और लोकतान्त्रिक परम्पराओं के सजग प्रहरी रहे#KuldeepNayyar is no more
RIP sir
कुलदीप नैयरः सफरनामा
कुलदीप नैयर का जन्म पंजाब के सियालकोट में 14 अगस्त 1923 तो हुआ था। उनके पिता का नाम गुरबख्श सिंह और मां पूरन देवी थी। उन्होंने लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से बीए (ऑनर्स) और लॉ कालेज से एलएलबी की पढ़ाई की। 1952 में उन्होंने नॉर्दवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की। करियर के शुरुआती दिनों में नैयर उर्दू पत्रकारिता करते थे। बाद में उन्होंने अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन का संपादन किया और आपातकाल के दौरान जेल भी गए। उन्होंने 80 से ज्यादा अखबारों के लिए 14 भाषाओं में लेख लिखे हैं।
कुलदीप नैयरः चर्चित पुस्तकें
कुलदीप नैयर ने 'बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' ‘द डे लुक्स ओल्ड' जैसी कई किताबें लिखी थीं। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।