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कश्मीर कुंठा में है, वहां लोग धीरे-धीरे मर रहे हैं, मोदी सरकार कश्मीरियों को भी साथ लेकर चले: तारीगामी

By भाषा | Updated: September 17, 2019 19:32 IST

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी के साथ तारीगामी ने कहा कि सरकार कहती है कि वहां एक भी गोली नहीं चली , हालात सामान्य हैं। फिर वहां के लोगों के नागरिक अधिकारों और सेवाओं को अवरुद्ध क्यों किया गया है?

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ठळक मुद्देशिक्षा , स्वास्थ्य और कारोबार सहित सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है।तारीगामी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में उन्होंने आतंक और हिंसा का सबसे बुरा दौर देखा है।

माकपा के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने जम्मू कश्मीर के हालात सामान्य होने के केन्द्र सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए मंगलवार को कहा कि कश्मीर ‘‘ कुंठा’’ में है और वहां लोग ‘‘ धीमी मौत’’ मर रहे हैं।

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी के साथ तारीगामी ने कहा कि सरकार कहती है कि वहां एक भी गोली नहीं चली , हालात सामान्य हैं। फिर वहां के लोगों के नागरिक अधिकारों और सेवाओं को अवरुद्ध क्यों किया गया है?

उन्होंने स्थिति की गंभीरता पर सवाल उठाते हुये कहा कि सरकार किसी अन्य इलाके में टेलीफोन और इंटरनेट सहित अन्य नागरिक सुविधायें बंद करके यह देख ले कि ऐसा करने से कैसे हालात हो जाते हैं? तारीगामी ने कहा कि कश्मीर में संचार सेवायें और नागरिक सुविधायें अवरुद्ध होने के कारण शिक्षा , स्वास्थ्य और कारोबार सहित सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है। वहां की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुये वह भावुक हो गये।

उन्होंने कहा , ‘‘ कश्मीर कुंठा में है , वहां लोग धीरे धीरे मर रहे हैं। हमारी हुकूमत से अपील है कि हम जीना चाहते हैं। सरकार हम कश्मीरियों की भी आवाज को सुने, हमें भी जिंदा रहने का मौका मिलना चाहिये। ’’ उन्होंने मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हुये कहा कि लोगों को जेल में डालकर, उन्हें प्रताड़ित कर, संचार सेवायें रोक कर और सामान्य जनजीवन प्रभावित कर, क्या सरकार कश्मीर के लोगों का विश्वास जीत पायेगी।

जम्मू कश्मीर विधानसभा के चार बार सदस्य रहे तारीगामी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में उन्होंने आतंक और हिंसा का सबसे बुरा दौर देखा है , जिसमें उन्हें अपने परिवार और मित्रों को खोना पड़ा , लेकिन उस दौर में भी वह इतने व्यथित नहीं हुये थे जितने आज के हालात को देखकर वह व्यथित हैं। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को केन्द्र सरकार द्वारा पांच अगस्त को निष्प्रभावी बनाने और राज्य को दो केन्द्र शासित क्षेत्रों में बांटने के बाद तारीगामी को भी अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ घर में नजरबंद कर दिया गया था।

येचुरी ने उच्चतम न्यायालय से तारीगामी की खराब सेहत का हवाला देकर उन्हें इलाज के लिये दिल्ली आने की अनुमति मांगी थी। अदालत की अनुमति से इलाज के लिये दिल्ली पहुंचे तारीगामी को उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अपनी सेहत के मुताबिक कभी भी कश्मीर वापस जाने की इजाजत दी है।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के बारे में तारीगामी ने कहा , ‘‘ फारुख अब्दुल्ला और अन्य नेता आतंकवादी नहीं हैं। मैं भी विदेशी नहीं हूं। मैंने बहुत कीमत चुकाई है और ऐसा करके मैंने किसी पर अहसान नहीं किया है , यह मेरा फर्ज था जिसे मैंने निभाया और मुझे इस पर नाज है।

लेकिन आज मेरा यह सवाल है कि हमें भी साथ लेकर चलो। हम और कुछ नहीं मांग रहे हैं। ’’ विरोधी दल के नेताओं द्वारा पाकिस्तान की हिमायत करने के सत्तापक्ष के आरोपों के जवाब में तारीगामी ने कहा , ‘‘ सरहद पार से लोग तालियां बजा कर कह रहे हैं , मरहवा दिल्ली वालो , जो हम न कर पाये वो आप कर रहे हैं।

फारुख अब्दुल्ला को घर में कैद करना , कमाल की सियासत है। मैं देशवासियों की अदालत में यह कहना चाहता हूं कि जो आज कश्मीर में हो रहा है वह मुल्क के हित में नहीं हो रहा है।’’ 

टॅग्स :धारा ३७०आर्टिकल 35A (अनुच्छेद 35A)जम्मू कश्मीरसीताराम येचुरीपाकिस्तानमोदी सरकार
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