किशनगंजः 6 दिन में 1.27 लाख से अधिक आवासीय प्रमाण पत्र आवेदन?, उपमुख्यमंत्री चौधरी ने कहा- बांग्लादेशी ‘घुसपैठिया’ तो नहीं, ‘शॉकिंग’

By एस पी सिन्हा | Updated: July 8, 2025 16:46 IST2025-07-08T16:44:45+5:302025-07-08T16:46:05+5:30

Kishanganj: बड़ी संख्या में आवेदन घुसपैठ का संकेत हैं, भाजपा की रणनीति को दर्शाता है, जो चुनाव से पहले ध्रुवीकरण को हथियार बना सकती है।

Kishanganj More than 1-27 lakh residential certificate applications 6 days Deputy Chief Minister Samrat Choudhary said they Bangladeshi infiltrators but shocking | किशनगंजः 6 दिन में 1.27 लाख से अधिक आवासीय प्रमाण पत्र आवेदन?, उपमुख्यमंत्री चौधरी ने कहा- बांग्लादेशी ‘घुसपैठिया’ तो नहीं, ‘शॉकिंग’

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Highlightsमतदाता सूची में नाम जुड़ सकता है, लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम नहीं। भाजपा की ‘सांप्रदायिक’ चाल बता रहा है, किशनगंज का माहौल गरमाया हुआ है।बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम जोरों पर है।

Kishanganj:बिहार विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच मतदाता पहचान पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र का मुद्दा तूल पकड़ लिया है। खासकर किशनगंज जिले में बीते छह दिनों में 1.27 लाख से अधिक आवासीय प्रमाण पत्र के आवेदनों ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इसको लेकर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को आशंका जताई है कि कहीं ये बांग्लादेशी ‘घुसपैठिया’ तो नहीं हैं। सम्राट चौधरी ने इसे ‘शॉकिंग’ करार देते हुए कहा कि यह आंकड़ा साफ संकेत देता है कि किशनगंज में बड़ी संख्या में घुसपैठिए मौजूद हैं। उन्होंने राजद पर तंज कसते हुए कहा कि जिनके परिवार ने चारा खाया और जमीन लिखवाई, उन्हें घुसपैठ का पाताल समझ नहीं आएगा। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि जो बिहारी या भारतीय नागरिक हैं, उनकी सहमति से मतदाता सूची में नाम जुड़ सकता है, लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम नहीं। चौधरी का यह दावा कि इतनी बड़ी संख्या में आवेदन घुसपैठ का संकेत हैं, भाजपा की रणनीति को दर्शाता है, जो चुनाव से पहले ध्रुवीकरण को हथियार बना सकती है।

लेकिन विपक्ष इसे भाजपा की ‘सांप्रदायिक’ चाल बता रहा है, जिससे किशनगंज का माहौल गरमाया हुआ है। वहीं, सम्राट चौधरी के इस दावे के बाद चर्चा शुरू हो गई है कि क्या सीमांचल का समीकरण बदल रहा है? क्या किशनगंज,पूर्णिया अररिया और ठाकुरगंज जैसे जगहों पर बांग्लादेशी आकर बसने लगे हैं? किशनगंज बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से सटा है।

दरअसल, बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम जोरों पर है। चुनाव आयोग ने मतदाता पंजीकरण के लिए 11 दस्तावेजों की सूची जारी की है, जिसमें आधार, राशन कार्ड, मैट्रिक प्रमाण पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र शामिल हैं। लेकिन बिहार जैसे राज्य में जहां 26 फीसदी बच्चे कक्षा 6-8 के बीच स्कूल छोड़ देते हैं और दसवीं पास का औसत भी काफी कम है।

इन दस्तावेजों को जुटाना आसान नहीं। बता दें कि आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आधार, राशन कार्ड और मैट्रिक प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है और इस प्रक्रिया में 15 दिन तक लग सकते हैं। इस जटिलता ने कई लोगों को परेशान किया है, जिससे मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया विवादास्पद हो गई है।

उल्लेखनीय है कि यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि किशनगंज में मुस्लिम आबादी का अनुपात अधिक है। यह जिला विपक्षी दलों खासकर राजद और कांग्रेस के साथ-साथ हाल के वर्षों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का गढ़ माना जाता है। लेकिन चुनाव आयोग की सख्ती और दस्तावेजों की जटिल प्रक्रिया ने आम लोगों में असंतोष पैदा किया है।

किशनगंज जैसे सीमावर्ती इलाकों में यह मुद्दा और संवेदनशील हो जाता है, जहां घुसपैठ का आरोप अक्सर सियासी हथियार बनता है। भाजपा इसे अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में पेश कर रही है, जबकि राजद और अन्य विपक्षी दल इसे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की साजिश बता रहे हैं।

Web Title: Kishanganj More than 1-27 lakh residential certificate applications 6 days Deputy Chief Minister Samrat Choudhary said they Bangladeshi infiltrators but shocking

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