कश्मीर में शांति लौट आने का क्या है पैमाना, मेयर जुनैद बोले- सड़कों पर लाशें नहीं दिखने का मतलब शांति नहीं हो सकती

By सुरेश डुग्गर | Published: September 3, 2019 04:26 PM2019-09-03T16:26:13+5:302019-09-03T16:26:13+5:30

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद केंद्र सरकार ने अपने एक आदेश में श्रीनगर और जम्मू के मेयरों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया था।

kashmir: corpses in not showingon streets can not mean peace says srinagar mayor junaid mattu | कश्मीर में शांति लौट आने का क्या है पैमाना, मेयर जुनैद बोले- सड़कों पर लाशें नहीं दिखने का मतलब शांति नहीं हो सकती

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Highlightsएक राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू को भी सुनें तो उनकी नजर में कश्मीर में जो मुर्दा शांति है उसमें बस अंतर यही है कि लाशें नहीं दिख रही हैं। श्रीनगर के मेयर जुनैद अजीम मट्टू ने कहा है कि बेशक कश्मीर की सड़कों पर लाशें नजर ना आ रही हो और मगर इसका यह मतलब नहीं कि सब कुछ पटरी पर लौट रहा है। 

कश्मीर के उन नेताओं के तीखे बोल अब सुनाई देने लगे हैं जो फिलहाल स्वतंत्र घूम रहे हैं। ऐसे ही एक राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू को भी सुनें तो उनकी नजर में कश्मीर में जो मुर्दा शांति है उसमें बस अंतर यही है कि लाशें नहीं दिख रही हैं। श्रीनगर के मेयर जुनैद अजीम मट्टू ने कहा है कि बेशक कश्मीर की सड़कों पर लाशें नजर ना आ रही हो और मगर इसका यह मतलब नहीं कि सब कुछ पटरी पर लौट रहा है। 

वे कहते हैं कि ऐसा सोचना बहुत अवास्तविक होगा। उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा कि केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार की नजरबंदी की नीति पूरी तरह से आप्रेशनल है।

जानकारी के लिए जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद केंद्र सरकार ने अपने एक आदेश में श्रीनगर और जम्मू के मेयरों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया था।

मट्टू जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर की राजनीति में मुख्यधाराओं के नेताओं की गिरफ्तारी की केंद्र सरकार की नीति की खासी आलोचना भी की। 

उन्होंने कहा कि सालों तक कश्मीर के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यधारा में बने रहने के लिए आतंकियों की धमकी और हिंसा का बहादुरी से सामना किया। मगर आज उनका शिकार किया जा रहा है। पीपुल्स कांफ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन भी उन लोगों में से एक हैं जिन्हें कश्मीर पर फैसले के दौरान हिरासत में लिया गया।

मट्टू भी उन लोगों में से एक हैं जो केंद्र द्वारा कश्मीर पर नियंत्रण के खिलाफ हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने भरोसा दिया है कि कश्मीर से नियंत्रण धीरे-धीरे कम कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी भी ऐसे बहुत सारे परिवार हैं जो कश्मीर में मौजूदा हालात के चलते अपने लोगों से बात नहीं कर पा रहे हैं। 

श्रीनगर के मेयर ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर के केंद्र सरकार के फैसले से अस्तित्व संबंधी संकट पैदा हो गया है। हम हमेशा हिंसा के बहुत खतरनाक खतरे के साथ जीते हैं और यह हमारे लिए कोई नई बात नहीं है।

जानकारी के लिए हाल के एक साक्षात्कार में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जम्मू कश्मीर में प्रतिबंध लगाने को सही ठहराया था। उन्होंने कहा कि आतंकियों को रोकने के लिए इस तरह के कदम उठाना जरूरी थे। 

जब उनसे पूछा गया कि कश्मीर में इतनी सख्ती के कारण वहां के निवासियों को खासी परेशानी हो सकती है, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ इस तरह के कदम उठाने जरुरी थे। हम ऐसा कैसे कर सकतें है कि आतंकियों और उनके आकाओं के बीच कम्यूनिकेशन को रोक दें और बाकी लोगों के लिए इंटरनेट खोल दें?

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