करात ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा, बलात्कार मामले की सुनवाई के दौरान की गयी टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया

By भाषा | Updated: March 2, 2021 20:57 IST2021-03-02T20:57:12+5:302021-03-02T20:57:12+5:30

Karat wrote a letter to the Chief Justice, urging him to withdraw the remarks made during the rape case hearing. | करात ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा, बलात्कार मामले की सुनवाई के दौरान की गयी टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया

करात ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा, बलात्कार मामले की सुनवाई के दौरान की गयी टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया

नयी दिल्ली, दो मार्च माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोवड़े को पत्र लिख कर उनसे वह टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया है जिसमें उन्होंने बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी से पूछा था कि क्या वह पीड़िता के साथ विवाह करने के लिये तैयार है ।

वृंदा ने कहा कि अदालतों को यह धारणा नहीं देनी चाहिए कि वह पीछे ले जाने वाले ऐसे दृष्टिकोणों का समर्थन करती है।

करात एक लोक सेवक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की गयी शीर्ष अदालत की टिप्पणी का जिक्र कर रही थी, जिस पर एक लड़की के साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप है और बम्बई उच्च न्यायालय ने उसकी अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी।

वाम नेता ने कहा कि इन सवालों ,शब्दों और कार्यों का नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों में जमानत देने के गंभीर निहितार्थ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कृपया इस पर विचार करते हुये इन टिप्पणियों और सवालों को वापस लें.....कृपया औरंगाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखें, जिसने निचली अदालत द्वारा आरोपी को दी गयी जमानत को ‘जघन्य’ करार दिया था ।’’

सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत की पीठ ने आरोपी से पूछा था, ‘‘क्या तुम उससे (पीड़िता) से विवाह करने के इच्छुक हो । अगर उसके साथ तुम्हारी विवाह करने की इच्छा है तो हम इस पर विचार कर सकते हैं, नहीं तो तुम्हें जेल जाना होगा ।’’

प्रधान न्यायाधीश के अलावा इस पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी राम सुबमनियन भी शामिल थे ।

पीठ ने आरोपी से यह भी कहा, ‘‘हम तुम्हारे ऊपर विवाह करने का दबाब नहीं बना रहे हैं ।’’

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुये अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी पीड़िता के साथ शुरूआत में विवाह करने का इच्छुक था लेकिन लड़की ने इंकार कर दिया था और अब उसकी शादी किसी और से हो गयी है ।

अधिवक्ता ने बताया कि आरोपी एक लोक सेवक है तो पीठ ने कहा, ‘‘लड़की के साथ बलात्कार करने से पहले तुमको यह सोचना चाहिये था । तुम जानते थे कि तुम एक सरकारी कर्मचारी हो ।’’

शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह तक गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की और उसे सुनवाई अदालत में नियमित जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी ।

पत्र में बृंदा ने कहा, ‘‘इस अपराधी ने लड़की का गला दबाया और उसके साथ बलात्कार किया जब वह केवल 16 साल की थी । इसने 10-12 बार यह अपराध किया। लड़की ने आत्महत्या की कोशिश की । क्या यह सहमति प्रदर्शित करता है।

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Web Title: Karat wrote a letter to the Chief Justice, urging him to withdraw the remarks made during the rape case hearing.

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