Karnataka Assembly Elections 2023: उद्धव ठाकरे ने कर्नाटक में रहने वाली मराठी जनता से कहा, "वोट देते समय 'जय भवानी-जय शिवाजी' बोलिये"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 5, 2023 05:52 PM2023-05-05T17:52:57+5:302023-05-05T18:05:24+5:30
उद्धव ठाकरे ने कर्नाटक में रहने वाली मराठी भाषी मतदाताओं से अपील की कि जब मतदान के लिए जाएं तो ‘जय भवानी’, 'जय शिवाजी' कहें और वो महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) के उम्मीदवारों को ही वोट दें।
मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और उद्धव बाल ठाकरे (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे ने बॉम्बे कर्नाटक क्षेत्र में रहने वाले मराठ जनता से अपील की है कि वो आने वाली 10 मई को वोट डालते समय 'जय भवानी' और 'जय शिवाजी' का उद्घोष करें। ठाकरे ने यह प्रतिक्रिया पीएम मोदी के उस आह्वान के बाद दी है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी मंच से मतादाओं को 'जय बजरंगबली' का नारा लगाने के लिए कहा था।
उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि जब उनके पिता और शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने 1987 में हिंदुत्व के नाम पर वोट मांगा था, तो 1999 में चुनाव आयोग ने उन्हें छह साल के लिए उनके मतदान के अधिकार पर बैन लगा दिया था।
उन्होंने कहा , “अगर देश के प्रधानमंत्री चुनावी सभा में हिंदू धर्म का प्रचार कर रहे हैं, तो अब मतदान के नियम भी बदलने चाहिए। मैं कर्नाटक के मराठी भाषी जनता से अपील करता हूं कि वो जब मतदान देने के लिए जाएं तो ‘जय भवानी’, 'जय शिवाजी' कहें और वो महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) के उम्मीदवारों को ही वोट दें।”
उन्होंने चुनाव में बजरंगबली का मुद्दा उठाने के लिए भारतीय जनता पार्टी पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि पार्टी कांग्रेस के साथ है और यही समय की जरूरत है कि हमारे बीच एकता होनी चाहिए ताकि हम इस समय देश में चल रही तानाशाही को उछाड़ फेंके।
ठाकरे ने कहा. "यह किसी एक व्यक्ति को हराने के बारे में नहीं है, बल्कि कानाशाही के उस रवैये को खत्म करने के बारे में है। जिसके कारण भारत की जनता परेशान है। इसलिए सभी को एकजुट होकर आगे आना होगा और भाजपा को हराने के लिए लड़ाई लड़नी होगी।”
मालूम हो कि कर्नाटक में बॉम्बे कर्नाटक उस इलाके को कहते हैं जो महाराष्ट्र का सीमावर्ती क्षेत्र है और राज्य पुनर्गठन से पहले संयुक्त महाराष्ट्र का हिस्सा हुआ करता था।महाराष्ट्र कर्नाटक के ऐसे सभी क्षेत्रों पर जहां मराठी भाषा का प्रभुत्व है, उस वापस महाराष्ट्र में शामिल किये जाने की मांग करता रहा है और इस संबंध में दोनों राज्यों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विवाद भी लंबित है।