जम्मूः एलओसी को पार कर शार्टकट रास्ते से कश्मीर पहुंचने के लिए एक बार फिर आतंकियों द्वारा मुगलरोड की राह थाम लिए जाने के कारण सुरक्षाबल चिंतित हैं। उनकी चिंता का कारण दुर्गम इलाका होने के कारण आतंकियों को तलाश कर पाना संभव नहीं है।
कल करीब 16 सालों के उपरांत सुरक्षाबलों ने इस इलाके में दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। उनका एक मददगार गाइड जिन्दा पकड़ा गया जो उन्हें साथ लेकर कश्मीर के शोपियां में जा रहा था। मुगलरोड का रास्ता पुंछ से निकल कर कश्मीर के शोपियां में जा मिलता है।
आतंकवाद के शुरुआती दिनों में यह रास्ता, जो सुरनकोट के बफलियाज से निकल कर शोपियां के हीरपोरा में निकलता था, आतंकियों का कश्मीर तक पहुंचने का मनपसंद मार्ग था। दरअसल यह इलाका दुर्गम पहाड़ों और बिहड़ वनों से घिरा होने के कारण किसी की नजर में नहीं आता था। जबकि सर्दियों में बर्फबारी के बाद यहां आना जाना संभव नहीं होता था।
हालांकि अब जबकि वर्ष 2012 से इसे कश्मीर जाने के वैकल्पिक रास्ते के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, बनाई गई सड़क का लाभ आतंकियों द्वारा उठाने की कोशिश चिंता का कारण बन गई है। अधिकारियों के बकौल जिन्दा गिरफ्तार किए गए उनके साथी, जो गाइड का काम कर रहा था, ने जो रहस्योदघाटन किए हैं वे चौंकाने वाले हैं।
गाइड के बकौल, कश्मीर में आतंकियों की कमी को पूरा करने के लिए जम्मू-श्रीनगर का राजमार्ग खतरों से भर चुका है, इसलिए पाकिस्तान ने अब एक बार फिर इसका इस्तेमाल करने की खातिर दर्जनों गाइडों का इस्तेमाल शुरू किया है।
इस रहस्योदघाटन के बाद सुरक्षाबलों ने पुंछ और राजौरी के आसपास के लापता होने वाले युवकों की तलाश तेज कर दी है। उन्हें आशंका है कि वे आतंकियों के लिए गाइड का काम कर रहे हैं। अधिकारियों का मानना था कि धारा 370 हटा लिए जाने के बाद राजौरी तथा पुंछ की एलओसी पर पाक गोलाबारी में जबरदस्त इजाफा हुआ है जिसका सीधा मकसद कवरिंग फायर की आड़ में आतंकियों को इस ओर धकेलना है।