करनाल में किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा सहित 19 आईएएस अधिकारियों का तबादला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 1, 2021 09:14 PM2021-09-01T21:14:40+5:302021-09-01T21:16:19+5:30
करनाल में किसानों के प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2018 बैच के अधिकारी आयुष सिन्हा कैमरे के सामने पुलिस से कथित तौर पर ‘किसानों के सिर फोड़ने’ के लिए कहते हुए नजर आये थे।
चंडीगढ़ः हरियाणा सरकार ने बुधवार को करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा सहित 19 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया।
करनाल में किसानों के प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2018 बैच के अधिकारी आयुष सिन्हा कैमरे के सामने पुलिस से कथित तौर पर ‘किसानों के सिर फोड़ने’ के लिए कहते हुए नजर आये थे। एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि सिन्हा अब नागरिक संसाधन सूचना विभाग के अतिरिक्त सचिव होंगे।
आदेश में कहा गया है कि उन्हें एक खाली पद पर स्थानांतरित किया गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इससे पहले स्वीकार किया था कि आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा द्वारा शब्दों का चयन गलत था, लेकिन उन्होंने पुलिस कार्रवाई का बचाव किया था। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी सिन्हा की टिप्पणी से असहमति जतायी थी और उनके खिलाफ कार्रवाई का वादा किया था।
करनाल लाठीचार्ज में शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए : किसान नेता
किसानों की एक महापंचायत में मांग की गई कि करनाल में हुए लाठीचार्ज में शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। किसानों ने कहा कि उनकी मांगें यदि पूरी नहीं की गईं तो वे सात सितंबर को सचिवालय की घेराबंदी करेंगे। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों की मांगें पूरी करने के लिए हरियाणा सरकार के लिए छह सितंबर तक की समयसीमा निर्धारित की।
करनाल में प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए चढूनी ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो सात सितंबर को सचिवालय कार्यालय की घेराबंदी की जाएगी। चढूनी ने करनाल में शनिवार को कथित तौर पर लाठीचार्ज की वजह से जान गंवाने वाले किसान के परिजनों को 25 लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग भी की। उन्होंने घायल हुए किसानों को भी दो-दो लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की।
चढूनी ने रविवार को आरोप लगाया था कि एक किसान की मौत लाठीचार्ज की वजह से हुई, लेकिन पुलिस महानिरीक्षक (करनाल) ममता सिंह ने आरोप से इनकार किया था और कहा था कि किसान की मौत उसके घर में हुई। भाजपा की बैठक के विरोध में करनाल की तरफ बढ़ते समय शनिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को बाधित कर रहे किसानों के एक समूह पर किए गए लाठीचार्ज में कथित तौर पर लगभग 10 किसान घायल हो गए थे।
लाठीचार्ज में कथित तौर पर शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग करते हुए चढूनी ने कहा, ‘‘लाठीचार्ज में हमारे भाई घायल हुए। एक भाई की मौत हो गई। इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए, चाहे वह एसडीएम हों या पुलिस अधिकारी।’’