Karnataka Assembly Elections 2023: कांग्रेस का दावा, 'बजरंग दल पर बैन की घोषणा से नहीं होगा चुनावी नुकसान'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 5, 2023 10:05 PM2023-05-05T22:05:12+5:302023-05-05T22:13:16+5:30
कर्नाटक कांग्रेस ने दावा किया है कि पार्टी के कराये सर्वेक्षण में पता चला है कि 'बजरंग दल बनाम बजरंग बली' मुद्दे में कोई दम नहीं है और इसका वोटरों के बीच में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बेंगलुरु:कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में जनता के बीच कराये अपने सर्वेक्षण के आधार पर दावा किया है कि उसके द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल को प्रतिबंधित किये जाने के वादे से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। कांग्रेस द्वारा बजरंग दल को प्रतिबंधित किये जाने के वादे को सत्ताधारी दल भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना दिया है और इसे 'बजरंग दल बनाम बजरंग बली' के चुनावी अभियान में बदल दिया है।
कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र पर बीते मंगलवार को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयनगर जिले के होसपेट में तीखा हमला बोला था। पीएम मोदी ने कहा था, "कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भगवान हनुमान को बंद करने का फैसला किया है। उससे पहले उन्होंने प्रभु श्रीराम को बंद किया था और अब वे 'जय बजरंग बली' बोलने वाले लोगों को बंद करना चाहते हैं।"
पीएम मोदी द्वारा कांग्रेस पर किये गये इस तंज के बाद गुरुवार को कर्नाटक भाजपा के वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा ने भी बजरंग दल बैन के मुद्दे को हवा दी और शिमोगा में कांग्रेस का घोषणा पत्र की प्रतियां जलाईं। उसके बाद बेंगलुरु, चिक्काबल्लापुरा, श्रीरंगपटना, मांड्या और चिक्कमगलुरु में कांग्रेस के खिलाफ जमकर विरोध-प्रदर्शन हुआ।
भाजपा द्वारा इस मुद्दे को हवा दिये जाने पर कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के कराये सर्वेक्षण में पता चला है कि 'बजरंग दल बनाम बजरंग बली' मुद्दे में कोई दम नहीं है और इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने कहा दावा किया गया था कि मतदाताओं के एक छोटे से हिस्से पर इसका प्रभाव हुआ लेकिन वो वैसे भी भाजपा के कोर वोटर हैं। जनता के सामने अन्य गंभीर मुद्दे हैं, जो बजरंग दल से ज्यादा गंभीर और महत्वपूर्ण हैं।
समाचार वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि घोषणा पत्र में बजरंग दल के बैन की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये गये हमले को देखते हुए कई नेताओं ने आशंका जताई थी कि खास मतदाता वर्ग पर बजरंग दल बैन का उलटा असर पड़ सकता है। इसलिए पार्टी ने इसे लेकर फौरन एक सर्वेक्षण करवाया। सर्वेक्षण में दावा किया गया कि कर्नाटक में केवल 7 फीसदी मतदाताओं को ही पता था कि कांग्रेस और भाजपा के बीच बजरंग दल बनाम बजरंग बली का मुद्दा क्या है और उस 7 फीसदी में से केवल 10 फीसदी ही इसे चुनावी मुद्दा मानते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, "जो लोग कांग्रेस के बजरंग दल बैन के वादे से वाकिफ थे, उनमें से ज्यादातर भाजपा के कोर वोटर थे। इसके साथ ही हम इस बात को भी अच्छे से जानते हैं कि कांग्रेस के लिए भाजपा विरोधी एकजुटता बहुत प्रभावी है। भाजपा ने इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया लेकिन हमारे लिए ये एक चुनावी वादा है, जैसा की हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र में अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया है।"
लेकिन इस सर्वेक्षण में कांग्रेस के लिए परेशानी भरा भी एक दावा किया गया है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को तटीय कर्नाटक में चार सीटों पर भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा जहां उसे बजरंग दल के मुद्दे को लेकर वोटों का नुकसान हो सकता है। कांग्रेस को इसके कारण लगभग 1,000 से 1,500 वोटों की क्षति हो सकती है, जिसके बारे में संबंधित प्रत्याशियों को बता दिया गया है।
इस पूरे मुद्दे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि बजरंग दल विवाद पर कांग्रेस के भीतर मतभेद हैं क्योंकि पार्टी में एक वर्ग का मानना है कि इसके कारण भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया है। वहीं दूसरा वर्ग कांग्रेस द्वारा घोषित पांच गारंटियों और अन्य योजनाओं को लेकर सकारात्मक है।