Kashmiri Handicrafts: कश्मीर के 31 वर्षीय समीर अहमद जान ने बैंकॉक की एक निजी कंपनी में करीब छह साल तक काम किया। पेशे से तकनीकी विशेषज्ञ जान ने पाया कि देश में शॉल, कालीन और लकड़ी के सामान की भारी मांग है। नतीजतन श्रीनगर के पुराने शहर के निवासी, ने अपनी नौकरी छोड़ दी और बैंकॉक में कश्मीरी हस्तशिल्प का अपना उद्यम शुरू कर दिया।
वे कहते थे कि शॉल, कालीन, गलीचे और लकड़ी के सामान की मांग दुनिया भर में बढ़ गई है। मेरा शोरूम, जिसमें आठ लोग काम करते हैं, कश्मीरी हस्तशिल्प की बिक्री करता है। मेरे पास यूरोप से अच्छी संख्या में ग्राहक आते हैं जो पर्यटन के लिए बैंकॉक आते हैं।"
जान की तरह, कश्मीर में शिक्षित युवाओं की बढ़ती संख्या क्षेत्र की समृद्ध हस्तशिल्प विरासत को अपना रही है, अपने कौशल और आधुनिक व्यावसायिक कौशल का उपयोग करके वैश्विक उद्यम शुरू कर रही है। विदेशों में हस्तशिल्प व्यवसाय में यह उछाल मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न हस्तशिल्पों को जीआई टैग दिए जाने के कारण है। जटिल रूप से बुने हुए पश्मीना शॉल से लेकर लकड़ी के नाजुक नक्काशीदार फर्नीचर तक, प्रामाणिक कश्मीरी शिल्प की मांग आसमान छू रही है। सिंगापुर, यूएई, ओमान और अन्य मध्य पूर्व सहित कई देशों में कश्मीरी हस्तशिल्प उद्यम भी सामने आए हैं।
यूएई में कश्मीर हस्तशिल्प आउटलेट के मालिक फहद अहमद भट कहते थे कि जीआई टैग ने कश्मीरी हस्तशिल्प की मांग को बढ़ा दिया है। मध्य पूर्व में लोग कालीन और गलीचे पसंद करते हैं। कश्मीरी कालीन और गलीचे दुबई के होटलों और रेस्तराओं में सजे देखे जा सकते हैं। इसने ईरानी कालीन को कड़ी टक्कर दी है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे अधिक मांग वाली हस्तशिल्प वस्तु भी है।
गौरतलब है कि चार वर्षों में कश्मीरी शिल्प का कुल निर्यात मूल्य 3,477.31 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। 2020-21 में कश्मीरी शिल्प का कुल निर्यात 635.52 करोड़ रुपये का था।
इसके बाद के वर्षों 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में क्रमशः 563.13 करोड़ रुपये, 1116.37 करोड़ रुपये और 1162.29 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। हस्तशिल्प विभाग के एक अधिकारी का कहना था कि दुनिया भर में हस्तशिल्प की मांग बढ़ी है, जिससे जम्मू-कश्मीर से निर्यात बढ़ा है।
वे कहते थे कि हमने पिछले कुछ वर्षों में कारीगरों और निर्यातकों के पंजीकरण में वृद्धि देखी है। जीआई टैग ने हस्तशिल्प क्षेत्र में वांछित परिणाम लाए, जिससे स्थानीय लोगों को इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रेरणा मिली।यही नहीं सरकार ने पहले ही अगले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर हस्तशिल्प निर्यात को सालाना 3,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।