कर्नाटक: बारिश की कमी से कावेरी नदी बेसिन में पैदा हुआ भारी संकट
By अनुभा जैन | Published: August 6, 2023 02:47 PM2023-08-06T14:47:28+5:302023-08-06T14:59:46+5:30
कर्नाटक में इस साल जुलाई में 29 प्रतिशत अधिक बारिश के बावजूद सूबे में अब भी बारिश की भारी कमी है।
बेंगलुरु:कर्नाटक में इस साल जुलाई में 29 प्रतिशत अधिक बारिश के बावजूद सूबे में अब भी बारिश की भारी कमी है। इस कारण राज्य सरकार ने कर्नाटक के लिए “बड़े संकट“ की स्थिति की घोषणा कर दी है। कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र (केएसएनडीएमसी) के अनुसार राज्य में 1 अगस्त से 5 अगस्त तक बारिश में 63 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है।
इसलिए राज्य सरकार ने कावेरी बेसिन के पास के किसानों को बारिश की कमी और कावेरी नदी बेसिन में चिंताजनक स्थिति के कारण फसल नहीं बोने के लिए कहा है। अधिकारियों के मुताबिक पानी के बेहद खराब प्रवाह की स्थिति में नहरों में क्रमबद्ध आधार पर पानी छोड़ा जा रहा है। वर्षा की कमी के कारण पानी का प्रवाह प्रभावित होता है और अंततः फसल की खेती प्रभावित होती है।
इस संबंध में राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि कावेरी बेसिन बांधों में अपर्याप्त पानी के कारण और राज्य कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के निर्देशों का पालना करने के कारण कर्नाटक तमिलनाडु को पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले साल समुद्र में करीब 700 टीएमसीएफटी पानी पहुंचा है। इस साल भले ही तमिलनाडु कर्नाटक पर पानी छोड़ने पर जोर दे लेकिन पर्याप्त पानी नहीं है। राज्य में पीने के पानी की कमी है। बेंगलुरु और कर्नाटक में जलाशयों को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। जिससे पूरे राज्य में पीने के पानी का संकट पैदा हो सकता है।
इस बारे में एक किसान कार्यकर्ता ने कहा कि हम अभी भी फसल और धान की बुआई कर रहे हैं। इसके साथ ही कार्यकर्ता ने कहा कि अगर सिंचाई विभाग द्वारा शीघ्र ही नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो मांड्या, मैसूर और हासन में लगभग 12 लाख एकड़ धान की खेती प्रभावित होगी।
राज्य सरकार ने पेयजल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने की घोषणा की है। इस मानसून में सामान्य से कम बारिश की भविष्यवाणी भारतीय मौसम विभाग ने की है। जल संसाधन विभाग के सूत्रों के अनुसार फिलहाल पीने के लिए पानी तो है, लेकिन फसल की खेती को नुकसान हो सकता है। सरकार 15 अगस्त तक स्थिति पर नजर रखे हुए है अन्यथा किसानों को वैकल्पिक फसल की खेती करने का सुझाव दिया जाएगा।