Justice Varma Faces Impeachment Heat: लोकसभा में 145 और राज्यसभा में 63 विपक्षी सदस्यों ने नोटिस दिया, न्यायमूर्ति वर्मा पर महाभियोग का खतरा?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 21, 2025 15:41 IST2025-07-21T15:37:45+5:302025-07-21T15:41:29+5:30
Justice Varma Faces Impeachment Heat: न्यायमूर्ति वर्मा को पद से हटाने की याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोकसभा सदस्यों में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, सुप्रिया सुले और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।

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नई दिल्लीः भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे न्यायाधीश यशवंत वर्मा को हटाने के लिए सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्ताव से संबंधित नोटिस दिए गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपे गए नोटिस पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर समेत कुल 145 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं। प्रसाद ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘न्यायपालिका की ईमानदारी, पारदर्शिता और स्वतंत्रता तभी सुनिश्चित होगी, जब न्यायाधीशों का आचरण अच्छा होगा। आरोप संगीन थे और ऐसे में महाभियोग के लिए नोटिस दिया गया है।
#WATCH | On impeachment motion notice against Justice Varma, BJP MP RS Prasad says, "This is a constitutional process. The conduct of an individual judge in terms of propriety is equally important for independence of the judiciary. We have filed our notice in this regard." pic.twitter.com/zlmLC5FYSq
— ANI (@ANI) July 21, 2025
Members of Parliament today submitted a memorandum to the Lok Sabha Speaker to remove Justice Yashwant Varma. 145 Lok Sabha members signed the impeachment motion against Justice Verma under Articles 124, 217, and 218 of the Constitution.
MPs from various parties, including… pic.twitter.com/6YTB8Kqse8— ANI (@ANI) July 21, 2025
हमने आग्रह किया है कि कार्यवाही जल्द शुरू होनी चाहिए।’’ राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपे गए नोटिस पर 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि कुल 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं और अब इस मामले की जांच होगी और दोषी पाए जाने पर संबंधित न्यायाधीश को हटाया जाएगा।
इस साल मार्च में न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की घटना हुई थी और घर के बाहरी हिस्से में एक स्टोररूम से जली हुई नकदी से भरी बोरियां बरामद हुई थीं। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय में पदस्थ थे। न्यायमूर्ति वर्मा को बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया।
लेकिन उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के आदेश पर हुई आंतरिक जांच में उन्हें दोषी ठहराया गया है। न्यायमूर्ति वर्मा ने हालांकि किसी भी गलत कार्य में संलिप्त होने से इनकार किया है, लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्यों का उस भंडारकक्ष पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहां नकदी पाई गई थी। इससे यह साबित होता है कि उनका कदाचार इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए।