‘लव जिहाद’ पर भाजपा के भय फैलाने का केरल में नहीं होगा असर : शशि थरूर
By भाषा | Updated: March 28, 2021 19:56 IST2021-03-28T19:56:51+5:302021-03-28T19:56:51+5:30

‘लव जिहाद’ पर भाजपा के भय फैलाने का केरल में नहीं होगा असर : शशि थरूर
(आसिम कमाल)
नयी दिल्ली, 28 मार्च कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को कहा कि भाजपा सिर्फ संप्रदायवाद और ‘‘लव जिहाद’’ पर भय फैलाने का काम तथा लोगों को बांटने वाली नफरत की राजनीति कर सकती है, जिसका बहुलतावादी केरल में असर नहीं होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भाजपा में शामिल हुए 88 वर्षीय ई. श्रीधरन राज्य के राजनीतिक भविष्य का जवाब नहीं हो सकते हैं।
थरूर ने इन सुझावों को भी खारिज कर दिया कि केरल विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं होने से कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की संभावना को नुकसान हो सकता है और कहा कि पार्टी में अनुभवी और सक्षम नेता हैं, जिनमें से कोई भी मुख्यमंत्री का पद संभाल सकता है।
कांग्रेस सांसद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा कि केरल में हवा का रुख स्पष्ट रूप से यूडीएफ के पक्ष में है और दो मई को चुनाव परिणाम घोषित होने के दिन वह ‘‘बड़ी जीत’’ हासिल होने की उम्मीद करते हैं।
चुनावों में भाजपा के एक कारक होने और भगवा दल द्वारा ‘मेट्रोमैन’ ई. श्रीधरन को मुख्य व्यक्ति के तौर पर पेश करने के बारे में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा केवल ‘‘संप्रदायवाद पेश कर सकती है, ‘लव जिहाद’ पर भय फैलाने का काम कर सकती है और लोगों को बांटने वाली नफरत भरी राजनीति कर सकती है, जो बहुलतावादी और समावेशी केरल में नहीं चलने जा रहा है।’’
थरूर ने कहा, ‘‘उन्होंने (भाजपा) राज्य में अपनी अधिकतम सीमा हासिल कर ली है। श्रीमान श्रीधरन का प्रभाव उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के साथ खत्म हो गया। 88 वर्षीय टेक्नोक्रेट राज्य के राजनीतिक भविष्य का जवाब नहीं हो सकते हैं।’’
भाजपा द्वारा कांग्रेस पर पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों से गठबंधन करने और केरल में वाम मोर्चे के खिलाफ चुनाव लड़ने के दोहरे रवैये के आरोपों पर तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में हर राज्य का अपना अलग राजनीतिक चरित्र है।
उन्होंने कहा कि एलडीएफ और यूडीएफ के बीच की प्रतिस्पर्धा यहां गहराई से उलझी हुई है, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दों पर, विशेष रूप से धर्मनिरपेक्षता और भाजपा की "जनविरोधी नीतियों" का विरोध करने में वे कई विचार साझा करते हैं और अक्सर साझा उद्देश्य बनाते हैं।
थरूर ने कहा, "2014 के बाद से, केरल में मेरे खिलाफ प्रचार करने वाले माकपा सांसदों ने लोकसभा में कई मुद्दों पर मेरे रुख का समर्थन किया है। बंगाल के लिए आपको स्थानीय पार्टी नेताओं से पूछना होगा।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा का आरोप आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि उन्होंने भारत की विविधता को कभी समझा या सराहा नहीं।
केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), पश्चिम बंगाल में इंडियन सेक्युलर फ्रंट और असम में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष साख पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सवाल उठाने पर थरूर ने दोहराया कि प्रत्येक राज्य और प्रत्येक पार्टी का अपना इतिहास, परंपरा और राजनीतिक अपील होती है।
उन्होंने कहा कि तीनों दलों के बीच साझा विशेषता बहुत कम है, इसके सिवाय कि उन्हें मुस्लिम पार्टियों के रूप में देखा जाता है।
थरूर ने कहा, ‘‘भाजपा के लिए, जिसने अपने विमर्श का निर्माण किया है और सांप्रदायिकता के बल पर बढ़त बनाई है, कांग्रेस पर यह आरोप लगाना गलत है...।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘केरल की बात करें तो हम एक तरफ, एनएसएस (नायर सर्विस सोसाइटी) या एसएनडीपी (श्री नारायण धर्म परिपालना योगम) जैसे सामुदायिक संगठनों और आईयूएमएल जैसे समुदाय आधारित दलों और दूसरी ओर, भाजपा या एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) जैसी सांप्रदायिक पार्टियों के बीच के अंतर को समझते हैं, जिनकी उस धार्मिक समुदाय से परे कोई दृष्टि नहीं है, जिसकी वे सेवा करना चाहते हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होने से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की संभावना को नुकसान हो सकता है, थरूर ने नकारात्मक में जवाब दिया और कहा कि जनमत सर्वेक्षण में ऐसी बात सामने नहीं आयी है।
उन्होंने कहा, "तथ्य यह है कि जब कांग्रेस का वर्तमान में मुख्यमंत्री नहीं होता तो वह किसी को पेश नहीं करती है। मेरी स्मृति में ऐसा कोई अपवाद नहीं आ रहा।’’ थरूर ने कहा कि हालांकि पार्टी में काफी अनुभवी और सक्षम नेता हैं जिनमें से कोई भी यह जिम्मेदारी संभाल सकता है।
केरल चुनाव के मुद्दों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही मुद्दे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘‘केरल में सत्तारूढ़ वाम दलों की असफलता, भ्रष्टाचार और हिंसा से संबंधित नकारात्मक बातें हैं, वहीं सकारात्मक मुद्दे कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की मजबूत दूरदर्शी सोच है, जो 'लोगों के घोषणापत्र' में परिलक्षित होती है।
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