केजरीवाल ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा को लोकतंत्र की जीत बताया

By भाषा | Updated: November 19, 2021 20:37 IST2021-11-19T20:37:00+5:302021-11-19T20:37:00+5:30

kejriwal termed the announcement of repeal of agriculture laws as victory of democracy | केजरीवाल ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा को लोकतंत्र की जीत बताया

केजरीवाल ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा को लोकतंत्र की जीत बताया

नयी दिल्ली, 19 नवंबर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र सरकार की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा कि यह केवल किसानों की ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की भी जीत है।

केजरीवाल ने उन किसानों की मौत पर भी शोक जताया, जिन्होंने आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाई।

उन्होंने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह यह स्वर्णिम दिन इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा। केंद्र को अंतत: किसानों के अथक संघर्ष के आगे झुकना पड़ा और काले कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा। यह सिर्फ किसानों की ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की भी जीत है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों ने साबित कर दिया है कि लोकतंत्र में सरकारों को हमेशा लोगों की बात सुननी होगी और केवल लोगों की इच्छा ही राज करेगी।

केजरीवाल ने कहा, ‘‘यह जीत साबित करती है कि यह मायने नहीं रखता कि कौन-सी पार्टी या नेता है, आपका अहंकार जनता के सामने नहीं टिकेगा। यह एक ऐसा संघर्ष था जिसने पूरे देश को एक कर दिया। इस लड़ाई में किसानों के साथ-साथ मजदूरों, महिलाओं, आढ़तियों और दुकानदारों सहित सभी ने हिस्सा लिया।’’

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने कहा, "पंजाब हो या उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल हो या केरल, पूरा देश किसानों के साथ खड़ा था। देश-विदेश में रहनेवाले सभी भारतीय एक हो गए और उन्होंने एक साथ इतिहास रचा। धर्म और जाति से ऊपर उठने वालों ने सड़कों पर एक साथ तीनों कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अंत में केंद्र को झुकना पड़ा। आज वे सभी लोग जीत गए हैं।’’

उन्होंने कहा कि किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन जारी रखा और यह दुनिया में अपनी तरह का संभवत: सबसे लंबा और सबसे बड़ा संघर्ष है।

केजरीवाल ने कहा, ‘‘सरकार ने उनका आंदोलन खत्म करने के लिए सभी कदम उठाए। उन्हें आतंकवादी, खालिस्तानी कहा गया और यहां तक कि राष्ट्र विरोधी भी कहा गया लेकिन उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा। यह उनके लिए आजादी का संघर्ष है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कृषि कानूनों को पहले ही निरस्त कर दिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान बचाई जा सकती थी जिनकी प्रदर्शनों के दौरान मौत हो गई।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि 700 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवा दी। अगर कानून पहले ही निरस्त कर दिए जाते तो इन किसानों की जान बचाई जा सकती थी। मैं इन शहीदों और उनके परिवारों को नमन करता हूं। कोई भी आपकी शहादत नहीं भूलेगा।’’

मुख्यमंत्री ने गुरु पर्व के अवसर पर मत्था टेकने के लिए गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब का दौरा भी किया।

उन्होंने कहा, "मैं वाहेगुरुजी से प्रार्थना करता हूं कि इन परिवारों (कृषि कानूनों के विरोध के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के) के जीवन में शांति लाएं और उन्हें कठिनाइयों से बचाएं। देश आपके बलिदानों को कभी नहीं भूलेगा। यह दिन हमारे देश के बच्चों और युवाओं के लिए एक सबक है कि अगर हम सही इरादे से शांति से लड़ेंगे, तो मंजिल कितनी भी कठिन या दूर क्यों न हो, सफलता जरूर मिलेगी।’’

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में घोषणा की कि केंद्र ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है।

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