आजाद भारत के बाद सभी चुनावों में वोट देने वाले कृष्ण ने कहा- नेताओं के प्रति जनता के मन में इज्जत घटी

By भाषा | Published: February 8, 2020 05:50 PM2020-02-08T17:50:02+5:302020-02-08T17:50:02+5:30

निर्वाचन प्रक्रिया को दूषित करने में नेताओं की भूमिका पर रोष प्रकट करते हुये कृष्ण ने कहा कि सभी दलों के राजनेताओं का रवैया जनता को निराश करने वाला है।

Krishna efforts to connect the public to the elections but the leaders were unhappy | आजाद भारत के बाद सभी चुनावों में वोट देने वाले कृष्ण ने कहा- नेताओं के प्रति जनता के मन में इज्जत घटी

दिल्ली की मतदाता सूची के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में सौ साल से अधिक उम्र वाले मतदाताओं की संख्या लगभग 150 है।

Highlightsजनता के मन में नेताओं के प्रति भरोसा और इज्जत लगातार घटी है, यह अफसोस की बात है।

आजाद भारत में अब तक हुए सभी चुनाव में मतदान करने वाले दिल्ली के वरिष्ठतम मतदाताओं में शामिल केवल कृष्ण, एक तरफ, मतदान में जनता की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाने में चुनाव आयोग के प्रयासों के मुरीद हैं, वहीं चुनाव जीतने के लिए तमाम हथकंडे अपनाने वाले राजनेताओं की नकारात्मक भूमिका पर उन्हें अफसोस भी है। संविधान सभा और राज्यसभा सचिवालय के पूर्व अधिकारी कृष्ण ने शनिवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी मतदान किया। 

दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र में मतदान करने के बाद कृष्ण ने पीटीआई भाषा को बताया कि मतदान में जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग के बेहतर प्रयासों के कारण मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। इसमें बुजर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को घर से ही मतदान करने, ब्रेल लिपि वाले मतदाता पहचान पत्र जारी करने और मतदाताओं के लिये घर से ‘लाने और छोड़कर आने की’ सुविधा का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि किसी कारणवश वह इन सुविधाओं का दिल्ली विधानसभा के इस चुनाव में लाभ नहीं ले पाये।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली की मतदाता सूची के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में सौ साल से अधिक उम्र वाले मतदाताओं की संख्या लगभग 150 है। चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 80 साल से अधिक उम्र वाले मतदाताओं को डाक मतपत्र के जरिए घर से ही मतदान की सुविधा मुहैया करायी है। पिछले चुनावों में मतदान की यादें ताजा करते हुये 107 वर्षीय कृष्ण ने बताया कि वह सुबह नौ बजे ही अपने पौत्र के साथ मतदान केन्द्र पर पहुंच गये, जहां निर्वाचन अधिकारियों ने मतदान केन्द्र के वरिष्ठतम मतदाता के रूप में उनका फूल माला पहना कर स्वागत किया। 

मतदान की औपचारिकता पूरी करने में मदद के लिये दो कर्मचारी भी वहां मौजूद थे। उन्होंने बताया, ‘‘मैंने 1952 से अब तक के सभी चुनाव में मतदान किया है। बीते सात दशक में मतदान का मेरा तजुर्बा है कि पिछले दो दशक में मतदान को मतदाता हितैषी बनाने के कारण मतदान का प्रतिशत बढ़ रहा है। इस दिशा में आयोग के प्रयास सराहनीय है।’’ निर्वाचन प्रक्रिया को दूषित करने में नेताओं की भूमिका पर रोष प्रकट करते हुये कृष्ण ने कहा कि सभी दलों के राजनेताओं का रवैया जनता को निराश करने वाला है।

उन्होंने कहा, ‘‘तब और अब के नेताओं में बहुत फर्क आया है। जनता के मन में नेताओं के प्रति भरोसा और इज्जत लगातार घटी है, यह अफसोस की बात है।’’ उन्होंने बताया कि वह संविधान सभा की प्रारूप समिति के शोध अधिकारी के रूप में काम किया और आजादी के बाद 1971 तक राज्यसभा में बतौर उप सचिव कार्यरत रहे। उच्च सदन में सदस्यों के रवैये के सवाल पर कृष्ण ने बताया, ‘‘सदन में हंगामा तब भी होता था, लेकिन सदन की मर्यादा को लांघे बिना। अब सदन में चर्चा का स्तर लगातार घट रहा है। 

इसकी वजह साफ है कि राजनीतिक दलों की प्राथमिकतायें बदली हैं। पहले नेता जनता के हित को ध्यान में रखकर राजनीति करते थे, अब अपने हितों को साधने के लिए राजनीति हो रही है।’’ देश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के भविष्य के सवाल पर कृष्ण ने कहा, ‘‘आज के युवा बहुत जागरुक हैं। राजनीतिक मुद्दे हों या सामाजिक सरोकार से जुड़े तमाम और मुद्दे, सब तरफ नौजवानों की सक्रिय हिस्सेदारी, नाउम्मीद नहीं होने देती है।’’ 

Web Title: Krishna efforts to connect the public to the elections but the leaders were unhappy

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