पटनाः किसान संघर्ष समिति समन्वय की ओर से आयोजित राजभवन मार्च को लेकर उस समय हंगामा हो गया जब किसान राजधानी पटना के डाक बंगला चौराहा पहुंचे.
डाक बंगला चौराहे पर तैनात पुलिस ने किसानों को राज भवन जाने से रोका तो मार्च में मौजूद किसान उग्र हो गए और पुलिस के साथ झड़प करने लगे. इस दौरान किसानों की भीड़ ने पुलिस के ऊपर दबाव बनाने लगे. कम संख्या में पुलिस रहने के कारण वहां पुलिस वालों को पीछे हटना पड़ा, लेकिन सूचना पर पहुंचे अधिक पुलिस बल ने किसानों पर लाठी बरसानी शुरू कर दी.
पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज के कारण डाकबंगला चौराहे पर भगदड़ मच गई. लाठी से बचने के लिए भाग रहे किसानों को भी पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. इस भगदड़ में कई महिला किसान सड़कों पर गिरकर चोटिल हो गईं. उन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा गया है. दरअसल, कृषि बिल के विरोध में आज बिहार के कई कोनों से आए किसान संगठनों के लोग पटना की सड़कों पर उतरे.
यहां आज उन्होंने पैदल मार्च को विरोध का जरिया बनाया था. पहले से निधार्रित इस कार्यक्रम को गांधी मैदान से शुरू किया गया. यहां से राजभवन के तरफ पैदल कूच किया गया. पुलिस उन्हें डाकबंगला चौराहे पर रोकना चाह रही थी. वहीं किसानों ने अपने इरादों को नहीं बदला और डाक बंगला से इनकम टैक्स गोलंबर की ओर बढ़ने का प्रयास शुरू कर दिया.
इस दौर खबर मिलने पर पटना एसएसपी ने स्वयं मार्च संभाल लिया. यहां बता दें कि किसान विरोधी नीति को लेकर आज किसान संघर्ष समिति समन्वय ने गांधी मैदान से राजभवन की ओर मार्च करने का निर्णय लिया था. इसमें भाग लेने के लिए अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले भी पटना पहुंचे थे. गांधी मैदान से दिन में 1 बजे मार्च निकला गया.
इधर, सीपीएम नेता मनोज चन्द्रवंशी ने बताया कि धावले के नेतृत्व में महाराष्ट्र से हजारों किसान लम्बी दूरी तय करके दिल्ली बॉर्डर पर एकजुटता प्रकट करते हुए डटे हुए हैं. उनके अलावा कार्यक्रम को किसान सभा के बिहार अध्यक्ष ललन चौधरी, राज्य महासचिव विनोद कुमार सहित बिहार के विभिन्न किसान संगठनों के नेता भी राजभवन मार्च में पहुंचे किसानों को संबोधित किया.
वहीं अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह ने दावा किया मार्च में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में किसान पटना पहुंचे. रेलवे का परिचालन नहीं होने के बावजूद किसानों की बडी संख्या में भागीदारी मंगलवार के राजभवन मार्च में हुई. उन्होंने कहा कि एआईकेएससीसी के सभी सदस्य संगठनों ने मार्च को ऐतिहासिक बनाने में पूरी शक्ति लगा दिया. मार्च में बटाईदार किसानों का भी बडा हिस्सा शामिल हुआ. पूर्णिया, अररिया, सीमांचल के अन्य जिलों, चंपारण, सिवान, गोपालगंज आदि जिलों के किसान पटना पहुंचे.