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जानिए क्या है पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट जो पुंछ हमले के लिए जिम्मेदार है, आतंकवाद के हाइब्रिड मोड का उपयोग करने के लिए है कुख्यात

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: December 22, 2023 17:57 IST

यह कुख्यात समूह 2019 में तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अस्तित्व में आया। राज्य से धारा 370 हटाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ इसने जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए संगठन का रूप लिया।

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ठळक मुद्देयह कुख्यात समूह 2019 में तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अस्तित्व में आयापीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट को साल 2023 में जनवरी में यूएपीए के तहत एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गयाइसे आतंकवाद के हाइब्रिड मोड का उपयोग करने के लिए जाना जाता है

Poonch Attack: जम्मू-कश्मीर में  सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला करने और चार जवानों की जान लेने की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने ली है। ये पहली बार नहीं था जब भारतीय सेना के वाहनों पर पीएएफएफ ने घात लगाकर हमला किया था। इससे पहले यह नागरिकों, सरकारी अधिकारियों, पुलिस कर्मियों और भारतीय बलों पर ऐसे कई हमलों को अंजाम दे चुका है। 

सैन्य अधिकारियों का तो ये मानना है कि यही वह संगठन है जिसने अक्तूबर 2021 में सेना के 9 जवानों की जान ली थी। पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट तुलनात्मक रूप से बाकी आतंकी संगठनों से नया है। लेकिन इसने जिस तरह से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया है उससे सुरक्षा एंजेंसियां परेशानी में पड़ गई हैं।

पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) कब बना

यह कुख्यात समूह 2019 में तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अस्तित्व में आया। राज्य से धारा 370 हटाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ इसने जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए संगठन का रूप लिया। रिपोर्टों से पता चलता है कि इसका गठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किया गया था। ये भी माना जाता है कि पीएएफएफ जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का एक साझा समूह हो सकता है। 

पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट को साल 2023 में जनवरी में यूएपीए के तहत एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया। इसे आतंकवाद के हाइब्रिड मोड का उपयोग करने के लिए जाना जाता है। इसमें नागरिकों को आतंकवादी हमले को अंजाम देने के लिए अल्पावधि के लिए भर्ती किया जाता है और बाद में उन्हें सामान्य जीवन में वापस भेज दिया जाता है। इस खास रणनीति से आतंकी सशस्त्र बलों और न्याय प्रणाली का सामना करने से बच जाते हैं।

यह कुख्यात संगठन पने हमलों को रिकॉर्ड करने के लिए बॉडी कैमरे का उपयोग करता है और बाद में प्रचार के लिए फुटेज का उपयोग करता है। पीएएफएफ, द रेजिस्टेंस फ्रंट, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट और गजनवी फोर्स सहित हाल ही में उभरे आतंकवादी संगठन हैं जिन्होंने सेना को परेशान किया है। पीएएफएफ और द रेसिस्टेंस फ्रंट जैसे समूह खुद को जेहादी नहीं कहते और अपनी गतिविधियों को सही ठहराने के लिए "कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध" और "फासीवादी ताकतों" का विरोध जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं।  

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