Jammu-Kashmir: हिंसा के मामले में 2 दशकों से कश्मीर शांत, आतंकवाद की जड़े हो रही कमजोर

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: February 2, 2025 15:04 IST2025-02-02T15:04:30+5:302025-02-02T15:04:39+5:30

Jammu-Kashmir: इसी तरह 30 जनवरी को सेना के जवानों ने पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप दो आतंकवादी मारे गए। 

Kashmir remains quiet in violence for the second time in two decades Terrorism is weakening in Kashmir | Jammu-Kashmir: हिंसा के मामले में 2 दशकों से कश्मीर शांत, आतंकवाद की जड़े हो रही कमजोर

Jammu-Kashmir: हिंसा के मामले में 2 दशकों से कश्मीर शांत, आतंकवाद की जड़े हो रही कमजोर

Jammu-Kashmir:  जम्मू कश्मीर में जनवरी 2025 में सिर्फ तीन मौतें दर्ज की गईं हैं, जो पिछले दो दशकों में एक साल की दूसरी सबसे शांतिपूर्ण शुरुआत है। अधिकारियों ने बताया कि इस महीने दो अलग-अलग घटनाओं में एक सैनिक और दो आतंकवादियों सहित तीन लोगों की मौत हुई। 

आंकड़ों के अनुसार, पहली घटना 20 जनवरी को हुई, जब बारामुल्ला जिले के सोपोर के जालोरा गुज्जरपति वन क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में पंगाला कार्तिक नामक सेना का एक जवान शहीद हो गया। इसी तरह 30 जनवरी को सेना के जवानों ने पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप दो आतंकवादी मारे गए। 

अधिकारियों के बकौल, जनवरी 2025 के आंकड़े 2024 के समान हैं, जब एक आतंकवादी और दो सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। फर्क सिर्फ इतना है कि इस साल दो घुसपैठिए (आतंकवादी) मारे गए, जबकि पिछले साल दो सैनिक मारे गए थे।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2001 में जम्मू-कश्मीर में 203 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें 64 नागरिक, 41 सुरक्षाकर्मी और 98 आतंकवादी शामिल थे। अगले वर्ष, यह संख्या बढ़कर 288 हो गई, जिससे यह हाल के इतिहास में सबसे घातक जनवरी में से एक बन गई। 

इसके विपरीत, जनवरी 2000 में शून्य हत्याएं दर्ज की गईं। आंकड़े बताते हैं कि 2000 के दशक के मध्य में, आतंकवाद विरोधी अभियान तेज होने और सुरक्षा ग्रिड मजबूत होने के कारण संख्या में गिरावट शुरू हो गई। वर्ष 2010 तक, जनवरी में कुल हत्याएं घटकर 24 हो गईं। 

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में, आंकड़े अपेक्षाकृत कम रहे हैं, जो तीन से 26 के बीच उतार-चढ़ाव करते रहे हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि समन्वित प्रयासों के माध्यम से आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया गया है, इसके भौतिक बुनियादी ढांचे और अमूर्त संपत्तियों दोनों को निशाना बनाया गया है। इसके अलावा, पुलिस ने क्षेत्र में आतंकवाद को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए हैं।

यही नहीं आतंकवाद से जुड़े 72 सरकारी कर्मचारियों को अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त कर दिया गया है। और 10 गैरकानूनी संगठनों और 13 गुटों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया है और अब तक 22 व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित किया गया है।

अधिकारी बताते थे कि वर्तमान में पाकिस्तान या पीओके में जम्मू-कश्मीर के 4,569 मूल निवासियों में से 641 व्यक्तियों की पहचान आतंकवाद में सक्रिय रूप से शामिल होने के रूप में की गई है। उन्होंने बताया कि कि ये कार्रवाई आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने और जम्मू-कश्मीर में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

2024 में अब तक की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, पुलिस अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी गिरोहों में स्थानीय भर्ती पिछले पांच वर्षों के औसत 113 के मुकाबले 08 के निचले स्तर पर आ गई है। उन्होंने बताया कि आतंकवाद के कारण मारे गए नागरिकों की कुल संख्या भी पिछले पांच वर्षों के औसत 34 के मुकाबले घटकर 16 हो गई है। 

पिछले पांच वर्षों के औसत 50 के मुकाबले शहीद हुए सुरक्षा बल के जवानों की संख्या घटकर 34 हो गई है। अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी-अलगाववादी नेटवर्क द्वारा आयोजित और बुलाई गई पत्थरबाजी और हड़ताल शून्य है।

Web Title: Kashmir remains quiet in violence for the second time in two decades Terrorism is weakening in Kashmir

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