बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बोम्मई सरकार में मंत्री रहे केएस ईश्वरप्पा ने चुनावी राजनीति से सन्यास का ऐलान कर दिया है। भाजपा सरकार में ग्रामीण एवं पंचायत राज मंत्री रहे केएस ईश्वरप्पा ने मंगलवार को पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को पत्र लिखकर 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी शामिल न किये जाने का अनुरोध किया है।
ईश्वरप्पा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि वो चुनावी राजनीति से ‘संन्यास’ ले रहे हैं। कन्नड़ में लिखे पत्र में पूर्व मंत्री ईश्वरप्पा ने कहा कि यह निर्णय उन्होंने खुद लिया है। चुनावी राजनीति से अलग होने वाले ईश्वरप्पा अपने बयानों के कारण खासा चर्चा में रहे हैं। बयानों और अपने खिलाफ लगे आरोपों के कारण ईश्वरप्पा कर्नाटक के विवादित नेताओं में गिने जाते हैं।
कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष रहे ईश्वरप्पा ने चुनावी राजनीति से उस वक्त खुद को अलग करने का ऐलान किया है, जब पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दे रही है। ईश्वरप्पा ने बीते चार दशकों में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ मिलकर भाजपा को कर्नाटक में मजबूत किया।
नड्डा को लिखी चिट्ठी में ईश्वरप्पा ने कहा, ‘‘मैं स्वेच्छा से चुनावी राजनीति से संन्यास लेना चाहता हूं। अतः मेरा अनुरोध है कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए मेरे नाम पर विचार न किया जाए।’’ भ्रष्टाचार के आरोप में पिछले साल मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले ईश्वरप्पा ने पार्टी के उन वरिष्ठ नेताओं के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके 40 साल के राजनीतिक करियर में बूथ स्तर से लेकर अब तक साथ दिया। 74 साल के कुरूबा नेता ईश्वरप्पा शिवमोगा सीट से पांच बार विधायक रहे हैं। कुरुबा समुदाय राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आता है।
ईश्वरप्पा द्वारा चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की खबर पर इस तरह की भी अटकलें लग रही हैं कि केंद्रीय नेतृत्व ईश्वरप्पा का टिकट काट सकता है। ईश्वरप्पा जून में 75 साल के हो जाएंगे, जो भाजपा में नेताओं के लिए चुनाव लड़ने और आधिकारिक पदों पर आसीन होने की अनौपचारिक उम्र सीमा है। भाजपा ने अभी तक 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित नहीं की है। एक साल पहले एक ठेकेदार संतोष पाटिल ने बेलगावी में ठेके देने में ईश्वरप्पा पर 40 फीसदी कमीशन की मांगने का आरोप लगाते हुए उडुपी में एक होटल में आत्महत्या कर ली थी।
उस घटना के बाद ईश्वरप्पा को ग्रामीण एवं पंचायत राज मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। हालांकि बाद में पुलिस ने जांच में ईश्वरप्पा को क्लीन चिट दे दी थी। जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद की मांग की लेकिन पार्टी ने उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। ईश्वरप्पा आरएसएस से जुड़े रहे और शिवमोग्गा में नेशनल कॉमर्स कॉलेज के छात्र के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सक्रिय सदस्य थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ