जवाहर लाल नेहरू से लेकर पीवी नरसिम्हा राव तक, जब कुलदीप नैयर के खुलासों ने मचाया तहलका

By आदित्य द्विवेदी | Updated: August 23, 2018 11:36 IST2018-08-23T11:36:30+5:302018-08-23T11:36:30+5:30

कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा 'Beyond the Lines' शीर्षक से लिखी थी। जिसका हिंदी अनुवाद 'एक ज़िंदगी काफी नहीं' नाम से किया गया। इस किताब में कई खुलासे किए गए जिनकी वजह से तहलका मच गया।

Kuldip Nayar passes away, his autobiography revealed Nehru to Narsimha Rao secrets | जवाहर लाल नेहरू से लेकर पीवी नरसिम्हा राव तक, जब कुलदीप नैयर के खुलासों ने मचाया तहलका

जवाहर लाल नेहरू से लेकर पीवी नरसिम्हा राव तक, जब कुलदीप नैयर के खुलासों ने मचाया तहलका

नई दिल्ली, 23 अगस्तः वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर नहीं रहे। दशकों लंबे अपने पत्रकारीय जीवन में उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक का कार्यकाल देखा। उन्होंने भारत-पाकिस्तान का बंटवारा देखा तो पाकिस्तान-बांग्लादेश के विभाजन के भी साक्षी रहे। आपातकाल के दौरान जेल जाना पड़ा तो संसद के उच्च सदन के लिए भी नामांकित किए गए। उनकी जिंदगी आजाद भारत के उतार-चढ़ाव का एक दस्तावेज है। अपनी जिंदगी को उन्होंने आत्मकथा 'Beyond the Lines' में उतारा है। इस किताब का हिंदी अनुवाद 'एक ज़िंदगी काफी नहीं' नाम से किया गया। इस किताब में कई ऐसे खुलासे किए गए जिनकी वजह से राजनीतिक गलियारों में तहलका मच गया।

बाबरी विध्वंस में पीवी नरसिम्हा राव का भी हाथ

कुलदीप नैयर ने अपनी किताब 'beyond the lines' में पी वी नरसिम्हाराव पर आरोप लगाया था कि बाबरी मस्जिद के गिराने में वो भी मिले हुए थे। उन्होंने 6 दिसंबर 1992 की घटना का जिक्र करते हुए लिखा, 'मेरी सूचना थी कि मस्जिद गिराए जाने में राव की मौन सहमति थी। जब कारसेवकों ने मस्जिद गिराना शुरू किया तो वह पूजा पर बैठ गए और जब आखिरी पत्थर भी हटा दिया गया तभी वह पूजा से उठे।' हालांकि दिवंगत नरसिंह राव के पुत्र पीपी रंगा राव ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे अविश्वसनीय और अपुष्ट करार दिया।
 
नैयर ने लिखा है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने के लिए राव की सरकार को हमेशा जिम्मेदार ठहराया जाएगा। दिलचस्प बात है कि उन्हें ऐसी घटना की आशंका थी लेकिन उन्होंने इसे टालने के लिए वस्तुत: कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने लिखा, 'यह धर्मनिरपेक्षता की दिनदहाड़े हत्या थी।'

नेहरू और एडविना की मित्रता का दिलचस्प किस्सा

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और प्रथम प्रधानमंत्री बने जवाहर लाल नेहरू। इसके बाद माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना ब्रिटेन लौट गए। ऐसे में नेहरू और एडविना के बीच बातचीत का सबसे अहम जरिया बनी चिटि्ठयां। उन दिनों भारत की सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का विमान रोजाना नेहरू का लिखा खत लंदन ले जाता। वहां उस खत को भारत के हाई कमीशन को सौंपा जाता। हाई कमीशन की जिम्मेदारी होती थी कि वे खत को एडविना माउंटबेटन तक पहुंचाएं। इसी तरह एडविना का भी एक खत रोजाना हाई कमीशन के हाथों एयर इंडिया तक पहुंचता और लौटती उड़ान से उस खत को भारत पहुंचाया जाता।

बिना खून-खराबे के हो सकता था विभाजन

अपनी आत्मकथा के हिंदी संस्करण की भूमिका में कुलदीप नैयर ने लिखा, 'यह वास्तव में तीन देशों भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का समकालीन इतिहास है जिनका जन्म मेरे सामने ही हुआ। आज भी मेरा मानना है कि जिस खून-खराबे के साथ इनका जन्म हुआ, उसे बचा जा सकता था। इन तीन देशों का जन्म एक दुखद कहानी है जो शायद बार-बार लिखी जाएगी। अभी भी इमें उस दुख और पीड़ा की अभिव्यक्ति नहीं हो पाई है जो उस समय लोगों ने सही। आप मुझसे असहमत हो सकते हैं लेकिन मेरी मंशा पर शक नहीं कर सकते। मैंने उम्र के नवें दशक में भी अपने जमीर को बचाकर रखा है।'

लाल बहादुर शास्त्री की मौत के वक्त थे साथ

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में आसमयिक मौत हो गई थी। उस वक्त कुलदीप नैयर उनके प्रेस सलाहकार थे और दौरे पर साथ ही गए थे। माना जाता है कि शास्त्री की मौत का सच कुलदीप नैयर को पता था लेकिन उन्होंने कभी भी इस पर खुलकर कुछ नहीं कहा। दरअसल, साल 1966 में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भारतीय उपमहाद्वीप में शांति का भरोसा था इसलिए उन्होंने ताशकंद में पाकिस्तान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

कुलदीप नैयरः सफरनामा

कुलदीप नैयर का जन्म पंजाब के सियालकोट में 14 अगस्त 1923 तो हुआ था। उनके पिता का नाम गुरबख्श सिंह और मां पूरन देवी थी। उन्होंने लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से बीए (ऑनर्स) और लॉ कालेज से एलएलबी की पढ़ाई की। 1952 में उन्होंने नॉर्दवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की। करियर के शुरुआती दिनों में नैयर उर्दू पत्रकारिता करते थे। बाद में उन्होंने अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन का संपादन किया और आपातकाल के दौरान जेल भी गए। उन्होंने 80 से ज्यादा अखबारों के लिए 14 भाषाओं में लेख लिखे हैं। 

कुलदीप नैयरः चर्चित पुस्तकें

कुलदीप नैयर ने 'बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' ‘द डे लुक्स ओल्ड' जैसी कई किताबें लिखी थीं। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।

नोटः- इस लेख में दर्ज कुछ घटनाएं कुलदीप नैयर की आत्मकथा 'एक जिंदगी काफी नहीं' से साभार ली गई हैं।

Web Title: Kuldip Nayar passes away, his autobiography revealed Nehru to Narsimha Rao secrets

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