कोलकाता पुलिस ने फर्जी टीकाकरण अभियान मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया

By भाषा | Updated: June 25, 2021 23:05 IST2021-06-25T23:05:49+5:302021-06-25T23:05:49+5:30

Kolkata Police constitutes SIT to probe fake vaccination campaign case | कोलकाता पुलिस ने फर्जी टीकाकरण अभियान मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया

कोलकाता पुलिस ने फर्जी टीकाकरण अभियान मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया

कोलकाता, 25 जून कोलकाता पुलिस ने यहां एक व्यक्ति द्वारा खुद को कथित तौर पर एक आईएएस अधिकारी बताकर फर्जी टीकाकरण अभियान चलाने के मामले की जांच के लिए शुक्रवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।

फर्जी टीकाकरण अभियान को लेकर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है। भाजपा ने बड़ी साजिश बताते हुए मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है। गिरफ्तार किए गए आरोपी की, तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं और मंत्रियों के साथ कई कार्यक्रमों की कथित तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद यह घमासान शुरू हुआ। पीटीआई स्वतंत्र तौर पर इन तस्वीरों और वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने मामले में किसी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है।

पुलिस द्वारा उसके अभियान का भंडाफोड़ करने के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में देबांजन देब (28) को गिरफ्तार कर लिया गया था। देब ने कई शिविर लगाए थे, जहां संभवत: 2000 लोगों को टीका दिया गया।

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने मामले की जांच के लिए खुफिया विभाग के अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि आरोपी ने कई लोगों को यह बताकर ठगा है कि वह कई विकास परियोजनाओं का प्रभारी है।’’

इससे पहले दिन में कोलकाता के पुलिस आयुक्त सोमेन मित्रा ने कहा कि आईएएस अधिकारी होने का दावा कर रहे एक व्यक्ति द्वारा फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविर का आयोजन करना एक "विकृत मानसिकता" का कार्य है। मित्रा ने संवाददाताओं से कहा, "देबांजन ने जो किया, वह बेहद अमानवीय था। ऐसा कार्य कोई विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति ही कर सकता है।"

पुलिस ने बुधवार को देबांजन को गिरफ्तार कर लिया, जिसने आईएएस अधिकारी होने का दावा करते हुए कस्बा क्षेत्र में एक कोविड-19 टीकाकरण शिविर का आयोजन किया था। इस शिविर में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने भी टीके की खुराक ली थी। चक्रवर्ती को टीकाकरण की प्रक्रिया पर उस समय शक हुआ जब उन्हें एसएमएस नहीं आया, जो आम तौर पर टीके की खुराक लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मोबाइल फोन पर आता है। इसके बाद चक्रवर्ती ने इसकी शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने टीकाकरण शिविर से एंटीबायोटिक टीके एमीकेसिन की कई शीशियां बरामद कीं।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार देबांजन खुद को कोलकाता नगर निगम में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत बताया करता था। वह अपनी कार पर राज्य सरकार के प्रतीक चिह्न का भी इस्तेमाल करता था।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि यह टीएमसी की एक साजिश है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने केंद्र को फंसाने के लिए एक बड़ी साजिश रची है। वे विवादित पहचान वाले लोगों को शिविर आयोजित करने में मदद कर रहे हैं, जहां नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए नकली टीके दिए गए थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर टीका लगाए गए लोगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो टीएमसी नकली टीके उपलब्ध कराने के लिए केंद्र को दोषी ठहराएगी।’’

अधिकारी ने भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्य के स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन’ पहुंचे और अधिकारियों से सवाल किया कि खुद को एक आईएएस अधिकारी बताने वाला व्यक्ति टीकाकरण शिविरों का आयोजन कैसे करता रहा और इतने लंबे समय तक पुलिस और विभाग की नजर में क्यों नहीं आया। उन्होंने कहा, ‘‘क्या उसे सत्तारूढ़ दल द्वारा बचाया गया? यह एक बड़ी साजिश है। सीबीआई जैसी बड़ी एजेंसी ही सच्र्चाई सामने ला सकती है।’’

सत्तारूढ़ टीएमसी ने आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित करार दिया।

टीएमसी के वरिष्ठ नेता तापस रे ने कहा, "अगर सिर्फ एक तस्वीर किसी को दोषी साबित करती है, तो कई भाजपा नेताओं को कई घोटालेबाजों के साथ फोटो खिंचवाने के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया जाना चाहिए। इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और सच्चाई का खुलासा कर देगी।

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Web Title: Kolkata Police constitutes SIT to probe fake vaccination campaign case

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