चीन सीमा के साथ ही पाकिस्तानी सीमा पर भी गरजेंगी के-9 तोपें

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 5, 2021 02:14 PM2021-10-05T14:14:55+5:302021-10-05T14:21:28+5:30

के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों की पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर तैनाती के बाद अब भारतीय सेना पहाड़ों के लिए 40 और वज्र हॉवित्जर का आर्डर दे रही है। एक रेजिमेंट यानी 20 तोपों को 12 से 16 हजार फीट ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ तैनात किया गया है।

k9-vajra howitzer lac loc china pakistan indian army | चीन सीमा के साथ ही पाकिस्तानी सीमा पर भी गरजेंगी के-9 तोपें

के-9 वज्र हॉवित्जर तोप. (फोटो: एएनआई)

Highlightsपाकिस्तान से सटी एलओसी पर भी तोपखाने की कमी को पूरा करने के लिए 40 के करीब अर्थात दो रेजिमेंटों के लिए के-9 वज्र तोपों का आर्डर दिया है।38 से 50 कि मी दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है।मेक इन इंडिया अभियान के तहत दक्षिण कोरिया की कंपनी के सहयोग से के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों का निर्माण गुजरात के सूरत में किया गया है।

जम्मू: भारतीय सेना ने चीन सीमा के बाद अब पाकिस्तान से सटी एलओसी पर भी तोपखाने की कमी को पूरा करने के लिए के-9 वज्र तोपों को तैनात करने की योजना बनाई है जिसके लिए 40 के करीब अर्थात दो रेजिमेंटों के लिए के-9 वज्र तोपों का आर्डर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक, के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों की पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर तैनाती के बाद अब भारतीय सेना पहाड़ों के लिए 40 और वज्र हॉवित्जर का आर्डर दे रही है। एक रेजिमेंट यानी 20 तोपों को 12 से 16 हजार फीट ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ तैनात किया गया है।

38 से 50 कि मी दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है। मेक इन इंडिया अभियान के तहत दक्षिण कोरिया की कंपनी के सहयोग से के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों का निर्माण गुजरात के सूरत में किया गया है।

पिछले हफ्ते ही लद्दाख के दौरे के दौरान सेनाध्यक्ष ने कहा था कि हावित्जर रेजिमेंट वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन का मुकाबला करने के लिए तैनात की गई है।

के-9 वज्र तोप 16 हजार फीट की ऊंचाई पर 50 किलोमीटर दूर दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है। यह तोप मोदी सरकार में पहला मुख्य मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट है। 100 तोप रेजिमेंट में शामिल की गई हैं। रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि इस साल की शुरुआत में लद्दाख भेजे गए तीन के-9 वज्र के परीक्षण सफल रहे हैं। 

शुरुआती 100 तोपों का ऑर्डर मूल रूप से रेगिस्तान के लिए था, लेकिन चीन की ओर से पूर्वी लद्दाख सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती के जवाब में भारत ने भी एलएसी पर एक रेजिमेंट यानी 20 के-9 वज्र तोपों की तैनाती की है। 

सेना अब पहाड़ी खासकर एलओसी के इलाकों में तैनाती के लिए अलग से 40 के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड हावित्जर का ऑर्डर कर रही है।

हालांकि, के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर का पिछला आर्डर पूरा हो जाने के बाद नया आर्डर दिए जाने के लिए कोई प्रारंभिक योजना नहीं थी, लेकिन चीन के साथ तनाव को देखते हुए एलएसी पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। 

सेना पहले ही एम-777 हल्के हॉवित्जर के लिए आर्डर दे चुकी है, जिसकी आपूर्ति अभी जारी है। एलएसी पर भारतीय सेना ने एम-777 हावित्जर तोपों को तैनात किया हैं। 

अमेरिका से ली जा रही एम-777 की कुल 7 रेजिमेंट बननी हैं जिनमें तीन रेजिमेंट बन गई हैं और चौथी रेजिमेंट बनने की प्रक्रिया में है। दोनों गन सिस्टम की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि दोनों की अपनी अनूठी क्षमता है।

रक्षा मंत्रालय ने 2017 में दक्षिण कोरिया की कंपनी हानवा टेकविन से के-9 वज्र-टी 55 मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट (पांच रेजिमेंट) आपूर्ति के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का करार किया था। 

इसमें 10 तोपें पूरी तरह से तैयार हालत में मिली थीं जिन्हें नवम्बर 2018 में सेना में शामिल किया गया था। बाकी 90 टैंक मेक इन इंडिया अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने सूरत के हजीरा में हावित्जर तोप निर्माण इकाई में तैयार किये गए हैं। फैक्टरी में तैयार किया गया 100वां टैंक एलएंडटी ने 18 फरवरी 2021 को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा था।

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